Uttarakhandआपदा प्रबंधन

टनल में फंसे 40 श्रमिकों को निकालने का ऑपरेशन 33 घंटे से जारी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ऑल वेदर रोड की टनल में भूस्खलन से भीतर फंसे हैं श्रमिक, प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक कर रहे निरंतर निगरानी

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में ऑल वेदर रोड (चारधाम राजमार्ग परियोजना) की निर्माणाधीन टनल (सिलक्यारा टनल) में फंसे 40 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकलने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन करीब 33 घंटे से जारी है। इस बीच सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि श्रमिकों से वॉकी-टॉकी के माध्यम से न सिर्फ संपर्क हो गया है, बल्कि सभी सुरक्षित बताए जा रहे हैं। राज्य सरकार टनल में फंसे झारखंड, उतर प्रदेश, ओढिशा, बिहार, बंगाल, उत्तराखंड, असम व हिमाचल प्रदेश के 40 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रही है। श्रमिकों के लिए पानी की मोटी पाइप लाइन के माध्यम से बारी-बारी से ऑक्सीजन व खाने के पैकेट भेजे जा रहे हैं। यह कार्य कंप्रेशर के जरिए दबाव बनाकर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी निरंतर रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी कर रहे हैं।

टनल में फंसे श्रमिकों की सूची, राहत है कि सभी सुरक्षित हैं।

जिंदगी की डोर 60 मीटर दूर
राज्य व केंद्र सरकार की विभिन्न मशीनरी टनल के जिस हिस्से से रहत एवं बचाव का कार्य कर रही है, वहां से श्रमिक करीब 60 मीटर दूर हैं। श्रमिकों की जिंदगी की डोर के बीच के इस फासले को मिटाने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार, शासन व जिले की मशीनरी एक साथ पूरी ताकत से मजदूरों को बाहर निकालने के लिए मलबे व बोल्डर की मोटी परत से जूझ रही है।

रुक-रुक कर गिर रहा मलबा बढ़ रही चुनौती
टनल के भीतर पहाड़ी के जिस भाग से भूस्खलन हुआ है, उसे रोकने के लिए शॉर्ट क्रिएटिंग मशीन लगाई गई है। हालांकि, पहाड़ी की तरफ हार्ड रॉक्स न होने के चलते यह काम पूरी तरह कारगर साबित नहीं हो रहा। क्योंकि, मलबा रुक-रुक कर गिरता जा रहा है। लिहाजा, मशीन को सुरंग से बहार निकाल लिया गया है। वहीं, एक्सेकैवेटर, लोडर के माध्यम से मलबे को 30-40 मीटर पीछे लाकर वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन से आगे की राह को आसान बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री धामी पहुंचे उत्तरकाशी, रेस्क्यू ऑपरेशन का लिया जायजा
टनल में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की जायजा लेने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार सुबह उत्तरकाशी पहुंचे। उन्होंने टनल के भीतर प्रवेश करते हुए रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और आवश्यक निर्देश जारी किए। उन्होंने कहा श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं। यदि किसी भी तरह के संसाधन व विशेषज्ञ मदद की जरूरत है तो राज्य सरकार उसकी पूरी के लिए प्रतिबद्ध है। इस दौरान उनके साथ मंडलायुक्त (गढ़वाल मंडल) विनय शंकर पांडे भी मौजूद थे।

डीएम-एसपी ले रहे पल-पल की जानकारी
टनल में फंसे श्रमिकों श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन को स्वयं उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला व पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी मोर्चा संभाले हुए हैं। इसके साथ ही घटनाक्रम पर सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत सिन्हा भी सीधे नजर बनाकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं। राज्य सरकार की कवायद बता रही है कि इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता श्रमिकों की जान बचाना है।

रविवार सुबह पांच बजे हुआ टनल में भूस्खलन
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर 4.5 किलोमीटर लंबी टनल का निर्माण ब्रह्मखाल-पोलगांव (जंगल चट्टी) क्षेत्र में किया जा रहा है। यह कार्य एनएचडीसीएल कर रही है। रविवार तड़के करीब 05 बजे टनल के मुख्य द्वार से करीब 270 मीटर की दूरी पर टनल के ऊपरी हिस्से से भारी मलबा गिर गया। जिससे टनल बाधित हो गई। भूस्खलन का दायरा करीब 30 मीटर का है। यह वह समय था, जब ड्यूटी शिफ्ट चेंज हो रही है। भीतर के श्रमिक बाहर निकल रहे थे और बाहर से श्रमिक भीतर काम के लिए जा रहे थे।


टनल में भूस्खलन के बाद राहत एवं बचाव कार्य में जुटी मशीनरी।

विभिन्न एजेंसियों के 160 से अधिक सदस्य जुटे राहत एवं बचाव कार्य में
टनल में फंसे श्रमिकों को सकुशल बाहर निकलने के लिए मौके पर एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, अग्निशमन, पुलिस, राजस्व/प्रशासन, वन विभाग आदि एजेंसियों के 160 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी व विशेषज्ञ राहत एवं बचाव कार्य में जुटे हैं। बताया जा रहा है कि 850 करोड़ रुपये से अधिक की लागत की इस टनल का निर्माण राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम की देखरेख में वर्ष 2019 में शुरू किया गया था। निर्माण पूरा करने का लक्ष्य फरवरी 2024 तक रखा गया है। टनल का निर्माण अत्याधुनिक न्यू आस्ट्रियन टनलिंग मैथड से किया जा रहा है। टनल के निर्माण के बाद गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच की दूरी करीब 25 किलोमीटर कम हो जाएगी। कभी टनल को 2340 मीटर खोदा जा सका है।

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