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डालनवाला में करोड़ों की जमीन के फर्जी वारिस, प्रशासन ने पकड़ा 

डालनवाला कोतवाली से लगी करोड़ों रुपये की जमीन के फर्जी वारिसों का दावा किया गया खारिज, सरकार के नाम चढ़ेगी भूमि

Amit Bhatt, Dehradun: दून की तमाम बेशकीमती जमीनों पर भूमाफिया की नजर है। भूमाफिया फर्जी वारिस खड़े कर जमीन कब्जाने के लिए नित नए हथकंडे अपना रहे हैं। 400 करोड़ रुपये के काबुल हाउस की संपत्ति को कब्जाने के लिए किए गए प्रपंच को जिलाधिकारी सोनिका बेनकाब कर चुकी हैं। अब ऐसे ही मामले में डालनवाला कोतवाली से सटी करोड़ों रुपये की जमीन कब्जाने के लिए भी फर्जी वारिस खड़े हो गए। हालांकि, जिला प्रशासन की सक्रियता से न सिर्फ इस खेल का पर्दाफाश हो गया, बल्कि करीब 03 बीघा भूमि को सरकार के नाम दर्ज करने के आदेश भी जारी कर दिए गए।
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) रामजी शरण शर्मा के आदेश के मुताबिक मौजा उद्दीवाला करनपुर (कोतवाली डालनवाला के पास) खेवट-16 में करीब तीन बीघा भूमि पर पर शोहराब खान ने अपना दावा प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने कहा कि यह भूमि उनकी परदादी बीवी जुबेदा बेगम की है। उनकी मृत्यु 17 दिसंबर 1964 को हो चुकी थी। अब वह विरासत के आधार पर भूमि को अपने नाम पर दर्ज कराना चाहते हैं।
जिलाधिकारी सोनिका के माध्यम से विरासत की यह पत्रावली सुनवाई के लिए 04 अक्टूबर 2023 को सुनवाई के लिए अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) रामजी शरण शर्मा की कोर्ट में आई। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए अपर जिलाधिकारी शर्मा ने तहसील से जमीन की रिपोर्ट मंगाई। तहसील की रिपोर्ट में बताया गया कि खेवट-16 में संबंधित भूमि बीवी जुबेदा पत्नी सरदार शेर खां के नाम अंकित है। जुबेदा की मृत्यु 17 दिसंबर 1964, जबकि सरदार खां की मृत्यु 10 नवंबर 1960 को हो चुकी है। साथ ही बताया गया कि इनके पुत्र असलम की मृत्यु भी हो चुकी है। इनके पौत्र शोहराब खान (पुत्र स्व. कासिम खान) व मां शहनाज खान जीवित हैं। इसके अलावा शोहराब की चार बहनें भी जीवित हैं।
शोहराब खान की विरासत दर्ज करने के प्रार्थना पत्र को निरस्त करने वाला अपर जिलाधिकारी के आदेश का प्रमुख अंश।

अपर जिलाधिकारी की कोर्ट ने सभी को नोटिस जारी कर गवाही के लिए तलब किया। सभी ने अपने-अपने हिसाब से विरासत में मिली जमीन को लेकर कहानी बताई गई राजस्व अभिलेख में नाम दर्ज करने की पैरवी की।

कब्रस्तान में 2001 से पहले के रिकार्ड नहीं, बना डाली फर्जी रसीद
बीवी जुबेदा की विरासत अपने नाम दर्ज करने के लिए शोहराब खान ने उनकी मृत्यु के लिए चंदर नगर के कब्रस्तान की रसीद लगाई। जिस पर प्रशासन ने इन्तजामया कमेटी कब्रस्तान चंदर नगर के प्रबंधक को नोटिस जारी किया। प्रबंधक की ओर से कब्रस्तान के केयर टेकर अब्दुल कादिर ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि यह रासीद वर्ष 2013 की है और यह चंदे की रसीद है। रसीद में मृतक का नाम बीवी जुबेदा अंकित पाया गया। मौत की दिनांक 17 दिसंबर 1964 अंकित पाई गई, लेकिन इसके रिकार्ड नहीं मिले। बताया गया कि वर्ष 1964 का रजिस्टर वर्ष 2015 में नष्ट किया जा चुका है। अपर जिलाधिकारी ने यह भी पाया कि कब्रस्तान कमेटी के पास वर्ष 2001 से पहले का कोई रिकार्ड नहीं है। ऐसे में विरासत दर्ज करने के लिए प्रस्तुत की गई रसीदों में सत्यता का अभाव पाया गया। लिहाजा, आदेश जारी किया गया कि शोहराब खान का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया गया और भूमि को उत्तराखंड शासन के नाम दर्ज करने का आदेश किया गया।
प्रशासन के समक्ष आए कई वारिस
इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान शोहराब खान के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति करते हुए कई व्यक्ति सामने आए। जिन्होंने खुद को बीवी जुबेदा का वारिस बताया। शोहराब खान के प्रार्थना पत्र के विरुद्ध मो. तारिक अथर ने उपस्थित होकर आपत्ति दर्ज की। जिसमें उन्होंने खुद को जमीन का वारिस बताया। इसी तरह सरदार मो. असलम खान निवासी राजपुर रोड ने कहा कि शोहराब के अन्य चार भाई भी हैं। जिनका उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि जमीन हड़पने के लिए शोहराब खुद को फर्जी ढंग से वारिस बनाना चाह रहे हैं। एक अन्य आपत्ति में सरदार अब्दुल वाहिद और सरदार अब्दुल्लाह खान ने आपत्ति की। उन्होंने कहा कि वह मो. याकूब खान के वंशज हैं और यह संपत्ति उनकी है। इसके अलावा इसी प्रकरण में सरादर मो. असलम खान की भी आपत्ति पाई गई है।

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