लिहाजा, ओवर स्पीड से वाहन चलाने और यातायात के तमाम नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों को स्लो रेस में प्रतिभाग कराया गया। ताकि वह सीख सकें और दूसरे वाहन चालकों को सिखा सकें कि धीमी चाल में संतुलन का नियम कितना मायने रखता है। जिसे जीवन मे संतुलन साधना आ गया, वह इसी तरह हारकर भी बाजीगर बन जाता है।
100 मीटर की स्लो रेस (कछुआ दौड़) में 26 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। प्रतियोगिता कनक चौक से रोजगार तिराहा तक लगभग 100 मीटर की दूरी में आयोजित की गई। इस दौरान टर्नर रोड निवासी फरीद खान ने पहला स्थान हासिल किया। हालांकि, फरीदखान का अब तक एक भी चालान नहीं हुआ और उन्होंने यह चाल करीब 04 मिनट में पूरी की।
इसके बाद 03 मिनट 56 सेकेंड में लक्ष्य हासिल करने पर दूसरा स्थान प्रणव जोशी ने प्राप्त किया। प्रणव का जून महीने में तेज गति से वाहन चलाने पर चालान हुआ था। वह उस समय 101 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से वाहन चला रहे थे। इसके अलावा तीसरा स्थान सौरभ चौहान ने प्राप्त किया। उन्होंने तीन मिनट 50 सेकेंड में 100 मीटर की दूरी तय की। सौरभ का गलत दिशा में वाहन चलाने पर चालान कटा था।
पुलिस अधीक्षक यातायात सर्वेश पंवार ने बताया कि कछुआ चाल प्रतियोगिता कराए जाने का उद्देश्य आमजन को जागरूक करना है कि तेज गति से वाहन चलाना कोई समझदारी नहीं है, बल्कि धीमी गति से वाहन चलाकर जहां आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं, वहीं दूसरों के जीवन को भी संकट में नहीं डालते हैं। उन्होंने कहा कि सभी ने जिस प्रकार बचपन में कछुए तथा खरगोश की कहानी पढ़ी या सुनी होगी। इसमें कछुआ धीमी गति से चलकर भी तेज दौड़ने वाले खरगोश को हरा देता है। उसी प्रकार यदि हम अपने वाहन को सड़क पर निर्धारित गति सीमा के अंतर्गत चलाएंगे तो हमें कोई नहीं हरा सकता, यानी हम सड़क दुर्घटनाओं में अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं। साथ ही दूसरों को भी इस खतरे से बचा सकते हैं।
इसलिए खतरनाक है रैश ड्राइविंग और ओवरस्पीड