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स्मार्ट सिटी के कैमरों की मदद से 06 करोड़ की चोरी पकड़ी

कैमरों ने बताया माल के ट्रकों ने दून में प्रवेश नहीं किया, सिर्फ बिल के आधार पर लगाया सरकार को चूना

Akrati Barthwal, Dehradun: चोर कितने भी शातिर क्यों न हो जाएं, वह कुछ ऐसी गलती जरूर कर देते हैं, जिनसे वह गिरफ्त में आ ही जाते हैं। फिर तकनीक के दौर में अब प्रवर्तन एजेंसियों के पास तमाम वह संसाधन मौजूद हैं, जिनके बूते नियम विरुद्ध कृत्यों को पकड़ना पहले की तुलना में अधिक आसान हो गया है। ऐसा ही कुछ कर चोरी के मामले में भी संभव हो पाया है। स्टेट जीएसटी की एसआईबी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच) देहरादून ने ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (एएनपीआर) कैमरों की मदद से यह पता लगा लिया कि आयरन स्क्रैप का काम करने वाली फर्मों ने सरकार को 06 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। यह कैमरे देहरादून के तमाम स्थलों पर स्मार्ट सिटी कंपनी व कुछ खास जगह स्टेट जीएसटी ने भी लगाए हैं। इसी आधार पर एसआईबी की चार टीमों ने संबंधित फर्मों पर छापेमारी की और मौके पर ही 1.10 करोड़ रुपये जमा करवा लिए।

आयरन स्क्रैप फर्मों की जांच करते स्टेट जीएसटी के अधिकारी।

दरअसल, स्टेट जीएसटी के अधिकारियों को इस बात की जानकारी मिली थी कि दून की आयरन स्क्रैप की फर्में दून व हरिद्वार की अपंजीकृत फर्मों से माल खरीद रही हैं। अपंजीकृत फर्मों से की गई खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं दिया जाता है। यह जानते हुए भी फर्मों ने आईटीसी का फर्जी ढंग से लाभ लेने की योजना बनाई। इन फर्मों ने उत्तर प्रदेश व दिल्ली की फर्मों से खरीद के फर्जी बिल प्राप्त कर लिए। इन बिलों के आधार पर फर्मों ने करीब 06 करोड़ रुपये का फर्जी आईटीसी प्राप्त कर लिया।

जीएसटी के 40 कार्मिकों की टीम ने 05 ठिकानों पर मारा छापा
कर चोरी के प्रमाण मिल जाने के बाद स्टेट जीएसटी की एसआईबी ने अपर आयुक्त पीएस डुंगरियाल के निर्देशन और संयुक्त आयुक्त एसएस तिरुवा के नेतृत्व में आयरन स्क्रैप फर्मों के 03 कार्यालयों और 02 गोदाम पर छापा मारा। मौके से कारोबार और आय-व्यय से संबंधित तमाम दस्तावेज कब्जे में लिए गए। जिनकी जांच भी शुरू कर दी गई है। हालांकि, खुद पर शिकंजा कसता देख फर्म संचालकों ने कर चोरी स्वीकार करते हुए 1.10 करोड़ रुपये मौके पर ही जमा करा दिए। शेष राशि की वसूली अर्थदंड और ब्याज के साथ शीघ्र की जाएगी। छापा मारने वाली टीम में उपायुक्त सुरेश कुमार, निखिलेश श्रीवास्तव, मनीष मिश्रा, भुवन चंद्र पांडे, अजय बिरथरे, प्रेम चंद्र शुक्ला, जयदीप रावत, अमित कुमार, अवनीश पांडे, उमेश दुबे आदि शामिल रहे।

एएनपीआर कैमरों के रिकॉर्ड से सामने आया सच
आयरन स्क्रैप की फर्मों ने बाहरी राज्यों की जिन फर्मों से माल की खरीद के फर्जी बिल लगाए थे, उस खरीद को पुष्ट करने के लिए माल का परिवहन करने वाले ट्रकों के फोटो भी दर्ज भी किए गए थे। स्टेट जीएसटी के अधिकारी ने एएनपीआर कैमरों के रिकॉर्ड का गहन विश्लेषण करते हुए पाया कि बताए गए ट्रकों ने दून में प्रवेश ही नहीं किया है। इससे साफ हो गया कि बिना खरीद के ही फर्मों ने 06 करोड़ रुपये का क्लेम प्राप्त कर लिया।

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