policeUttarakhand

अब्दुल मलिक ने 25 साल पहले भी किया था पथराव, अबकी बार सरकार ने सिखाया सबक

बंजारा परिवार से ताल्लुक रखने वाला अब्दुल मलिक कभी लिकर किंग पोंटी चड्ढा का पार्टनर भी रहा, बरेली में पुलिस फोर्स पर कर चुका पथराव

Amit Bhatt, Dehradun: बनभूलपुरा दंगे का मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक 16 दिन बाद पुलिस के हत्थे चढ़ गया। हल्द्वानी के बनभूलपुरा को दंगे की आग में झोंकने का बाद मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक करीब 250 किलोमीटर दूर दिल्ली में पकड़ा गया। हालांकि, 08 फरवरी को दंगा भड़काने के बाद फरार अब्दुल मलिक को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस को खूब दौड़ लगानी पड़ी। इस दौरान पुलिस की करीब चार दर्जन टीम ने 08 राज्यों में 5000 किलोमीटर से अधिक का सफर तय किया। पुलिस की 11 टीम ने करीब 280 घरों में भी दबिश दी। पुलिस को छकाने के बाद गिरफ्त में आ चुका अब्दुल मलिक का लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास भी निकलर सामने आया है। दूसरी तरफ अब्दुल मलिक 25 साल पहले भी पुलिस पर पथराव कर चुका है। हालांकि, इस बार सरकार ने अब्दुल मलिक को ऐसा सबक सिखाया, जिसे वह ताउम्र याद रखेगा। क्योंकि, अबकी बार गिरफ्तारी से पहले अब्दुल मलिक पर आर्थिक रूप से भी करारी चोट की गई। करीब 2.44 करोड़ रुपये की आरसी (रिकवरी सर्टिफिकेट) जारी करने के क्रम में उसके 24 कमरों के आलीशान भवन व विभिन्न संपत्ति को कुर्क किया जा चुका है। बनभूलपुरा कांड में पुलिस अब तक 07 वांटेड समेत 82 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। अभी अब्दुल मलिक के वांटेड बेटे मोइद को गिरफ्तार किया जाना बाकी है। बताया गया कि बाप-बेटे अलग-अलग फरार हुए थे।

अब्दुल मलिक को बताया जा रहा दंगे का मास्टरमाइंड।

पुलिस के रिकॉर्ड में वर्ष 1983 से चढ़ने लगा था अब्दुल मलिक का नाम
बनभूलपुरा दंगे का मास्टमाइंड अब्दुल मलिक करीब 25 साल पहले भी पथराव व आगजनी की घटना को अंजाम दे चुका है। जबकि उसका नाम पुलिस रिकॉर्ड में वर्ष 1983 से ही चढ़ना शुरू हो गया था। अब्दुल पर वर्ष 1983, 1986, 1991 और वर्ष 1998 में सात मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसमें हत्या के प्रयास के 04 और हत्या के आरोप का 01 मुकदमा है। बनभूलपुरा के ही रऊफ सिद्दीकी की हत्या का मुकदमा अब्दुल के विरुद्ध वर्ष 1998 में बरेली के भोजीपुरा थाने में दर्ज किया गया था। वर्ष 1998 में ही पुलिस ने अब्दुल पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) के तहत भी कार्रवाई की थी। क्योंकि, रऊफ सिद्दीकी की हत्या के मामले में जब पुलिस अब्दुल को गिरफ्तार करने पहुंची थी तो उसने फोर्स पर भारी पथराव कराते हुए आगजनी भी करवाई थी। इसमें कई सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचा था। तब फायरिंग की नौबत भी आ गई थी। आरोप है तब से अब तक बेशुमार दौलत एकत्रित कर चुके अब्दुल मलिक ने 25 साल पुरानी कहानी दोहराई जरूर, लेकिन इस बार वह पुलिस के जाल में बुरी तरह फंस चुका है। यदि अब्दुल पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी कार्रवाई करता है तो उसका पूरा साम्राज्य मटियामेट होना तय है।

दंगे से पूर्व अतिक्रमण हटाने को लेकर नगर निगम अधिकारी से बहस करता अब्दुल मलिक।

वकीलों ने बताया अब्दुल का पता, पुलिस ने दबोच लिया
अब्दुल मलिक को गिरफ्तारी से बचाने के लिए उसके वकीलों ने हल्द्वानी की एक अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। यह याचिका शनिवार को दायर की गई थी। जिस पर 27 फरवरी को सुनवाई होनी थी। हालांकि, सुनवाई से पहले ही पुलिस ने अब्दुल को दबोच लिया। बताया जा रहा है कि वकीलों ने जो अग्रिम जमानत दायर की थी, उसमें दिल्ली का एक पता दिया गया था। पुलिस को यह इनपुट मिल गया। इसके बाद उस पते पर पुलिस की टीम भेजी गई। वहां 16 दिनों से गायब चल रहा अब्दुल मलिक मिल गया। पुलिस ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया।

अब्दुल मलिक दंगे से पहले ही परिवार सहित हो गया था फरार
पुलिस के मुताबिक अब्दुल मालिक को अतिक्रमण हटाने के दौरान उपद्रव होने की पूर्व जानकारी/आशंका थी। इसी हिसाब से उसने तैयारी की थी। उसके परिजन पहले ही घर से चले गए थे। मलिक घटना के बाद अपनी कार से फरार हुआ। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश से होते हुए दिल्ली पहुंचा। पुलिस के दिल्ली पहुंचने की भनक लगते ही उसने अपना आगे का सफर तय करना शुरू कर दिया। पुलिस से बचने के लिए उसने गुजरात, मुंबई व भोपाल में जाकर शरण ली। पुलिस के अनुसार, गुजरात, मुंबई व भोपाल में मलिक की रिश्तेदारी है। उसका खुद का भी साम्राज्य है। इसलिए कुछ दिन मुंबई व भोपाल में छुपा रहा। जब पुलिस ने उसके करीबियों व संपत्ति की जानकारी जुटाई तो मलिक को पकड़े जाने का डर सताने लगा। इसलिए उसने वापस दिल्ली में आकर शरण ले ली।


आरोपी अब्दुल मलिक के घर की कुर्की के दौरान जब्त सामान को ले जाता ट्रक।

कुर्की में मिली सऊदी की करेंसी, माल इतना कि 06 ट्रक भर गए
नैनीताल प्रशासन व पुलिस ने जब आरोपी अब्दुल मलिक के घर की कुर्की शुरू की तो वहां इतना माल मिला कि 06 ट्रक भर गए। करीब 13 घंटे चली कुर्की की कार्रवाई में मलिक के घर से सऊदी अरब समेत बांग्लादेश, नेपाल आदि देशों की मुद्राएं भी मिली। टीम ने आरोपी के घर से जिम की विभिन्न मशीनों के साथ ही फैंसी सोफा सेट, महाराजा डाइनिंग सेट, फ्रिज, अलमारी, विदेशी ब्रांड की घड़ियां, अरब देशों के इत्र, एसी, टीवी, कंप्यूटर, प्रिंटर, गीजर, ऑयल हीटर, तलवार, ज्वेलरी, पंखे, अपरदे, दरवाजे, खिड़कियां, स्कूटी व विभिन्न इलेक्ट्रानिक्स आदि सामान जब्त किए। इसी तरह अन्य वांटेड एजाज के घर की कुर्की भी की गई।

बंजारा परिवार का अब्दुल मलिक बन गया बड़ा खिलाड़ी
अब्दुल मालिक का वास्ता बंजारा परिवार से रहा है। हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अब्दुल मलिक के दादा आजादी से पहले आकर बस गए थे। दादा और पिता दोनों ने गांव-गांव जाकर गेहूं व चावल खरीदना शुरू किया। कम दाम पर अनाज खरीदकर उचित दामों पर बेचा जाता था। बंजारा परिवार में अब्दुल मलिक पांच भाइयों में सबसे छोटा है। इसकी पैदाइश बनभूलपुरा की है।

मलिक ने वर्ष 2004 में राजनीती में भी आजमाया हाथ
वर्ष 1960 में मलिक के ताऊ अब्दुल्ला हल्द्वानी के पालिकाध्यक्ष रहे चुके हैं। उन्हीं के नाम से बरेली रोड पर अब्दुल्ला बिल्डिंग है। मलिक ने हर काम में हाथ आजमाया। मलिक ने वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के फरीदाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ा। उसे 71,459 वोट मिले, मगर चुनाव हार गया। मलिक की वापसी फिर हल्द्वानी में हुई। अपने रसूख और धनबल से अब्दुल मलिक बनभूलपुरा के मुस्लिम समुदाय में बड़ा नाम बन गया।

लिकर किंग पोंटी चड्डा के साथ किया काम
मलिक के साथ पढ़ने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि शराब कारोबारी पोंटी चड्डा ने गोला में जब खनन का काम किया था, तब उसका पार्टनर अब्दुल मलिक भी बना था। काम को उसी ने संभाला, लेकिन पार्टनरशिप ज्यादा दिन नहीं चली। शायद यह साझेदारी दोबारा शुरू हो पाती, लेकिन नवंबर 2012 में पोंटी चड्ढा की हत्या कर दी गई थी।

हल्द्वानी में दंगे के बाद का आलम।

बनभूलपुरा हिंसा में पिछली कार्रवाई और प्रभाव के अपडेट
हल्द्वानी के मुस्लिम बाहुल्य बनभूलपुरा में बेकाबू भीड़ ने गुरुवार 08 फरवरी 2024 की शाम को न सिर्फ जमकर आगजनी की थी, बल्कि पुलिस और प्रशासन की टीम पर हमला भी बोल दिया था। चौतरफा पत्थर बरसाए गए। साथ ही गोलियां चलाने के साथ ही थाने में आग लगाकर कई वाहन भी फूंक दिए गए। इस दंगे में 05 व्यक्तियों की मौत की पुष्टि की गई। जबकि 250 से अधिक घायल बताए गए। दंगे में क्षेत्र के उपजिलाधिकारी, एसपी, निगम के कार्मिकों सहित कई पुलिस कर्मी भी चोटिल हुए। पुलिस ने उपद्रव, आगजनी, तोड़फोड़, सरकारी संपत्ति को नुकसान व सरकारी कार्य में व्यवधान आदि गंभीर धाराओं में तीन अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए। चार उपद्रवियों को अगले दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके साथ ही 5000 अज्ञात व्यक्तियों पर केस दर्ज करते हुए 19 को नामजद भी किया गया। सभी पर एनएसए के तहत कार्रवाई की जा रही है। मामले में 10-15 उपद्रवियों की सक्रिय भूमिका सामने आई, जिन्होंने लोगों को भड़काने का काम किया। प्रशासन के अनुसार 30 जनवरी को जब क्षेत्र के घर व छतों में चेकिंग की गई तो पत्थर व ईंट आदि नहीं थी। इसके बाद नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने के नोटिस दिए जाने के बाद उपद्रवियों ने सोची समझी साजिश के तहत छतों पर पत्थर एकत्र कर लिए।

हिंसा को देखते हुए क्षेत्र में कर्फ्यू लगाने के साथ ही इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कल से ही हालात की समीक्षा करने के साथ ही दिशा-निर्देश जारी करते रहे। शुक्रवार 09 फरवरी 2024 को मुख्य सचिव (सीएस) राधा रतूड़ी और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अभिनव कुमार ने भी हल्द्वानी पहुंचकर हालात का जायजा लिया। स्थिति को देखते हुए डीएम वंदना ने रात में ही कर्फ्यू लगाते हुए उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश भी जारी कर दिए थे। हालात को काबू में रखने के लिए चार कंपनी पीएसी समेत जिलेभर के थाने व चौकियों का स्टाफ बनभूलपुरा में तैनात किया गया है। शुक्रवार को बाजार एवं सभी स्कूलों को बंद रखा गया है। इसके अलावा क्षेत्र में पैरा मिलिट्री फोर्स को भी लगाया गया है। तनाव की स्थिति को देखते हुए हल्द्वानी और काठगोदाम रेलवे स्टेशन से ट्रेनों का संचालन ठप कर दिया गया। सभी ट्रेनों का आवागमन लालकुआं रेलवे स्टेशन से किया गया।

नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना और एसएसपी पीएस मीणा ने शुक्रवार 09 फरवरी 2024 की सुबह प्रभावित क्षेत्र बनभूलपुरा का जायजा लिया। जिलाधिकारी वंदना ने कहा कि गुरुवार शाम सुनियोजित साजिश के तहत थाने पर हमला किया गया। थाने पर पेट्रोल बम फेंककर आगजनी की गई। उपद्रवियों ने महिलाओं व बच्चों को आगे कर अराजकता की। घरों की छतों से पथराव किया गया। पूरी घटना कानून-व्यवस्था पर हमला है। उपद्रवियों से सख्ती से निपटा जाएगा। सुरक्षा के लिए पांच कंपनी आरएएफ व सीआरपीएफ भी बुलाई गई है। 1100 से अधिक पुलिसकर्मी मुस्तैद किए गए थे। क्षेत्र में सुबह से फ्लैग मार्च किया जाता रहा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के 24 घंटे के भीतर बनभूलपुरा में खोली गई अस्थायी पुलिस चौकी।

उपद्रव करने में 100 से अधिक चिह्नित
बनभूलपुरा प्रकरण में पुलिस ने जगह-जगह सीसीटीवी की डीवीआर कब्जे में ले ली हैं। 100 से ज्यादा उपद्रवी चिन्हित किए गए। अभी भी बवाल की आशंका को लेकर पुलिस अलर्ट मोड में है। शहर में कर्फ्यू से लोग घरों में कैद हैं। पुलिस के वाहन हर गली-मोहल्ले में पहुंच लोगों को सजग कर रहे हैं। उपद्रवियों के जंगलों में छुपे होने की आशंका पर वन विभाग के अधिकारी भी गश्त कर रहे हैं। दंगे के चलते जनजीवन बुरी तरह प्रभावित दिख रहा है। तनाव के बीच रोडवेज व टैक्सी वाहनों का संचालन भी प्रभावित है। रोडवेज प्रबंधन ने सुरक्षा को देख बसों का संचालन रोक दिया था। हालांकि, बनभूलपुरा छोड़कर हल्द्वानी शहर में दुग्ध उत्पादों की सप्लाई सुबह जारी रही। मंडी में फल-सब्जियां तो पहुंची, लेकिन खरीदार नहीं पहुंचने से पर्वतीय क्षेत्रों को भी आपूर्ति नहीं हो सकी है। कर्फ्यू से पेट्रोल पंपों पर भी ताला है। हल्द्वानी के सभी 28 पेट्रोल पंप बंद रहे और गैस सिलेंडर सप्लाई भी प्रभावित रही। हालांकि, अब हालत सामान्य हो चुके हैं।

यह है बनभूलपुरा का प्रकरण
बनभूलपुरा प्रकरण वैसे तो 20 साल पुराना है, लेकिन पिछले साल रेलवे की भूमि पर बसी 50 हजार की आबादी वाली बस्ती को खाली कराने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया था। पुलिस-प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए पूरी तैयारी भी कर ली थी। इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और वर्तमान में विचाराधीन है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बनभूलपुरा के मलिक का बगीचा में पिछले दिनों नगर निगम और प्रशासन की टीम अतिक्रमण के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए पहुंची थी। इस दौरान यहां अवैध मदरसा और नमाज स्थल भी मिला। गुरुवार दोपहर बाद सवा चार बजे करीब पुलिस, प्रशासन और नगर निगम की टीम बुलडोजर लेकर अतिक्रमण तोड़ने पहुंची थी। प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के अलावा पुलिस व निगम कर्मचारी मिलाकर करीब 700 लोगों की फोर्स थी, लेकिन जैसे ही बुलडोजर और टीम आगे बढ़े, चारों तरफ से पथराव शुरू हो गया। देखते ही देखते करीब 10 हजार से अधिक मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ जुट गई। सड़क से लेकर घरों की छतों से पत्थर बरसने लगे। एसडीएम कालाढूंगी रेखा कोहली, एसपी हरबंस सिंह, एसओ प्रमोद पाठक समेत पुलिस, निगमकर्मी संग पत्रकारों को पत्थर लगे। छह बजे तक बवाल पूरे क्षेत्र में फैल चुका था। भारी संख्या में उपद्रवी बनभूलपुरा थाने पहुंच गए। जहां उन्होंने थाने के बाहर खड़े पुलिस व मीडियाकर्मियों के एक दर्जन से अधिक वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा अलग-अलग इलाकों में 50 से अधिक वाहन जलाए गए हैं। इसमें पीएसी व पुलिस की दो बस, सड़कों पर खड़े चौपहिया व दोपहिया वाहन शामिल हैं। दर्जनों वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया है।

हाई कोर्ट ने बनभूलपुरा मामले में राहत देने से किया इन्कार
हाई कोर्ट ने हल्द्वानी में बनभूलपुरा क्षेत्र के मलिक का बगीचा व अच्छन खान के बगीचे में अतिक्रमण ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक व अन्य को किसी तरह की राहत नहीं देते हुए अगली सुनवाई की तिथि 14 फरवरी नियत कर दी है। यह मामला इतना संवेदनशील था कि सरकार की ओर से महाधिवक्ता व अन्य सरकारी अधिवक्ता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह भूमि बिना कमिश्नर की अनुमति के कई बार हस्तांतरित की गई है, जबकि यासीन मलिक को यह भूमि कृषि उपयोग के लिए दी गई थी। शर्त यह थी कि इसमें बिल्डिंग नहीं बनाई जाएगी। यह भूमि ट्रांसफर नहीं हो सकती, लेकिन फिर भी बिक्री कर दी गई, जो नियम विरुद्ध है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उनके पास 1937 की लीज है, जो मलिक परिवार से मिली है। सरकार इसमें कब्जा नहीं ले सकती। नगर निगम की ओर से जारी नोटिस में मदरसे को अवैध बताते हुए ध्वस्त करने को कहा गया है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button