अफसरों के ढांचे में 03 बार संशोधन, कर्मचारियों की फाइल सालभर से डंप
राज्य कर विभाग के मिनिस्टीरियल कर्मियों ने ढांचे में वृद्धि न होने पर गेट मीटिंग कर जताया आक्रोश
Amit Bhatt, Dehradun: राज्य कर (स्टेट जीएसटी) विभाग के मिनिस्टीरियल कर्मचारी ढांचे में वृद्धि न किए जाने से आक्रोशित हैं। कर्मचारियों ने गुरुवार को गेट मीटिंग करते हुए आरोप लगाया कि अधिकारियों के ढांचे में तीन बार संशोधन किया जा चुका है। वहीं, कर्मचारियों के ढांचे में वृद्धि का प्रस्ताव सालभर से शासन में डंप है। अधिकारी इसकी उचित पैरवी करने की भी जहमत नहीं उठा रहे।
उत्तराखण्ड राज्य कर मिनिस्टीरियल स्टाफ एसोसिएशन, उत्तराखंड की प्रांतीय कार्यकारिणी की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार कर्मचारियों की 02 सूत्रीय दीर्घकालीक लंबित मांगों जैसे-राज्य कर मिनिस्टीरियल कार्मिकों के ढांचे को स्वीकृत किए जाने एवं राज्य कर अधिकारी सेवा नियमावली के संबंध में शासन स्तर से कोई निर्णय नहीं लिए जाने के विरोध में आज दिनांक 07.03.2024 को मुख्यालय में पूर्वनियोजित कार्यकमानुसार गेट मीटिंग का आयोजन किया गया। गेट मीटिंग के दौरान शाखा अध्यक्ष कैलाश सिंह बिष्ट ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज कर्मचारी अपनी जायज मांगों को पूरा करवाने के लिए भी आंदोलनरत हैं, बड़ी विडंबना है कि राज्य गठन के बाद जहां विभागीय अधिकारियों के ढांचे में तीन बार वृद्धि होने एवं नए कार्यालयों का सृजन किया जा चुका है, वहीं शासन और विभागीय अधिकारी कर्मचारियों के ढांचे में वृद्धि के लिए ठोस प्रयास करने को तैयार नहीं हैं।
जिसके परिणामस्वरूप विभागीय कर्मचारियों पर कार्य का अत्यधिक भार बढ़ता जा रहा है, जिससे कर्मचारियों की स्थिति गंभीर होती जा रही है। कर्मचारी मानसिक दबाव में कार्यरत हैं। कार्याधिक्य को दृष्टिगत रखते हुए कर्मचारियों के ढांचे में वृद्धि किया जाना नितांत आवश्यक है। कर्मचारियों के ढांचे में वृद्धि किए जाने हेतु गत वर्ष विभाग द्वारा प्रस्ताव शासन को प्रेषित कर अधिकारियों ने कार्य की इतिश्री कर ली है। उनके द्वारा प्रस्ताव के पक्ष में कोई ठोस वार्ता/ पैरवी शासन स्तर पर नहीं की जा रही है। इसके अतिरिक्त राज्य कर अधिकारी नियमावली में संशोधन किए जाने के संबंध में 02 वर्ष पूर्व शासन को प्रेषित प्रस्ताव में भी आतिथि तक कोई कार्यवाही न होना भी शासन का कर्मचारियों की मांगों के प्रति गंभीर नहीं होना दर्शाता है।
गेट मीटिंग को संबोधित करते हुए प्रांतीय सलाहकार मनमोहन सिंह नेगी ने कहा कि विगत लंबे समय से कर्मचारी अपनी जायज मांगो को लेकर विभागीय अधिकारियों एवं शासन से गुहार लगाते रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों पर कार्याधिक्य का दबाव कम करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहा है। जिसे देखते हुए कर्मचारियों को आज अपनी जायज मांगों को शासन एवं सरकार तक पहुंचाने के लिए आंदोलनरत होना पड़ा है। यदि समय रहते हमारी मांगो पर उचित निर्णय नहीं लिया गया तो संगठन आंदोलन को आगे बढ़ाए जाने हेतु ठोस रणनीति तैयार करेगा।
कर्मचारियों को संबोधित करते हुए प्रांतीय संरक्षक भरत सिंह राणा ने कहा कि विभाग के संशोधित ढांचे को स्वीकृत किए जाने से न सिर्फ विभागीय कर्मचारियों को पदोन्नति के अवसर प्राप्त होंगे, बल्कि प्रदेश के नवयुवकों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। उन्होने कहा कि राज्य कर विभाग राजस्व सृजन का प्रमुख स्रोत है एवं यह सर्वविदित है कि राजस्व वृद्धि में कर्मचारी मील का पत्थर हैं।
प्रांतीय प्रवक्ता सुनील कुमार ने कहा कि आज कर्मचारी सीधे अपनी मांगो को लेकर आंदोलन की ओर बढ़ा है, संगठन के पदाधिकारियों द्वारा लगातार विभिन्न अवसरों पर विभागीय उच्चाधिकारियों एवं शासन को कर्मचारियों की कमी एवं अन्य जायज मांगो के संदर्भ में अवगत कराता रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि विभागीय अधिकारी एवं शासन कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील नहीं है और उनकी मांगो पर भी विचार नहीं किया जा रहा है, जो कि अत्यंत खेदजनक है।
इस अवसर पर अन्य वक्ताओं द्वारा सभा को अपने विचारो से अवगत कराते हुए एकजुट होकर अपने हितों की रक्षा किए जाने का आवाह्न किया गया। मीटिंग में विपिन डंगवाल, राजेन्द्र दत्त जोशी, रूबी ममगाईं परिहार, भूपेंद्र भंडारी, अनुज जैन, नरेंद्र राणा, जसवंत खोलिया, सुरक्षा, सतविन्दर कौर, अनुराग चंचल, पुनीत डबराल, विकास मौर्य, सुधीर, प्रदीप यादव, राकेश बिष्ट, रंजीता, प्रकाश असवाल, बीना मैठाणी, रजनीश रावत, विकास पंवार, जितेंद्र बिष्ट, मंजीत बम, हरीश पंवार, राजेंद्र सिंह बिष्ट, अमित कोठारी, संजय सिंह, जीत सिंह, तुलसी, शंकर सिंह, अरविंद सिंह चौहान, रमैनी, नरेंद्र सिंह, मनीष धस्माना, यशवीर, मुकेश कुमार आदि कर्मचारी उपस्थित रहे।