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इंतजार करते रहे ईडी अफसर और नहीं पहुंची अनुकृति, हरक को सुप्रीम फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राजनेता और वन विभाग के अधिकारियों ने सांठगांठ से वनों का कर दिया बेड़ा गर्क

Amit bhatt, Dehradun: कार्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ कटान और नियम विरुद्ध खरीदी गई हजारों बीघा जमीन मामले में पूर्व वन मंत्री व कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत की मुश्किलें निरंतर बढ़ती दिख रही हैं। वह भले ही अभी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश होने से बच रहे हैं, लेकिन उनके करीबियों व स्वजनों की निरंतर पेशी हो रही है। इसी क्रम में ईडी ने पूर्व मंत्री हरक सिंह की पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को गुरुवार को ईडी के समक्ष पेश होना था, लेकिन वह नहीं पहुंचीं। ईडी अधिकारी दिनभर उनके इंतजार में रहे। अब ईडी दोबारा नोटिस भेजकर उन्हें तलब करने की तैयारी में है।इससे पहले ईडी अधिकारी हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत व उनकी करीबी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा व आइएफएस अधिकारी सुशांत पटनायक से पूछताछ कर चुकी है।

दूसरी तरफ सीबीआई जांच और ईडी के फंदे में फंसे पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत को अब सुप्रीम कोर्ट ने भी जमकर लताड़ लगाई है। कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में बेहिसाब पेड़ कटान और अंधाधुंध निर्माण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व वन मंत्री हरक सिंह और पूर्व डीएफओ किशनचंद को फटकार लगाते हुए कहा, कि राजनेता और वन विभाग के अधिकारियों ने सांठगांठ कर पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया। प्रकरण में कोर्ट ने सीबीआई जांच जारी रखने और तीन माह में स्टेटस रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है। कोर्ट ने प्रकरण को गंभीर मानते हुए खुलेआम जनता के साथ विश्वासघात किए जाने की टिप्पणी की है।

बुधवार को न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति पीके मिश्रा और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की संयुक्त पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजनेताओं और वन अधिकारियों के बीच सांठगांठ के परिणामस्वरूप पर्यावरण को भारी क्षति हुई है। पर्यावरण कार्यकर्ता और अधिवक्ता गौरव बंसल की ओर से दायर याचिका में पाखरो टाइगर सफारी में अवैध निर्माण के साथ-साथ पेड़ों की अवैध कटाई के कारण बाघों के निवास स्थान को नष्ट करने और बाघ घनत्व में गिरावट का आरोप लगाया गया था।

पाखरो रेंज

सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने पहले हरक सिंह रावत और किशन चंद को सीटीआर में कालागढ़ वन प्रभाग के पाखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्रों में 2021 में बाघ सफारी के संबंध में निर्माण सहित विभिन्न अवैध गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया था। शीर्ष न्यायालय को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने रावत और चंद को पाखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्रों में अवैध निर्माण गतिविधियों का दोषी ठहराया।

उत्तराखंड सतर्कता विभाग को अनियमितताओं में शामिल वन अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही जारी रखने के लिए हरी झंडी भी दे दी थी। समिति ने कहा था कि जब मीडिया पाखरो और मोरघट्टी में सभी प्रकार की गड़बड़ियों की रिपोर्ट कर रहा था, तब भी तत्कालीन मुख्य वन्यजीव वार्डन और राज्य सरकार ने दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की।

संयुक्त पीठ ने कहा कि चूंकि मामले की जांच सीबीआई के पास लंबित है। इसलिए हम इस मामले पर आगे कोई टिप्पणी करने का प्रस्ताव नहीं रखते हैं। हमने यह भी देखा है कि यह केवल दो व्यक्तियों द्वारा नहीं किया जा सकता है। इसमें कई अन्य व्यक्ति भी शामिल रहे होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के अधीन कार्बेट के परिधीय और बफर जोन में बाघ सफारी की स्थापना की अनुमति दे दी है।

ईडी भी बढ़ा सकती है चुनाव से पहले हरक की मुश्किलें

पाखरो टाइगर सफारी प्रकरण में मनी लांड्रिंग के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी जांच में जुटी है। हरक सिंह के ठिकानों पर छापेमारी के बाद पूछताछ के सिलसिला जारी है। हालांकि, हरक सिंह ईडी से बचते फिर रहे हैं, लेकिन चुनाव से पहले उनकी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। दो बार समन भेजने के बावजूद हरक सिंह पूछताछ के लिए ईडी कार्यालय में पेश नहीं हुए। जबकि, उनकी करीबी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा और हरक सिंह की पत्नी दीप्ति रावत से ईडी घंटों पूछताछ कर चुकी है। अब हरक सिंह के खिलाफ ईडी कड़ा कदम उठाने की तैयारी में है।

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