डीआरडीओ के जिस वैज्ञानिक के दफ्तर से बम, हथियार और शराब मिली, उसकी होगी ताजपोशी?
ब्रह्मोस के पूर्व सीईओ सुधीर मिश्रा को राजा रमन्ना चेयर देने की तैयारी, शिकायतों पर गठित जांच कमेटी ने दे दी क्लीनचिट, रिटायरमेंट के बाद घर ले गए थे इंडो-रसिया सीक्रेसी की फाइल
Amit Bhatt, Dehradun: डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के जिस वरिष्ठ वैज्ञानिक सुधीर मिश्रा को रिटायरमेंट के बाद संगठन के ही तहत प्रतिष्ठित राजा रमन्ना चेयर सौंपने की तैयारी की जा रही है, उन पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। यहां तक कि रिटायरमेंट के बाद जब वह दफ्तर से अपना सामान घर ले गए थे, तो उसमें 100 बोतल विदेशी ब्रांड की शराब भी शामिल थी। जिन दस्तावेजों का कार्टन वह अपने साथ लेकर गए थे, उसमें से बाद में उन्हें इंडो-रसिया सीक्रेसी जैसी संवेदनशील फाइल लौटानी पड़ी थी। साथ ही उनके दफ्तर से बाद में 01 एके-47, 01 रॉकेट लॉन्चर और 04 बम भी मिले थे। जिनकी कार्यालय में कोई एंट्री नहीं थी। हालांकि, राजा रमन्ना की चेयर उन्हें सौंपने के लिए जो जांच कमेटी गठित की थी, उसने पूर्व सीईओ को क्लीनचिट दे दी। तमाम बातों के समाधान के बिना इस क्लीनचिट पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। ऐसे में मांग उठ रही है कि क्या प्रकरण में नए सिरे में उच्च स्तरीय या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए जाने की जरूरत नहीं है?
रिटायरमेंट के बाद सुधीर मिश्रा लंबे समय से राजा रमन्ना चेयर के लिए प्रयास कर रहे थे। हालांकि, उनके खिलाफ विभिन्न शिकायतें दर्ज होने के चलते बात नहीं बन पा रही थी। लिहाजा, इस स्थिति को देखते हुए अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर महानिदेशक इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन सिस्टम (एसीएस) डॉ बीके दास की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर दी गई। पूर्व विज्ञानी पर शिकायत में लगाए गए आरोपों को देखते हुए कुछ समय यह निर्णय टाला गया, लेकिन, संभवतः उच्च हस्तक्षेप के चलते उन्हें क्लीनचिट दे दी गई। रिपोर्ट शीघ्र देने को लेकर कमेटी अध्यक्ष पर दबाव की बात भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि कमेटी ने क्लीनचिट देने से पहले तमाम व्यक्तियों से बात की। लेकिन, किसी भी स्तर से यह पुष्ट नहीं किया जा सका कि शिकायत में जो आरोप लगाए गए हैं, वह बेबुनियाद हैं या सही हैं। किसी ने भी यह नहीं बताया कि डॉक्युमेंट्स के 08 कार्टन में ब्रह्मोस से संबंधित संवेदनशील फाइल थी या नहीं या कमेटी ने पूछताछ में शामिल व्यक्तियों से क्या यह पूछा कि कार्टन में किस तरह के दस्तावेज थे? क्या उन्होंने दस्तावेजों को देखा था? क्या कमेटी ने शिकायत में लगाए गए आरोपों का बिंदुवार परीक्षण किया?
20 वॉल पेंटिंग की प्रकृति कैसी थी?
ब्रह्मोस के पूर्व सीईओ अपने कार्यालय से 20 वॉल पेंटिंग भी अपने साथ ले गए थे। जिस लॉजिस्टिक फर्म को सामान ले जाने के लिए अधिकृत किया गया, उसके पत्र में 20 वॉल पेंटिंग का जिक्र भी है। जांच कमेटी को इन पेंटिंग्स की प्रकृति भी स्पष्ट करनी चाहिए। क्योंकि, यह सामान भी रक्षा मंत्रालय के अधीन कार्यालय से बाहर गया है। अब के परिवेश में कोई पेंटिंग लाखों या करोड़ों रुपये की भी हो सकती है। यह भी देखा जाना चाहिए कि पेंटिंग का स्रोत और उनकी खासियत क्या थी। क्या ये कार्यालय की संपत्ति थी?
इन आरोपों और बिंदुओं का समाधान जरूरी
-पूर्व सीईओ सुधीर मिश्रा के दफ्तर में विदेशी ब्रांड की 100 बोतल शराब कैसे आई।
-पूर्व सीईओ सुधीर मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद जो हथियार और बम पाए गए, उनके लाए जाने की एंट्री क्यों नहीं मिली। यदि यह जायज थे तो इन्हें ले जाने के लिए बाद में पुणे स्थित आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (एआरडीई) से विशेष वाहन क्यों मंगवाया गया।
-जो 08 कार्टन डॉक्युमेंट्स सुधीर मिश्रा अपने साथ ले गए, उनमें कितने संवेदनशील दस्तावेज थे।
-इंडो-रसिया सीक्रेसी जैसी संवेदनशील फाइल को सुधीर मिश्रा दफ्तर से अपने घर क्यों ले गए। यह फाइल भी मांगे जाने पर लौटाई गई।