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एम्स में चिकित्सक ने महिला नर्सिंग स्टाफ को जड़ा थप्पड़, डॉक्टर पर मुकदमा

महिला नर्सिंग अधिकारी के साथ विवाद के 02 वीडियो वायरल, एम्स प्रशासन ने चिकित्सक को निलंबित कर जांच बैठाई

Amit Bhatt, Dehradun: ऋषिकेश एम्स में लगता है बहुत कुछ गड़बड़ चल रहा है। अभी नर्सिंग स्टाफ के महिला रेजिडेंट चिकित्सक के साथ छेड़छाड़ और अभद्रता का मामला भी ढंग से शांत नहीं हुआ था कि अब एक चिकित्सक पर महिला नर्सिंग स्टाफ को थप्पड़ मारने का आरोप लग गया है। चिकित्सक और नर्सिंग स्टाफ के बीच तीखी झड़प और गालीगलौज का वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है। इस घटना के बाद एम्स प्रशासन ने चिकित्सक को निलंबित कर दिया है। साथ ही चिकित्सक डॉ आशीष (यूरोलॉजी विभाग) पर नर्सिंग अधिकारी निशा साहनी (यूरोलॉजी विभाग) की तहरीर पर हिंसा के आरोप में ऋषिकेश कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रकरण में नर्सिंग प्रोफेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन ने चिकित्सक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई न किए जाने की दशा में मंगलवार से मौन हड़ताल पर जाम का अल्टीमेटम दिया है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक शनिवार को एक मरीज को ऑपरेशन के बाद ऑपरेशन थिएटर (ओटी) से बाहर ले जाने को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर और महिला नर्सिंग अधिकारी के बीच विवाद हो गया। इस घटना के वायरल वीडियो में डॉक्टर चीखते हुए नर्सिंग स्टाफ को मरीज को बाहर ले जाने के लिए कह रहे हैं। तभी बात हाथापाई तक पहुंच जाती है। अन्य स्टाफ दोनों को रोकने और हाथ पकड़ने का प्रयास करते दिख रहे हैं। महिला नर्सिंग ने डॉक्टर पर थप्पड़ मारने का आरोप लगाया है। एम्स ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी संदीप कुमार के मुताबिक डॉक्टर को निलंबित कर दिया गया है। प्रकरण की जांच की जा रही है।

इससे पूर्व मई में एक महिला रेजिडेंट डॉक्टर के पुरुष नर्सिंग स्टाफ पर छेड़छाड़ का आरोप लगाने के बाद एम्स में जमकर विवाद हुआ था। घटना के बाद डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के बीच सीधे तौर पर विवाद की बात भी सामने आई थी। तब नर्सिंग अधिकारी सतीश कुमार की गिरफ्तारी के बाद मामला कुछ शांत हुआ था। हालांकि, भीतर ही भीतर सुलग रही इस चिंगारी ने शनिवार की घटना के बाद नया रूप ले लिया है।

बता दें कि ऋषिकेश एम्स भ्रष्टाचार को लेकर भी विवादों में है। यहां सीबीआई जांच भी चल रही है और तमाम डॉक्टर, एम्स प्रशासन के अधिकारी और अन्य सीबीआई की कार्रवाई की जद में हैं। सीबीआई कई बार एम्स में छापेमारी भी कर चुकी है। इस तरह की स्थिति एम्स प्रशासन की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। ऐसे में एम्स में चिकित्सा व्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

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