अस्पताल के खर्चों में मरीजों को राहत, शुल्कों में कमी के साथ अब सालाना शुल्क भी नहीं बढ़ेंगे
वित्त मंत्री ने दी मरीजों और तीमारदारों को राहत, चिकित्सा सेवा शुल्कों को किया गया कम
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के सरकारी चिकित्सालयों में अब मरीजों को पर्चा बनाने (ओपीडी) से लेकर आईपीडी पंजीकरण के लिए कम शुल्क देना होगा। इसके साथ ही एंबुलेंस सेवा और बेड चार्ज भी घटाए गए हैं। प्रदेश के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अस्पताल के शुल्कों में कमी के प्रस्ताव पर अपना अनुमोदन दिया है। जल्द ही यह राज्य के सरकारी चिकित्सालयों में लागू होगा। जिससे जनसामान्य पर अनावश्यक वृद्धि का भार कम होगा। खास बात यह भी कि अब अस्पतालों के शुल्कों में सालाना बढ़ोतरी पर विराम लगा दिया गया है। इसकी जगह तीन वर्ष बाद शासन स्तर पर समीक्षा कर उचित निर्णय किया जाएगा।
वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों एवं कमजोर आर्थिक स्थितियों के कारण पर्वतीय जनपदों में आम जनमानस केवल राजकीय चिकित्सालयों पर ही निर्भर हैं। इसके चलते राज्य सरकार ने चिकित्सा सेवा शुल्क की दरों को कम करने का निर्णय लिया है। वित्त मंत्री के मुताबिक स्वास्थ्य केंद्र की ओपीडी में अभी तक 13 रुपये का शुल्क लिया जा रहा है, जिसे अब 10 रुपये किया गया हैं। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 15 रुपये से 10 रुपये, जबकि जिला व उप जिला चिकित्सालय में पर्चा बनाने के शुल्क को 28 से 20 रुपये किया गया है।
वित्त मंत्री अग्रवाल ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की आईपीडी में अभी तक 17 रुपये शुल्क लिया जा रहा है, जिसे अब 15 रुपये किया गया है। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में शुल्क को 57 से घटाकर 25 रुपये किया गया है, जबकि जिला व उप जिला चिकित्सालय में 134 रुपये के शुल्क को 50 रुपये किया गया है। विभागीय एंबुलेंस में अभी तक रोगी वाहन शुल्क को 05 किलोमीटर तक 315 रुपये न्यूनतम और अतिरिक्त दूरी के लिए 63 रुपये प्रति किलोमीटर लिया जा रहा है, जिसे 05 किलोमीटर तक 200 रुपये न्यूनतम तथा अतिरिक्त दूरी के लिए 20 रुपये प्रति किलोमीटर किया गया है।
उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीज को रेफर करने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा मरीजों से पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसी तरह उप जिला चिकित्सालय से जिला चिकित्सालय में रेफर करने पर जिला चिकित्सालय द्वारा भी पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब राज्य में यूजर्स चार्जेज में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि नहीं जाएगी। इसके विपरीत आम जनमानस एवं रोगियों के हित में यूजर्स चार्जेज में तीन वर्ष के बाद शासन स्तर पर समीक्षा की जाएगी।