सौर ऊर्जा से चमकेगा उत्तराखंड, पीएम सूर्यघर लाएगा क्रांति, सरकारी भवनों में 2026 तक 60 मेगावाट होगा उत्पादन
ऊर्जा सचिव डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताई राज्य की प्रतिबद्धता, अब तक 305 सरकारी भवनों में लग चुके 09 मेगावाट के प्लांट
Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड में सौर ऊर्जा चमक बिखेरने को तैयार है। प्रदेश सरकार इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। पीएम सूर्यघर योजना को सफल बनाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। एक कदम आगे बढ़कर लक्ष्य निर्धारित किए जा रहे हैं और उनकी प्राप्ति के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। वर्ष 2026 तक सरकारी भवनों के माध्यम से ही 60 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, अब तक 305 सरकारी भवनों में 09 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट लगाए भी जा चुके हैं। यह जानकारी बुधवार को सचिवालय में पत्रकार वार्ता के दौरान ऊर्जा सचिव डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम ने दी।
सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से रूबरू सचिव ऊर्जा डॉ सुंदरम ने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 1695 भवनों में 24.5 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट स्थापना के प्रस्ताव हैं। इसके लिए प्रथम चरण में 100 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। उन्होंने बताया कि पीएम सूर्यघर योजना में अभी तक राज्य में 25 हजार 888 आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं। इनमें से 31.5 मेगावाट क्षमता के 08 हजार 143 सोलर पावर प्लांट कमीशन भी हो चुके हैं। इसी तरह 2618 आवेदकों को केंद्रीय अनुदान निर्गत किया जा चुका है। इसके अलावा 5.59 मेगावाट क्षमता के 1348 प्लांट के लाभार्थियों को उरेडा के माध्यम से 7.03 करोड़ जारी किए जा चुके हैं।
सचिव ऊर्जा डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि 177 सरकारी भवनों और 408 आवासीय व व्यवसायिक भवनों में सोलर वाटर हीटर संयंत्र स्थापित किए गए हैं। 182 राजकीय विद्यालयों में ऊर्जा क्लब गठित किए गए हैं। 91 गांवों को मॉडल ऊर्जा दक्ष ग्राम के रूप में विकसित किया गया है। साथ ही 25 पर्यटक आवास गृहों में ऊर्जा ऑडिट कराया जा रहा है। पीएम सूर्यघर और मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना ऊर्जा उत्पादन के साथ ही स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल दूरदराज के क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी, बल्कि स्थानीय युवाओं व ग्रमीणों को रोजगार भी मिलेगा।
जियो थर्मल नीति पर चल रहा काम, गर्म पानी के स्रोतों से बनेगी ग्रीन इनर्जी
उत्तराखंड में गर्म पानी के स्रोतों की भी कमी नहीं है। जिनके माध्यम से ग्रीन इनर्जी की दिशा में प्रभावी कदम बढ़ाने की तैयारी है। ऊर्जा सचिव ने कहा कि राज्य में जियो थर्मल नीति बनाने पर काम चल रहा है। पूर्व में वाडिया हिमालय हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने जियो थर्मल की संभावनाओं पर अध्ययन किया है। प्रदेश में जोशीमठ समेत तमाम स्थलों पर गर्म पानी के स्रोत खोजे गए हैं। इसमें उत्तराखंड को व्यापक संभावनाओं वाला क्षेत्र बताया गया है। लिहाजा, प्रदेश सरकार जियो थर्मल इनर्जी की दिशा में भी गंभीरता से आगे बढ़ने के प्रयास कर रही है।
परिवार रजिस्टर की दिशा में बढ़ रहे कदम, नागरिकों को मिलेगा लाभ
सचिब नियोजन की भी जिम्मेदारी संभाल रहे डॉ सुंदरम ने कहा कि राज्य में परिवार रजिस्टर की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। पूर्व में हरियाणा ने ऐसी पहल की थी और उत्तराखंड का डाटाबेस इससे कहीं अधिक बेहतर है। इसमें विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी भी जोडे़ जाएंगे, ताकि यदि कोई परिवार सरकार की कल्याणकारी योजना के लाभ से वंचित रह गया है तो उसे भी इसका लाभ दिलाया जा सके। परिवार रजिस्टर के लिए टेंडर प्रक्रिया और अन्य औपचारिकता को लेकर अनुबंध किया जा चुका है। यह कार्य विभिन्न 12 विभागों के सहयोग से किया जाएगा।
पीएम सूर्यघर योजना में यह है अनुदान की व्यवस्था
सोलर पावर प्लांट क्षमता, केंद्रीय अनुदान, राज्य अनुदान
01 से 02 किलोवाट तक, 33000, 17000
03 किलोवाट तक, 85800, 17000
04 किलोवाट या इससे अधिक, कोई अतिरिक्त अनुदान नहीं, कोई अतिरिक्त अनुदान नहीं
(नोट: अनुदान राशि रुपये प्रति किलोवाट)
सोलर रूफ टॉप के लिए आवासीय कॉलोनियों को बढ़ावा, आरडब्ल्यूएस को जोड़ेंगे
पीएम सूर्यघर योजना के तहत उत्तराखंड में अब आवासीय कॉलोनियों के भवनों में भी तेजी से सोलर रूफ टॉप आधारित प्लांट लगेंगे। ऊर्जा सचिव डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम के अनुसार इस संबंध में रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी (आरडब्ल्यूएस) से बातचीत चल रही है। इस योजना में राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। आवेदनों के निस्तारण की दर में उत्तराखंड देश में अव्वल है। खास बात यह भी है कि केंद्र के साथ ही राज्य सरकार भी योजना में सब्सिडी दे रही है।
सचिव डॉ सुंदरम ने कहा कि राज्य में संचालित मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना के प्रति भी रुझान तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2018-19 में लॉन्च की गई इस योजना में पूर्व में कुछ बंदिशें थीं। जिसके बाद वर्ष 2022 में योजना की गाइडलाइन में संशोधन किए गए हैं। इसमें 250 मेगावाट तक के प्रोजेक्ट रखे गए। साथ ही इसे एमएसएमई से भी जोड़ा गया। अब इसके बेहतर परिणाम आ रहे हैं। जगह-जगह छोटी-छोटी यूनिट लगाई जा रही हैं। अभी तक 174 मेगावाट की परियोजनाओं पर काम चल रहा है। टिहरी, उत्तरकाशी व चंपावत जिलों में बेहतर कार्य हो रहा है। मोरी तहसील के कुकरेड़ा गांव में तो सोलर के साथ अदरक की खेती भी हो रही है।
लघु पनबिजली नीति में संसोधन का लाभ, 19 परियोजनाएं पाइपलाइन में
सचिव डॉ सुंदरम ने कहा कि लघु जलविद्युत नीति में आवश्यक संशोधन के बाद 06 परियोजनाओं में निविदा हो चुकी है, जबकि 19 परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं। वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान भी लघु जल विद्युत परियोजनाओं में निवेशकों ने खासी रुचि दिखाई थी। इसी तरह राज्य ने पंप स्टोरेज प्लांट नीति भी बनाई है। वैश्विक निवेशक सम्मेलन के दौरान जेएसडब्लू ग्रुप ने इसमें रुचि दिखाई और 15 करोड़ का एमओयू हस्ताक्षरित किया। इसमें हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव की फाइल स्वीकृत हो चुकी है। जल्द ही कार्यक्रम आयोजित कर अलॉटमेंट ऑर्डर प्रदान किए जाएंगे। यह प्रोजेक्ट अल्मोड़ा में प्रस्तावित है।