सड़क हादसे में घायलों को तत्काल मिलेगा 1.50 लाख तक का मुफ्त इलाज
स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह ने आयुष्मान योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पतालों को निर्देश किए जारी
Amit Bhatt, Dehradun: सड़क दुर्घटना के दौरान घायलों को तत्काल उपचार को लेकर कई तरह की अड़चनों का सामना करना पड़ता है। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए इलाज खर्च सबसे बड़ी चुनौती नजर आता है। ऐसे में कई दफा मददगार लोग और स्वयं अस्पताल भी इलाज को लेकर असमंजस की स्थिति में नजर आते हैं। सरकार ने जिंदगी को सर्वोपरि मानते हुए सड़क हादसे में घायलों को तत्काल कैशलेस उपचार मुहैया कराने का इंतजाम कर दिया है। अब घायलों में अस्पतालों में तत्काल 1.5 लाख रुपए तक का कैशलेस उपचार मिल सकेगा। राज्य के अस्पतालों में इस व्यवस्था का अविलंब पालन कराने के लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने निर्देश जारी कर दिए हैं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की संयुक्त पहल पर राजमार्ग पर होने वाली दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को आयुष्मान योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पतालों में 1.50 लाख तक का कैशलेस उपचार मिलेगा। उत्तराखंड में भी यह व्यवस्था लागू कर दी गई है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया कि सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) के सहयोग से शुरू होने वाली इस योजना को प्रदेश में शुरू कर दिया गया है। इसके तहत सड़क हादसे में घायल को तत्काल 1.50 लाख रुपये तक का कैशलेस उपचार प्रदान करना है। सड़क दुर्घटना के मरीज को स्थिर करने के लिए अधिकतम 07 दिनों की अवधि के लिए प्रति व्यक्ति डेढ़ लाख रुपये के कैशलेस उपचार की योजना है। उन्होंने कहा कि विषम भूगोल वाला उत्तराखंड राज्य सड़क हादसों की दृष्टि से बहुत ही संवेदनशील है। यह व्यवस्था घायलों के लिए बहुत मददगार साबित होगी।
वहीं, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ आनंद श्रीवास्तव ने बताया कि उक्त व्यवस्था के तहत घायल की अस्पताल में ई-डीएआर यानी डिटेल एक्सीडेंट रिपोर्ट जनरेट होगी। इसी आइडी से उपचार शुरू हो जाएगा। इस सुविधा के लिए मरीज के पास आयुष्मान या किसी अन्य योजना का कार्ड होना भी अनिवार्य नहीं है। इस योजना के तहत गंभीर रूप से घायल मरीजों को ट्रामा और पालीट्रामा का इलाज दिया जाएगा। इससे सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को तुरंत और बेहतर इलाज मिल सकेगा। इलाज के दौरान घायल को पैसों की चिंता नहीं रहेगी।