8.4 करोड़ की शराब की दुकान सस्पेंड, अवैध रूप से शराब पिलाने पर डीएम बंसल का चला डंडा
राजपुर रोड स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान 'द लिकर हब' को 15 दिन के लिए किया गया सस्पेंड, प्रति माह 70 लाख के राजस्व वाली दुकान संचालक पर भारी पड़ी अनदेखी
Amit Bhatt, Dehradun: सरकारी सिस्टम में फैली अव्यवस्था को लेकर देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल निरंतर एक्शन मोड में दिख रहे हैं। शराब की ओवर रेटिंग पर दुकानों पर निरंतर चालानी कार्रवाई कराने के बाद अब जिलाधिकारी ने अवैध रूप से शराब पिलाने के मामले में बड़ा कदम उठाया है। जिलाधिकारी ने शराब की दुकान से सटे बेसमेंट में अवैध बार के संचालन पर अंग्रेजी शराब की दुकान ‘द लिकर हब’ का लाइसेंस 15 दिन के लिए सस्पेंड (निलंबित) कर दिया है। इस दुकान का सालाना राजस्व करीब 8.4 करोड़ रुपये, जबकि मासिक राजस्व 70 लाख रुपये के आसपास है। ऐसे में थोड़े प्रलोभन के लिए शराब की दुकान के संचालक को भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। दूसरी तरफ इससे पहले शराब की दुकान पर 05 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा चुका है।
द ओपल लाउंज की बिल्डिंग के बेसमेंट में अवैध रूप से बार के संचालन की शिकायत जिलाधिकारी सविन बंसल को मिली थी। जिसके बाद जिलाधिकारी के आदेश पर उपजिलाधिकारी सदर (न्यायिक), जिला आबकारी अधिकारी और नगर निगम की टीम ने संयुक्त निरीक्षण किया। जिसमें पाया गया कि बेसमेंट में बड़ी मात्रा में शराब की खाली बोतलें, सिंगल यूज प्लास्टिक के रूप में पानी की बोतलों, ग्लास एवं कप का कचरे के साथ ही नमकीन, चिप्स और बर्फ के पाउच पड़े हैं। साथ ही शराब पिलाने के लिए डेस्क भी लगे मिले।
जिससे इस बात की आशंका व्यक्त की गई कि अंग्रेजी शराब की दुकान द लिकर हब की ओर से यहां पर अवैध रूप से शराब पिलाने का काम किया जा रहा है। दूसरी तरफ शराब की दुकान के आसपास अवैध खोखे लगाकर सिंगल यूज प्लास्टिक के ग्लास, पानी की बोतल, नमकीन, चिप्स, सिगरेट आदि की बिक्री भी कराई जा रही है। इसमें में शराब की दुकान का संरक्षण सामने आया। साथ ही अवैध रूप से शराब पिलाने के लिए दुकान को निर्धारित समय रात 11 बजे के बाद भी खोला जाना पाया गया।
इस बात की पुष्टि संयुक्त टीम ने स्थानीय नागरिकों और महिलाओं से भी कराई। पता चला कि रात के समय अवैध रूप से शराब पिलाने का काम जोरों पर किया जाता है। जबकि प्रत्येक अंग्रेजी दुकान के साथ शराब पिलाने की अधिकृत कैंटीन की व्यवस्था भी आबकारी नीति में की गई है। जिसके लिए शराब की दुकान की लाइंसेंस की फीस के 15 प्रतिशत के बराबर की राशि एफएल-5 ई लाइंसेंस (कैंटीन) के लिए वसूल की जाती है।
दुकान संचालक ने कैंटीन का लाइसेंस लेने की जगह इस व्यवस्था की आड़ में अवैध बार ही खोल डाला। दूसरी तरफ जिला प्रशासन की टीम ने बिल्डिंग में संचालित हो रहे बार द ओपल बार और बीवाईओबी का निरीक्षण भी किया गया। दोनों बार के पास 80 ग्राहकों के बैठने की क्षमता पाई गई। जिससे यह संभावना क्षीण हो गई कि वह बेसमेंट में शराब पिलाने का काम कर रहे होंगे।