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वीडियो: सील गैस गोदाम से रात को निकाले सिलेंडर, डीएम ने दर्ज कराया मुदकमा

95 वर्षीय वृद्ध महिला की भूमि पर कब्जा कर अवैध रूप से गैस गोदाम संचालित किए जाने से जुड़ा है मामला

Amit Bhatt, Dehradun: जिला प्रशासन ने जिस अवैध गैस गोदाम को शुक्रवार को सील किया था, उससे रात के समय चोरी-छिपे ट्रक लगाकर सिलेंडर बाहर निकालने का ममाला सामने आया है। इसके 02 वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। उपजिलाधिकारी और जिला पूर्ति अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी तक वीडियो पहुंचने के बाद एजेंसी संचालक लोकेश उनियाल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।

देहरादून के रायपुर क्षेत्र के रांझावाला स्थित गैस गोदाम को प्रशासन की टीम ने शुक्रवार सुबह सील कर दिया था। क्योंकि, जांच में यह भूमि गढ़ी कैंट निवासी 95 वर्षीय वृद्ध महिला लीला देवी गुरुंग की पाई गई थी। उन्होंने जिलाधिकारी की जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कर भूमाफिया से अपनी भूमि छुड़ाने की गुहार लगाई थी। उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी को सौंपी गई जांच के बाद प्रशासन की टीम ने गैस गोदाम को सील कर दिया था।

साथ ही गैस एजेंसी के लाइसेंस निरस्त करने की कार्यवाही शुरू करने के साथ ही तत्काल प्रभाव से लाइसेंस को तीन माह के लिए निलंबित कर दिया गया था। उसी दिन शुक्रवार की रात को यह बात सामने आई कि सील गैस गोदाम से सिलिंडर बाहर निकालने जा रहे हैं। इसके दो वीडियो भी सामने आए। जिन्हें उपजिलाधिकारी मुख्यालय और जिला पूर्ति अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को उपलब्ध कराया गया। प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था। जिसके क्रम में क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी प्रशांत बिष्ट ने एजेंसी संचालक लोकेश उनियाल के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करा दिया।

प्रशासन ने इसलिए सील किया गैस गोदाम
गढ़ी कैंट निवासी 95 वर्षीय महिला लीला देवी गुरुंग ने जिलाधिकारी की जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने अपनी पुत्री 75 वर्षीय नीना गुरुंग के माध्यम से दर्ज कराई गई शिकायत में कहा था कि उनकी रांझावाला क्षेत्र रायपुर स्थित भूमि पर भारत पेट्रोलियम का गैस गोदाम का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1988 में गैस गोदाम के लिए इस भूमि को उनके पिता स्व. रतन सिंह गुरुंग ने नंदा सुब्बा को 10 साल की लीज पर दिया था। नंदा सुब्बा ने वर्ष 2000 से किराया देना बंद कर दिया और वर्ष 2004 में कब्जे के आधार पर जमीन पर मालिकाना हक जताना शुरू कर दिया।

जबकि लीज की शर्तों में स्पष्ट था कि किराया अदा न करने की दशा या इसके अन्य को हस्तांतरण की दशा में इसे निरस्त माना जाएगा। किराया अदा न करने की दशा में गोदाम को हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई थी। उसी बीच नंदा सुब्बा ने गैस एजेंसी को सरेंडर कर दिया था। दूसरी तरफ भारत पेट्रोलियम के तत्कालीन अधिकारियों ने गोदाम को हटाने की जगह किसी तीसरे व्यक्ति लोकेश उनियाल पर कब्जा उनकी भूमि पर करवा दिया। जो कि पूरी तरह अवैध और सुरक्षा मानकों के लिहाज से खतरनाक है।

साथ ही बताया कि कि कुछ कार्मिकों की मिलीभगत से राजस्व रिकार्ड में नंदा सुब्बा राव का नाम चढ़ा दिया था, जिसे अपर जिलाधिकारी प्रशासन ने वर्ष 2009 में खारिज कर दोबारा से उनकी मां का नाम दर्ज करा दिया गया। इसके बाद भी गैस गोदाम का आवंटन निरस्त नहीं किया जा रहा है। उन्होंने इस फर्जीवाड़े के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की मांग भी की थी। दूसरी तरफ शिकायत के साथ दर्ज किए गए दस्तावेजों के अनुसार पेट्रोलियम एवं विस्फोटक संगठन के मानकों में साफ किया गया है कि लीज डीड समाप्त होने या किसी विवाद की स्थिति में भी लाइसेंस निरस्त किया जाएगा।

ऐसे मामलों में वाद के निस्तारण का इंतजार नहीं किया जाएगा। फिर भी सुरक्षा मानकों और नियमों को दरकिनार कर बीपीसीएल के अधिकारी मूक दर्शक बने हुए थे। जिलाधिकारी ने मामले में उपजिलाधिकारी मुख्यालय कुमकुम जोशी को जांच सौंपी। जांच में अवैध कब्जे की पुष्टि हो जाने पर गोदाम को सील कर दिया गया।

अब लीला देवी ने की कब्जा दिलाने की मांग
लीला देवी ने कहा कि वह वयोवृद्ध असमर्थ महिला हैं। जनसुनवाई में शिकायत दर्ज कराने के बाद से कुछ लोग उन पर और उनकी पुत्री की निगरानी करा रहे हैं। ऐसे में उनकी जान को भी खतरा हो सकता है। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग करते हुए कहा कि उन्हें भूमि पर कब्जा प्राप्त करने में सहयोग किया जाए।

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