विभाग से इंजीनियरों का मोहभंग, 15 से अधिक ने लगाई डेपुटेशन पर जाने की अर्जी
कमीशन के मर्ज तले दबे इंजीनियर, विभागाध्यक्ष बनने की भी नहीं दिखी दिलचस्पी

Rajkumar Dhiman, Dehradun: इस विभाग को एक दौर में सबसे प्रभावशाली माना जाता था। सेटिंग-गेटिंग वाले अफसर इसे मलाईदार विभाग के खिताब से नवाजते थे। यहां पोस्टिंग पाना और अहम सीट पर चिपके रहना अधिकारियों का ख्वाब होता था। लेकिन, बीते कुछ समय में ऐसा क्या बदल गया कि विभाग से अभियंताओं (इंजीनियर्स) का मोहभंग होने लगा है। अहम कुर्सी किसी डरावने सपने जैसी लगने लगी है। जिस कारण एक या दो नहीं, बल्कि करीब 15 से अधिक अभियंताओं ने दूसरे विभाग में डेपुटेशन पर जाने की अर्जी लगा डाली है।
हजारों करोड़ रुपये की योजनाओं का संचालन और रखरखाव करने वाले इस विभाग में अभियंता अब भारी दबाव महसूस कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि कमीशन का जो आंकड़ा वर्ष 2017 की सरकार में ठेकों 10 प्रतिशत के आसपास सिमटा रहता था, वह अब महंगाई और बीते कुछ समय में बढ़ी ब्याज दरों की भांति उछाल मार गया है। यह उछाल भी 26 प्रतिशत पर जा पहुंची है। इतने अधिक ब्याज पर तो बैंक पर्सनल लोन भी नहीं देते हैं।
काबू से बाहर कमीशन की छलांग, काम गड़बड़ होने पर इंजीनियर ही नपेंगे
कमीशन की छलांग अभियंताओं के काबू से बाहर चली गई है। ना कर नहीं सकते और जुगाड़ करना बूते से बाहर की बात साबित हो रहा है। कमीशन के चक्कर में कहीं काम में ऊंच नीच हो गई तो गाज भी इंजीनियर साहब पर ही गिरनी है। ऐसे में भलाई इसी में है कि तूफान के शांत होने तक कहीं और ठौर तलाश लिया जाए। डेपुटेशन से बढ़कर सुरक्षित ठिकाना कहां तलाशा जा सकता है।

इस विभाग में हमेशा एचओडी (विभागाध्यक्ष) बनने की होड़ लगी रहती थी, लेकिन अबकी बार तो सीट पर जमे एचओडी को दो-दो एक्सटेंशन देने पड़ गए। जो अभियंता सीनियर थे, उन्होंने भी वक्त से पहले हाथ पैर मारने की जल्दबाजी नहीं दिखाई। वह चुपचाप अपने समय का इंतजार करते रहे। जब तत्कालीन साहब के पास एक्सटेंशन की गुंजाइश नहीं बची तो सर्वाधिक वरिष्ठ को कुर्सी संभालनी ही पड़ी।
कमीशन के भारी भरकम खेल से मंत्री-विधायकों में भी नाराजगी
इस तरह की जानकारी भी सामने आई है कि विशेष विभाग में कमीशन के भरी भरकम खेल से कई मंत्री, विधायकों में भी भारी नाराजगी है। कुछ दबी जुबान में नाराजगी जाहिर कर रहे हैं तो कुछ गाहे-बगाहे इस पर टिप्पणी भी कर डालते हैं।