दून में मदरसों का सच डीएम लाए सामने, 35 बिना पंजीकरण चल रहे
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद जिलाधिकारी ने कराई गहन जांच, पंजीकरण समेत अन्य खामी उजागर
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में संचालित किए जा रहे मदरसों हकीकत पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त रुख के बाद सरकारी मशीनरी द्रुत गति से अपने काम में जुट गई है। प्रदेशभर के मदरसों का सत्यापन किया जा रहा है। देहरादून जिला प्रशासन ने तेजी दिखाते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल के नेतृत्व में मदरसों की दशा दिशा साफ कर दी है। जिले में 35 मदरसे ऐसे पाए गए हैं, जो मदरसा बोर्ड से पंजीकृत नहीं हैं और संचालित किए जा रहे हैं। अब जिला प्रशासन इसकी रिपोर्ट शासन को भेज रहा है।
जिलाधिकारी सविन बंसल ने सभी उपजिलाधिकारियों से मदरसों की अपडेट रिपोर्ट तलब की थी। अब यह रिपोर्ट तैयार कर दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार देहरादून में कुल 90 मदरसों के संचालन की जानकारी मिली है। इनमें से 35 मदरसे ऐसे हैं, जिन्होंने मदरसा बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया है। एक मदरसे का नवीनीकरण नहीं कराया गया है और कुछ मदरसे ऐसे हैं, जिन्होंने पंजीकरण के लिए आवेदन किया है। लिहाजा, यह भी बिना पंजीकरण के संचालन की स्थिति में हैं।
03 हजार से अधिक छात्र पढ़ रहे गैर पंजीकृत मदरसों में
जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार जिले में संचालित किए जा रहे पंजीकृत और अपंजीकृत कुल 90 मदरसों में 9720 छात्र पढ़ रहे हैं। गैर पंजीकृत 35 मदरसों में ही 03 हजार से अधिक छात्रों के नाम दर्ज हैं। यह स्थिति अपने आप में गंभीर है।
यह है तहसीलवार मदरसों की स्थिति
तहसील, अपंजीकृत, कुल
विकासनगर, 18, 60
देहरादून सदर, 10, 23
डोईवाला, 06, 06
कालसी, 01, 01
ऋषिकेश, शून्य, शून्य
मसूरी, शून्य, शून्य
चकराता, शून्य, शून्य
मदरसों में सुविधाओं का भी है अभाव
जिला प्रशासन की रिपोर्ट बताती है कि जिले में संचालित किए जा रहे मदरसे विभिन्न सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। पंजीकृत मदरसों तक में आवश्यक संसाधनों का अभाव है। कई मदरसे ऐसे हैं, जिनमें खेल के साधन नहीं है। जिले में संचालित किए जा रहे कई मदरसे आवासीय श्रेणी के भी हैं और इनमें बाहरी राज्यों के छात्र भी पढ़ रहे हैं।
तहसीलवार मदरसों में दर्ज छात्र
विकासनगर, 6031
देहरादून सदर सदर, 2750
डोईवाला, 884
कालसी, 55
सिर्फ सोसाइटी एक्ट में पंजीकरण, मानक दरकिनार
देहरादून में संचालित किए जा रहे तमाम मदरसे सिर्फ सोसाइटी एक्ट में पंजीकृत हैं। सिर्फ इसी आधार पर वह छात्रों को तालीम दे रहे हैं। कई मदरसों में मध्याह्न भोजन की भी समुचित व्यवस्था नहीं है।