28 राउंड फायर को पुलिस ने नहीं माना हत्या का प्रयास, जानिए चैंपियन की फायरिंग को किस दिशा में ले गई पुलिस की जांच
फायरिंग प्रकरण में पहले कोर्ट ने दरोगा की विवेचना को माना था संदिग्ध, हत्या के प्रयास की धारा हटाने से किया था इन्कार, सीओ की जांच में फायरिंग को दिशा देने में सफल रही पुलिस

Amit Bhatt, Dehradun: 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन हरिद्वार के खानपुर क्षेत्र के विधायक उमेश कुमार के कैंप कार्यालय पर पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और उनके साथ आए लोगों की ताबड़तोड़ फायरिंग सभी ने देखी। इसके वीडियो जमकर वायरल हुए थे। वायरल वीडियो में सभी ने देखा कि किस तरह चैंपियन अपने आदमियों के साथ वाहनों से धड़धड़ाते हुए विधायक उमेश के कार्यालय के गेट पर उतरे और कई राउंड फायर झोंक दिए। फायरिंग ऐसी थी कि कोई सामने होता या कार्यालय से बाहर निकलता तो जान ही चली जाती। इस दौरान उनके कार्यालय में मौजूद कुछ व्यक्तियों को जमकर पीटा भी। पुलिस की जांच में 28 राउंड फायरिंग गिनी तो गई, लेकिन उसे हत्या का प्रयास नहीं माना गया। पुलिस जांच में दिशा मिली कि यह तो गैर इरादतन हत्या का मामला है। फायरिंग सिर्फ डराने के लिए की गई थी। एक बारगी कोर्ट ने भी पुलिस की इस कहानी को खारिज कर दिया था और विवेचना को संदिग्ध बताते हुए सीओ स्तर के अधिकारी से जांच कराने के निर्देश दिए थे। हालांकि, सीओ की जांच भी उसी दिशा में आगे बढ़ी और इस बार पुलिस फायरिंग प्रकरण को गैर इरादतन हत्या की दिशा में आगे बढ़ाने में सफल हो गई। आइए इस पूरे प्रकरण प्रकरण में अब तक सामने आए तथ्यों और कार्रवाई को विस्तार से समझने का प्रयास करते हैं।
26 जनवरी 2025 को जुबेर काजमी ने कोतवाली रुड़की में चैंपियन कुंवर प्रणय सिंह एवं 24 अन्य नामजद समेत 20 से 25 व्यक्तियों के विरुद्ध तहरीर दी थी। जिस पर रुड़की पुलिस ने कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन और अन्य के विरुद्ध धारा 109/115(2), 190, 191(3), 324(4),333, 351(3) 352 बीएनएस में मुकदमा पंजीकृत किया। साथ ही कुंवर प्रणव सिंह (पूर्व विधायक), अंकित आर्य, कुलदीप, मोंटी, रवि को गिरफ्तार किया। 27 जनवरी 2025 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरिद्वार ने सभी आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
मामले में नया मोड़ तब आया, जब उपरोक्त मामले के विवेचक धर्मेंद्र राठी ने 07 फरवरी को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरिद्वार के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कुंवर प्रणव चैंपियन एव अन्य आरोपियों पर से धारा 109 बीएनएस, हत्या के प्रयास की धारा को हटाने की प्रार्थना की। इस प्रार्थना पत्र में विवेचक धर्मेंद्र राठी ने कहा कि चैंपियन व उसके साथियों ने विधायक उमेश शर्मा के घर पर जो गोलियां चलाई थी, वो निशाना लेकर नहीं चलाई गई थी और गोली से किसी व्यक्ति को चोट नहीं आई। गोली जान से मारने के इरादे से तथा निशाना लेकर नहीं चलायी गयी थी और जो फायरिंग की गई थी, वह डर स्थापित किए जाने के उददेश्य की गई थी। लिहाजा, चैंपियन व उसके साथीयों पर से धारा 109 पृथक करते हुए धारा 110 बीएनएस बढ़ा दी जाए।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हरिद्वार ने प्रकरण में विवेचक धर्मेंद्र राठी की विवेचना को संदिग्ध बताया और कहा कि उसके द्वारा धारा 109 हत्या का प्रयास हटाया जाना तथा धारा 110 गैर इरादतन हत्या का प्रयास अभियुक्तगण को लाभ पहुंचाने जैसा है। इसी क्रम में विवेचक के प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया तथा धारा 109 हत्या के प्रयास में ही चैंपियन को पुनः न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। इसके अलावा विवेचक धर्मेंद्र राठी की भूमिका को संदिग्ध और निष्पक्ष न पाते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार को विवेचना किसी सीओ स्तर के अधिकारी से कराने के लिए निर्देर्शित किया गया।
न्यायालय ने 07 फरवरी के आदेश में कहा कि विवेचक की ओर से एकत्रित किए गए समस्त साक्ष्य जैसे मुकदमे के वादी के बयान, मौके के चश्मदीद गवाहों के बयान, मौके से बरामद कारतूस खोता, विवेचक द्वारा घटना स्थल यानी विधायक उमेश शर्मा के आवास की दीवारों, गेटों पर लगे गोलियों के निशानों की फोटोग्राफी तथा बुलेट के पीस, कुर्सियों से लिया गया गन पाउडर, कांच के दरवाजे पर लगी गोलियों के निशान, दीवारो पर गोलियों के निशान से लगा हुआ रेत, मौके पर घायल व्यक्तियों के चिकित्सीय प्रमाण पत्र तथा मौके की सीसीटीवी फुटेज, जिसमें में चैंपियन एक हाथ में राइफल तथा एक हाथ में पिस्टल लिए फायरिंग करते हुए स्पष्ट नजर आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त संग्रहित वैज्ञानिक व इलैक्ट्रॉनिक साक्ष्य के आधार पर न्यायालय ने अपने आदेश में अपराध के गठन की तैयारी और प्रयत्न को प्रथम दृष्टया पर्याप्त माना।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के 07 फरवरी के आदेश ने एक आम आदमी में यह उर्जा भर दी थी कि कानून सब के लिए समान है। कानून के सामने क्या राज क्या रंक। कानून से उपर कोई नही हो सकता है और न ही होना चाहिए। कानून पुलिस के हाथ की कठपुतली भी नहीं हो सकता है। मामले में न्यायालय ने विवेचक की भूमिका को ही संदिग्ध बता दिया था और विवेचना को सीओ स्तर के अधिकारी को ट्रांसफर किया जाना भी आम जनता में कानून प्रति आशा जगाने जैसा रहा। हालांकि, पुलिस की जांच चैंपियन पर से धारा 109 हत्या का प्रयास हटाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ती रही। यही एक धारा ऐसी थी, जिसके कारण चैंपियन और उसके साथियों की जमानत की राह में सबसे पेच माना जा रहा था। धारा 109 बीएनएस में 10 साल या आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है और यह गंभीर प्रकृति के अपराध की श्रेणी आता है। जिसमे जमानत आसानी से नही हो पाती है, जबकि धारा 110 बीएनएस 07 साल तक की सजा का ही प्रावधान करती है, जिसमें जमानत होना काफी आसान हो जाता है। शायद यही कारण था कि पुलिस ने चैंपियन पर से धारा 109 को पृथक कर 110 बढ़ाए जाने का प्रार्थना पत्र न्यायालय के सामने प्रस्तुत किया था।
गौर करने वाली बात यह थी कि जब न्यायालय ने विवेचक का 109 को पृथक किए जाने का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया तो पुलिस के लिए चैंपियन पर से धारा 109 हत्या का प्रयास हटाया जाना आसान नहीं होगा। लेकिन, अबकी बार पुलिस की जांच ने सफलता हासिल कर ली। क्योंकि, जब दूसरी बार की जांच सीओ रुड़की नरेंद्र पंत को सौंपी गई तो पूर्व विवेचक धर्मेंद्र राठी की ओर से की गई विवेचना को ही आगे बढ़ते हुए दिखी। लिहाजा, चैंपियन और उसके साथियों पर से 109 हत्या का प्रयास को पृथक कर धारा 110 ( गैर इरादतन हत्या का प्रयास धारा) 115(2), 190, 191(3), 324(4),333, 351 (3) 352 बीएनएस धाराओं में आरोप पत्र भी न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया गया। प्रकरण में 27 फरवरी को की गई सुनवाई में भले ही चैंपियन को जमानत नहीं मिल पाई, लेकिन, अब उन पर से धारा 109 की तलवार हट गई है।
आरोप पत्र में यह कहा गया कि चैंपियन और उसके साथियों ने जो गोलियां चलाई, वह इसलिए चलाई गयी थी, क्योंकि विधायक उमेश शर्मा के लोगों ने उन पर पत्थर तथा मिर्ची का घोल फेंका। जिससे अचानक प्रकोपन होने के कारण उनके द्वारा गोलियां चलाई गई। यह भी चौंकाने वाला है कि पहले आप 02 दर्जन व्यक्तियों के साथ राइफल तथा पिस्टल जैसे हथियारों के साथ लैस होकर किसी के घर जाते हैं, 28 राउंड फायर करते हैं और दूसरा व्यक्ति अपने बचाव में आप पर पत्थर या मिर्ची का घोल फेंके तो उससे आपको गंभीर तथा अचानक प्रकोपन होना माना जायेगा। यहां यह देखना भी आवश्यक है कि चैंपियन के द्वारा उमेश शर्मा के घर की दीवारों पर तथा घर के दरवाजो के शीशों पर लगभग 28 राउंड फायर किए गए और लगभग 2 दर्जन लोगों की भीड़ (आरोपियों ) ने वहां इमरान एंव सपना नाम के व्यक्ति को लाठी व डंडों से बहुत मारा और उनको चोटें भी आईं। जिसकी पुष्टि उनके मेडिकल और सोशल/इंटरनेट मीडिया पर वायरल वीडियो में भी होती है। जिसमें चैंपियन राइफल में मैगजीन लोड करके अपने साथी को भी देते हुए साफ नजर आ रहे हैं। चैंपियन भी पिस्टल से उमेश के आवास पर गोलियों चलाते हुए साफ दिखाई दे रहे हैं, जो हवाई फायर जैसा कतई नजर नहीं आता है। चैंपियन और उनके साथियों ने विधायक के आवास पर कुल 28 राउंड फायर किए थे। यह बात और है कि हरिद्वार पुलिस की जांच में इन सब में हत्या का इरादा नजर नहीं आया।
इसी क्रम में आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया गया तो पुलिस अपनी जांच को पुष्ट कराने में भी सफल रही। क्योंकि, पूर्व में जिन बयानों, इलेक्ट्रॉनिक और मौके से एकत्रित किए गए साक्ष्यों के आधार पर पुलिस का प्रार्थना पत्र निरस्त किया गया था, उसे स्वीकार कर लिया गया। इस मामले में पुलिस की कार्यकुशलता काबिले तारीफ रही। यह भी कम गौर करने वाली बात नहीं है कि पुलिस ने विवेचना में इतनी तेजी दिखाई गई मात्र 24 दिन में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। क्योंकि, तमाम प्रकरणों में पुलिस की चार्जशीट को अटकते हुए देखा गया है। त्वरित न्याय की परिकल्पना पर हरिद्वार पुलिस बिल्कुल खरी उतरी है। उम्मीद है कि पुलिस समस्त मामलों की विवेचना को चैंपियन की विवेचना की भांति ही 01 माह में निस्तारित कर देगी।