स्टेट परमिट के वाहन दूसरे राज्यों से कैसे लाए माल, 15 घंटे में दौड़े 1000 किमी, 06 करोड़ की चोरी कर डाली
स्टेट जीएसटी की टीम ने सड़क निर्माण से जुड़ी 05 बड़ी फर्मों पर मारा छापा, 3.67 करोड़ मौके पर कराए जमा और 2.41 करोड़ की आईटीसी कराई गई रिवर्स

Amit Bhatt, Dehradun: कर चोरी के लिए तमाम फर्म और कंपनियां तरह-तरह के हथकंडे अपना रही हैं। लेकिन, ये डाल-डाल तो उत्तराखंड की सरकारी मशीनरी पात-पात। यह प्रकरण 06 करोड़ रुपये से अधिक की ऐसी जीएसटी चोरी (अपवंचना) से जुड़ा है, जिसमें सड़क निर्माण से जुड़ी 05 बड़ी फर्मों ने सरकार को कर जमा कराने की जगह इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के नाम पर फर्जी खरीद दिखाकर उल्टे सरकार को 06 करोड़ रुपये का फटका लगा दिया। लेकिन, फर्जी खरीद के लिए अपनाया गया हथकंडा काम नहीं आया। क्योंकि, फर्मों ने स्टेट परमिट वाले वाहनों से दूसरे राज्यों से माल लाना दिखाया और 1000 किलोमीटर की दूरी भी उनसे बिना रोक-टोक के 15 से 17 घंटे में तय करवा दी। इन वाहनों पर एक ही दिन में कई-कई ई-वे बिल भी जारी पाए गए। यह पूरा फर्जीवाड़ा राज्य कर विभाग के अधिकारियों ने पकड़ लिया।
शुक्रवार को राज्य कर विभाग की यूनिट की ओर से सड़क निर्माण व अन्य निर्माण कार्यों के कांट्रैक्टर के रूप में कार्य करने वाली पांच प्रमुख फर्मों पर छापा मारा। 34 अधिकारियों की कुल 13 टीमों ने यह कार्रवाई राज्य कर आयुक्त डा अहमद इकबाल के निर्देश पर की। जांच में पाया गया कि इन फर्मों की ओर से बिना किसी वास्तविक खरीद के ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के लिए बोगस फर्मों की चेन तैयार कर ली गई। जिनके माध्यम से जीएसटी की चोरी की जा रही थी। इन फर्मों के सप्लायर फर्मों की चैन को खंगालने पर पाया गया कि 04 सप्लायर फर्म या तो अस्तित्वहीन हैं या संबंधित अधिकारी की ओर से उनका पंजीयन निरस्त किया गया है। कुछ फर्म बिना पंजीकरण के सामान की ट्रेडिंग भी दर्शा रहे थे। उक्त फर्म की ओर से स्टेट परमिट के वाहनों को इंटर स्टेट परमिट दर्शाकर पंजाब व हरियाणा में डिलिवरी दिखायी गई थी। साथ ही एक हजार किलोमीटर की दूरी मात्र 15 से 17 घंटे में तय करनी जानकारी ई-वे बिल पोर्टल पर दी गई थी।

टीमों को प्रथम दृष्ट्या 6.06 करोड़ की जीएसटी चोरी प्रतीत हो रही है। इन फर्मों से कर विभाग ने 3.67 करोड़ रुपये जीएसटी मौके पर ही वसूल कर लिया है और 2.41 करोड़ रुपये इनपुट टैक्स क्रेडिट में रिवर्स कराया गया। कार्रवाई देर रात तक जारी रही और उक्त फर्मों से विभिन्न अभिलेख कब्जे में लिए गए। जांच टीम में मुख्य रूप से उपायुक्त विनय पांडे, अर्जुन राणा, सुरेश कुमार, नेहा मिश्रा, सहायक आयुक्त टीका राम, नितिका, मनमोहन असवाल, योगेश रावत, मानवेंद्र, कृष्ण कुमार, रजनीकांत, सहायक आयुक्त टीका राम, नितिका, मनमोहन असवाल, योगेश रावत, मानवेंद्र, कृष्ण कुमार, रजनीकांत, अविनाश, राज्य कर अधिकारी असद, अलीशा, गजेंद्र भंडारी, दुर्गेश पुरोहित, शैलेंद्र चमोली, शिक्षा, हेमा पुंडीर शामिल रहे।