
Amit Bhatt, Dehradn: राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा देश की आन बान और शान है। तिरंगे की शान में किसी भी कोताही, अनदेखी या लापरवाही को दूर करने के लिए तमाम कोड और नियम-कानून मौजूद हैं। हालांकि, जो प्रतिष्ठान देश की रक्षा और रक्षा अनुसंधान से जुड़े हैं, उनसे यह उम्मीद नहीं की जाती है कि वह तिरंगे की शान में किसी तरह की गुस्ताखी करेंगे। बावजूद इसके देश की चोटी की रक्षा अनुसंधान एजेंसी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के एक प्रतिष्ठान में ही राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के प्रति अनदेखी का गंभीर मामला सामने आया है। डीआरडीओ के कानपुर स्थित डिफेंस मटीरियल्स एंड स्टोर्स रिसर्च एंड स्टैब्लिशमेंट (डीएमएसआरडीई) की पत्रिका नवचिंतन के कवर पेज पर तिरंगे के रंग गलत क्रम में प्रदर्शित किए गए हैं। यह पत्रिका दून निवासी प्रभु डंडरियाल तक पहुंची तो उन्होंने इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बताते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून और रायपुर थानाध्यक्ष को मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर दी है।

देहरादून के सुंदरवाला निवासी प्रभु डंडरियाल की तहरीर के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज में ऊपर से नीचे रंगों का क्रम केसरिया, सफेद (गहरे नीले रंग में अशोक चक्र के साथ) और हरा है। वहीं, डीएमएसआरडीई की पत्रिका नवचिंतन के कवर पेज पर तिरंगे में रंगों का क्रम ऊपर हरा और केसरिया नीचे है। इसके अलावा डंडरियाल ने कहा कि पत्रिका के कवर पेज पर तिरंगा सैनिक की पीठ पर लदा है। चित्रित सैनिक भारतीय सेना की वर्दी की जगह नाटो या अमेरिकी सेना से मिलती-जुलती वर्दी में है। यह विदेशी सैनिक की छवि हो सकती है, जिसे तिरंगे के साथ फोटोशॉप किया गया है।
तहरीर में शिकायतकर्ता प्रभु डंडरियाल ने कहा कि भारतीय सैनिक आमतौर पर INSAS या SIG 716 राइफलों का उपयोग करते हैं और उनकी वर्दी में विशिष्ट भारतीय छलावरण पैटर्न, प्रतिक चिह्न होते हैं। इसके अलावा जिस डेजर्ट को सैनिक की पृष्ठ्भूमि में दिखाया गया है, वह लद्दाख, थार जैसे डेजर्ट से मेल नहीं खाते हैं। यह किसी शुष्क विदेशी रेगिस्तान जैसा प्रतीत होता है। जो विमान कवर पेज पर दर्शाए गए हैं, वह भी सुखोई, एसयू-30 एमकेआई, मिराज 2000 या राफेल जैसे भारतीय वायु सेना के विमानों से स्पष्ट मेल खाने की जगह पश्चिमी विमानों जैसे-एफ 15 या एफ 22 की तरह नजर आते हैं।
तहरीर में कहा गया है कि यह राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम 1971 पैरा सेक्शन 2 सब पैरा (i) के मानदंडों का उल्लंघन है। लिहाजा, पत्रिका के मुख्य संपादक डॉ मयंक द्विवेदी और अन्य संबंधित के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए। प्रभु डंडरियाल ने कहा कि डीआरडीओ संघ की रक्षा करने के लिए शोध का दावा करती है, लेकिन उसके ही प्रतिष्ठान की पत्रिका नवचिंतन में इस तरह की खामी गंभीर है।