172 साल बाद उत्तराखंड में रचा गया इतिहास, सबसे लंबी रेल सुरंग आरपार
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन की 14.57 किमी लंबी जानसू रेल सुरंग का ब्रेकथ्रू

Rajkumar Dhiman, Uttarakhand: उत्तराखंड में 172 साल बाद इतिहास रचा गया है। वर्ष 1853 में आज के ही दिन 16 अप्रैल को देश में पहली रेल सेवा संचालित की गई थी। इसी दिन पर 125 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के अंतर्गत देश की सबसे लंबी रेल सुरंग जानसू का ब्रेकथ्रू (आरपार) किया गया। इस ऐतिहासिक पल का गवाह केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी बने।
केंद्रीय रेल मंत्री बुधवार को उत्तराखंड के एक दिवसीय दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया और उसके बाद देवप्रयाग और जानसू के बीच बन रही जानसू टनल का भी दौरा किया, जिसका बुधवार को ही ब्रेकथ्रू हुआ। इस दौरान उन्होंने रेलवे अधिकारीयों को विभिन्न दिशा निर्देश भी दिए।
देवप्रयाग और जनासू के बीच ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के अंतर्गत बन रही सबसे लंबी 14.57 किमी की टी-8 और टी-8 एम डबल ट्यूब सुरंगों का ब्रेकथ्रू सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनासू रेलवे स्टेशन पहुंचकर सुरंग निर्माण कार्य का निरीक्षण किया। इस खास क्षण के साक्षी गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी और राज्य के कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत भी बने।

14.57 किलोमीटर लंबी इन सुरंगों का निर्माण अत्याधुनिक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) की मदद से किया गया है, जो परियोजना की तकनीकी दक्षता को दर्शाता है। वहीं, परियोजना की शेष सुरंगों का निर्माण पारंपरिक ड्रिल एंड ब्लास्ट तकनीक से किया जा रहा है। क्षेत्र की जटिल भूगर्भीय परिस्थितियों को देखते हुए सुरंगों की खुदाई के लिए विशेष टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) जर्मनी से मंगाई गई थीं। इसके अलावा जनासू से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर एक वर्टिकल शाफ्ट (कुआंनुमा सुरंग) भी बनाई गई है, जिससे खुदाई और निर्माण कार्य में सहायता मिल सके।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सुरंग निर्माण कार्य की सराहना करते हुए कहा कि यह परियोजना उत्तराखंड के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में रेल कनेक्टिविटी को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की आधुनिक तकनीक से सुरंग निर्माण भविष्य की परियोजनाओं के लिए मिसाल बनेगा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने जानकारी देते हुए बताया कि आज का दिन इसलिए भी ऐतिहासिक है क्यूंकि आज ही के दिन भारत में 1853 को पहली रेल बोरीबंदर से ठाणे के बीच चली थी और आज ही भारत की सबसे लंबी ट्रांसपोर्टेशन टनल जानसू का ब्रेकथ्रू भी हुआ है।
पहाड़ पर रेल का पीएम मोदी का सपना हो रहा साकार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहाड़ पर रेल लाने का जो सपना था, वह अब साकार होता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ महीनों में यह सुरंग पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने सुरंग निर्माण में लगे सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों को इस ब्रेकथ्रू के लिए शुभकामनाएं दीं।
मुख्यमंत्री धामी ने इसे तकनीकी प्रगति, परिश्रम और सामूहिक प्रयासों का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह उपलब्धि आने वाले समय में प्रदेश के लिए विकास और कनेक्टिविटी के नए रास्ते खोलेगी। इस खास अवसर पर जिलाधिकारी पौड़ी आशीष चौहान, जिलाधिकारी टिहरी मयूर दीक्षित, कार्यदाई संस्था आरवीएनएल के प्रबंध निदेशक प्रदीप गौड़, अपर जिलाधिकारी अनिल सिंह गर्ब्याल आदि भी उपस्थित रहे।