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वीडियो: अफसर हो तो क्या गुंडों की तरह बर्ताव करोगे? अपर सचिव ने थप्पड़ जड़ने को उठाया हाथ

सुद्धोवाला का है मामला, विवाद की स्थिति बढ़ने पर मौके पर पहुंचे दरोगा हर्ष अरोड़ा के साथ भी हुई बहस, दरोगा को किया लाइन हाजिर

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड शासन के अपर सचिव वित्त अरुणेंद्र सिंह चौहान का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें वह सुद्धोवाला में जमीनी विवाद के दौरान एक नागरिक की तरफ थप्पड़ जड़ने के लिए हाथ उठा रहे हैं। लेकिन तब तक सामने वाला व्यक्ति उनका हाथ पकड़ लेता है। वहीं, वीडियो में अपर सचिव और दरोगा हर्ष अरोड़ा के बीच बहस भी होती नजर आ रही है। विवाद की स्थिति को देखते हुए हर्ष अरोड़ा सुद्धोवाला पहुंचे थे। 100 करोड़ रुपये की आय से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों घिर चुके अरुणेंद्र सिंह का न तब बाल बांका हुआ था और न अब इस तरह की खुलेआम अभद्रता पर शासन और सरकार ने कोई एक्शन लिया है। बल्कि, उल्टे दरोगा से बहस पर अरुणेंद्र सिंह की ओर से मुख्य सचिव, डीजीपी और वित्त सचिव से की गई शिकायत का संज्ञान जरूर ले लिया जाता है। जिसके चलते दरोगा हर्ष अरोड़ा को लाइन हाजिर कर दिया गया।

विवाद का यह मामला पंडित दीनदयाल उपाध्याय वित्तीय प्रशासन, प्रशिक्षण एवं अनुसंधान केंद्र (पीडीयूसीटीआरएफए) सुद्धोवाला का है। एक आरोप है कि संस्थान की तारबाड़ काटने और निर्माणाधीन दीवार को गिराने के मामले में अपर सचिव और कुछ अन्य लोगों के बीच तनातनी हो गई थी। दूसरा आरोप यह है कि संस्थान के अधिकारी निजी मार्ग को बाधित करते हुए दीवार खड़ी कर रहे हैं। यही कारण था कि गुरुवार को मौके पर विवाद हो गया और उसी दौरान झाझरा चौकी प्रभारी हर्ष अरोड़ा मौके पर पहुंचे थे।

वीडियो में यह भी दिख रहा है कि हर्ष अरोड़ा अरुणेंद्र सिंह चौहान को यह कह रहे हैं कि आप इतने बड़े अधिकारी होकर ऐसी हरकत कर रहे हैं। चूंकि यह उनका क्षेत्र है तो विवाद की स्थिति में उनका मौके पर पहुंचने का फर्ज है। दूसरी ओर अपर सचिव चौहान के थप्पड़ जड़ने के लिए हाथ बढ़ाने के बाद वहां आए लोगों की तीखी प्रतिक्रिया भी देखने को मिल रही है। अब देखना है कि क्या शासन और सरकार उच्च अधिकारी के इस तरह के बर्ताव पर किसी तरह का कोई संज्ञान लेती है या नहीं।

क्योंकि, पूर्व में जब एक आरटीआई कार्यकर्ता सीमा भट्ट ने अरुणेंद्र सिंह चौहान पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया था, तब शिकायत राष्ट्रपति और सीबीआई को भी भेजी गई थी। तब सीबीआई ने शासन को पत्र लिखकर सूचित भी किया था। जिसका आशय यह था कि उन्हें जांच/ कार्रवाई की अनुमति दी जाए। हालांकि, शासन ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया। कम से कम आरोपों की जांच तो बनती ही थी। फिर भी ऐसा जरूरी नहीं समझा गया।

16 अप्रैल को ही कोर्ट के एक आदेश के क्रम में जमीन के दूसरे प्रकरण में अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान जांच के लपेटे में आते दिख रहे हैं। जांच का यह आदेश मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सैय्यद गुफरान ने जारी किया है। जिसमें अरुणेंद्र के साथ ही अन्य अधिकारियों के नाम भी हैं। यह शिकायत मनीष वर्मा (श्री श्री 1008 नारायण स्वामी चैरिटेबल ट्रस्ट नंदा की चौकी के ट्रस्टी) ने दर्ज कराई है। इसके अलावा भी अरुणेंद्र सिंह चौहान पर कई आरोप लग चुके हैं और जिन्हें वह खारिज भी करते आए हैं। फिर भी सवाल अपनी जगह कायम है कि क्या इतने आरोपों के बाद भी सघन जांच नहीं कराई जानी चाहिए?

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