देहरादून की पॉश एटीएस कॉलोनी प्रकरण में बिल्डर की धौंस टूटी, नगर निगम ने हटाया कब्जा
करोड़ों की जमीन को कब्जाने का प्रयास, अब पार्क बना सकता है निगम

Amit Bhatt, Dehradun: सहस्त्रधारा रोड स्थित एटीएस कॉलोनी में लंबे समय से चल रहे भूमि विवाद पर आखिरकार नगर निगम ने निर्णायक वार करते हुए अपनी कीमती जमीन को आज भूमाफिया के कब्जे से मुक्त करा लिया। इस जमीन को कब्जामुक्त कराने के लिए निगम की टीम ने दो घंटे की सघन कार्रवाई की, जिसमें पुलिस बल, निगम अधिकारी और स्थानीय निवासी मौजूद रहे।
तीन हफ्ते पहले निगम की टीम को मिली थी हार
ये वही जमीन है, जहां तीन सप्ताह पूर्व जब निगम की टीम सर्वे के लिए पहुंची थी, तो बिल्डर ने शासन के एक सचिव का नाम लेकर अधिकारियों को धमकाया था और उन्हें बैरंग लौटा दिया था। बिल्डर ने उस समय टीम से साफ कह दिया था —
“अब कौन सी जांच? इस मामले की फाइल तो सचिव के पास है।”
नतीजतन, निगम को खाली हाथ लौटना पड़ा।
बिल्डर की बड़ी चाल – गलत तथ्य, गलत नक्शे
सूत्रों के अनुसार, बिल्डर ने गलत तथ्य पेश कर भवनों के नक्शे पास करा लिए और धीरे-धीरे नगर निगम की जमीन पर भी कब्जा कर लिया। स्थानीय निवासियों की शिकायतों के बावजूद मामला नगर नियोजन प्राधिकरण और शासन स्तर पर अटका रहा।
2023-24 में उजागर हुआ ‘जमीन हस्तांतरण खेल’
वर्ष 2023-24 में इस प्रकरण की असली परत तब खुली, जब बिल्डर की ओर से नगर निगम की 3800 वर्गमीटर जमीन में से 1250 वर्गमीटर भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया गया। बदले में निगम को जो जमीन देने की बात कही गई थी, वह ढालू, बंजर और साल के पेड़ों से भरी पड़ी है, जिसकी बाजार कीमत ₹26,000 से ₹45,000 प्रति वर्गगज है।
इसके उलट, एटीएस कॉलोनी की यह जमीन ₹75,000 प्रति वर्गगज के मौजूदा रेट पर अत्यंत कीमती है। इसके बावजूद, तहसील सदर और नगर निगम स्तर पर चूक करते हुए, बिना पर्याप्त तथ्यों के प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया।
गोल्डन फॉरेस्ट प्रकरण से भी जुड़ा मामला
दिलचस्प बात यह है कि एटीएस कॉलोनी की यह भूमि गोल्डन फॉरेस्ट की संपत्तियों में आती है, जिनकी नीलामी का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। ऐसे में, नगर निगम की जमीन को अस्थायी रूप से पार्क जैसी सार्वजनिक सुविधाओं के लिए प्रयोग करना तो समझ में आता है, लेकिन निजी बिल्डर को यह भूमि हस्तांतरित करने की तैयारी पर बड़े सवाल उठ रहे हैं।
स्थानीय निवासियों की जीत, हरियाली की उम्मीद
आज की कार्रवाई में जेसीबी मशीनों की मदद से कब्जा हटाया गया, साथ ही झाड़ियाँ और अव्यवस्था भी साफ की गई। स्थानीय निवासियों ने नगर निगम की इस सख्त कार्रवाई का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि अब यहां पार्क का निर्माण होगा, जिससे कॉलोनी में हरित क्षेत्र बढ़ेगा।
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि सार्वजनिक भूमि पर किसी भी तरह का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और भविष्य में भी इस तरह के मामलों में शून्य सहनशीलता की नीति अपनाई जाएगी।