कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह नहीं आया बाज, आयोग की परीक्षा को लेकर कर रहा था लाखों की डील
21 सितंबर को होने वाली यूकेएसएसएसी की भर्ती परीक्षा पास कराने के नाम पर मांगे 15 लाख

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की रविवार को होने वाली स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा से ठीक पहले दून पुलिस और STF ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कुख्यात नकल माफिया हाकम सिंह को एक बार फिर दबोच लिया। हाकम सिंह अपने एक साथी पंकज गौड़ के साथ मिलकर अभ्यर्थियों को पास कराने का लालच देकर 12 से 15 लाख रुपये तक की मोटी रकम वसूलने की फिराक में था।
पहले भी हो चुका है गिरफ्तार, भाजपा से हुआ था निष्कासित
याद दिला दें कि नकल कांड में हाकम सिंह का नाम नया नहीं है। इससे पहले भी वह कई परीक्षाओं में धांधली कराने के आरोप में 13 अगस्त 2022 को STF के हत्थे चढ़ा था। उसी वक्त भाजपा ने उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। उसके खिलाफ नकल प्रकरण और गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे दर्ज हुए थे। पांच सितंबर 2023 को उसे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी।
इस बार कैसे हुआ पर्दाफाश
SSP देहरादून अजय सिंह और STF SSP नवनीत सिंह ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि परीक्षा से महज दो दिन पहले खुफिया इनपुट मिला कि गिरोह अभ्यर्थियों को पास कराने के नाम पर ठगी का जाल बिछा रहा है। जांच में खुलासा हुआ कि पंकज गौड़ नामक अभ्यर्थी हाकम सिंह से जुड़ा है। दोनों ने छह अभ्यर्थियों से संपर्क कर रकम की मांग की थी।
दरअसल, योजना यह थी कि अगर अभ्यर्थी खुद चयनित हो जाते तो उनसे पैसा वसूला जाता, और अगर असफल होते तो अगली परीक्षा में मदद का झांसा देकर रकम एडजस्ट करने की बात कही जाती।
पटेलनगर से हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने दोनों आरोपितों को पटेलनगर क्षेत्र से दबोच लिया और उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम) अध्यादेश 2023 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया।
परीक्षा पर कोई असर नहीं
STF SSP नवनीत भुल्लर ने साफ किया कि इस पूरे प्रकरण में आगामी परीक्षा की गोपनीयता और सुचिता पर कोई आंच नहीं आई है। वहीं UKSSSC के अध्यक्ष जी.एस. मर्तोलिया ने भी पुष्टि की कि परीक्षा पूर्व निर्धारित समय पर ही होगी।
हाकम सिंह: रसोइये से भर्ती परीक्षाओं के ‘नकल नेटवर्क’ का सरगना बनने तक का सफर
देहरादून। उत्तराखंड की भर्ती परीक्षाओं में जब पहली बार 2022 में संगठित नकल कांड सामने आया, तब एक नाम पूरे राज्य में सुर्खियों में आया — हाकम सिंह। उत्तरकाशी जिले के छोटे से कस्बे मोरी से निकलकर उसने राजनीति, कारोबार और सियासी संपर्कों के सहारे कुछ ही वर्षों में ऐसा जाल बिछाया कि वह राज्य का कुख्यात “नकल माफिया” बन बैठा।
रसोइये से नकल माफिया बनने तक
हाकम सिंह का सफर बेहद मामूली नौकरी से शुरू हुआ। वह एक प्रशासनिक अधिकारी के घर कुक के रूप में काम करता था। अधिकारी का तबादला हरिद्वार हुआ तो वहीं उसका संपर्क आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से हुआ और यहीं से उसकी राह नकल माफियाओं तक जा पहुंची। धीरे-धीरे उसने यूपी के इस गिरोह से जुड़ाव बढ़ाया और उत्तराखंड में अपनी जमीन तैयार करनी शुरू कर दी।
राजनीति का सहारा और बढ़ती पैठ
राजनीति ने हाकम के लिए दरवाजे खोल दिए। वर्ष 2008 से पंचायत की राजनीति में सक्रिय होने के बाद 2019 में वह जिला पंचायत सदस्य चुन लिया गया। राजनीतिक रसूख ने उसे सत्ता और प्रशासन तक सीधी पहुंच दिलाई। बड़े नेताओं और अफसरों से नज़दीकी दिखाकर उसने भरोसा हासिल किया और इसका इस्तेमाल अपने धंधे को मजबूत करने में किया। इस दौरान उसने अकूत संपत्ति अर्जित कर सांकरी में आलीशान रिसॉर्ट भी खड़ा कर लिया।
ठेकेदारी और कारोबार से बढ़ा दायरा
राजनीति के साथ-साथ हाकम ने सरकारी ठेकों और कारोबार में भी पैर जमाए। सड़क निर्माण से लेकर शिक्षा से जुड़े कामों तक उसकी पहुंच बढ़ती चली गई। इसी नेटवर्क ने आगे चलकर उसके नकल साम्राज्य की नींव रखी। शिक्षा विभाग से जुड़े कुछ लोग उसके करीब आ गए और यहीं से उसने संगठित तरीके से परीक्षा धांधली का खेल शुरू किया।
गिरफ्तारी और कानून का शिकंजा
13 अगस्त 2022 को हाकम सिंह पहली बार भर्ती परीक्षा धांधली मामले में गिरफ्तार हुआ। हालांकि, सितंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट से उसे जमानत मिल गई। कुछ समय तक शांत रहने के बाद उसने फिर से धंधा जमाने की कोशिश की, लेकिन इस बार सतर्क प्रशासन ने परीक्षा शुरू होने से पहले ही उसे पकड़ लिया।
अंततः सलाखों के पीछे, लेकिन कड़ी कार्रवाई का इंतजार
हाकम सिंह ने सत्ता, पैसा और ताकत के बल पर सालों तक अपना दबदबा बनाए रखा और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया। लेकिन अपराध कितना भी संगठित क्यों न हो, अंततः कानून की गिरफ्त से बच पाना असंभव है। पहली गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने उससे पल्ला झाड़ लिया था और उसका रिसॉर्ट भी अतिक्रमण मानकर ध्वस्त कर दिया गया। अब एक बार फिर जेल की सलाखें उसके सफर का अंतिम ठिकाना बनती दिख रही हैं।
हाकम सिंह प्रकरण की मुख्य घटनाओं को ऐसे समझें
2000 के दशक की शुरुआत – उत्तरकाशी जिले के मोरी क्षेत्र में एक अधिकारी के कुक के रूप में काम शुरू किया। यहीं से प्रशासनिक दायरे में संपर्क बने।
2008 – पंचायत राजनीति में प्रवेश, स्थानीय स्तर पर पैठ बनाना शुरू।
2019 – जिला पंचायत सदस्य चुना गया। राजनीति और सियासी संपर्कों से पहुंच और प्रभाव और मजबूत हुआ।
2020–2021 – ठेकेदारी और छोटे सरकारी कार्यों में सक्रिय, शिक्षा और निर्माण क्षेत्र तक नेटवर्क फैलाया।
2022 (13 अगस्त) – उत्तराखंड की सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा धांधली का भंडाफोड़; हाकम सिंह नकल माफिया के रूप में गिरफ्तार।
2022 (अगस्त–सितंबर) – गिरफ्तारी के बाद भाजपा ने पार्टी से निष्कासित किया।
2022 (सितंबर–अक्टूबर) – रिसॉर्ट का हिस्सा अतिक्रमण बताकर प्रशासन ने ध्वस्त किया।
2023 (5 सितंबर) – सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली; जेल से बाहर आने के बाद लंबे समय तक शांत रहा।
2024 (मध्य वर्ष) – फिर से नेटवर्क सक्रिय करने की कोशिशों की खबरें सामने आईं, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं।
2025 (सितंबर, परीक्षा से पूर्व) – उत्तराखंड स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में नकल कराने की तैयारी करते हुए फिर दबोचा गया।
2025 (सितंबर) – दोबारा गिरफ्तारी के बाद माना जा रहा है कि उसका राजनीति–पैसा–ताकत वाला खेल अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है।
उत्तराखंड भर्ती परीक्षाओं में नकल/धांधली के प्रमुख मामले
🔹 2022
UKSSSC स्नातक स्तरीय परीक्षा (जुलाई 2022)
पेपर लीक होकर अभ्यर्थियों तक पहुंचा।
हजारों छात्रों का भविष्य दांव पर लगा, परीक्षा रद्द करनी पड़ी।
STF जांच में कई लोग गिरफ्तार, हाकम सिंह का नाम उजागर।
UKSSSC सचिवालय रक्षक परीक्षा (अगस्त 2022)
संगठित गिरोह ने अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर पास कराने का वादा किया।
पेपर लीक और सॉल्विंग गैंग सक्रिय।
धांधली सामने आने के बाद परीक्षा रद्द।
उत्तराखंड विधानसभा भर्ती घोटाला (सितंबर 2022)
विधानसभा में चपरासी से लेकर क्लर्क तक की नियुक्तियों में भाई–भतीजावाद और नियम उल्लंघन।
योग्यता दरकिनार कर रिश्तेदारों को नौकरी मिली।
भारी विवाद के बाद सरकार ने नियुक्तियाँ निरस्त कीं।
🔹 2023
पटवारी–लेखपाल परीक्षा (जनवरी 2023)
UKPSC की परीक्षा का पेपर लीक हुआ।
पेपर लीक घर से ही हुआ, आयोग के कर्मचारी ही शामिल पाए गए।
STF ने आयोग के कर्मचारी समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया।
परीक्षा दोबारा कराई गई।
Forest Guard परीक्षा (अप्रैल 2023)
ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए नकल कराने की साजिश।
हरिद्वार में दो लोग गिरफ्तार, कोचिंग सेंटर ऑपरेटर शामिल।
प्रति अभ्यर्थी ₹4 लाख तक की डील।
UKSSSC/अन्य परीक्षाओं में अनुचित साधन (मई 2023)
लगभग 200 अभ्यर्थियों को “अनफेयर मीन्स” में पकड़ा गया।
इन्हें भर्ती परीक्षाओं से डिबार किया गया।
🔹 2024
इस वर्ष कोई बड़ा पेपर लीक प्रकरण नहीं, लेकिन पुराने मामलों की जांच और ट्रायल चलते रहे।
नकल विरोधी कानून को और कड़ा करने पर सरकार ने जोर दिया।
🔹 2025
स्नातक स्तरीय परीक्षा (सितंबर 2025)
हाकम सिंह समेत नकल माफिया फिर सक्रिय।
STF ने समय रहते गिरोह का पर्दाफाश कर कई लोगों को पकड़ा।
परीक्षा से पहले ही बड़ी साजिश उजागर।
⚖️ कानूनी कार्रवाई और सख्ती
फरवरी 2023: उत्तराखंड नकल विरोधी अध्यादेश लागू।
नकल/पेपर लीक पर 10 साल से आजीवन कारावास तक की सजा।
दोषियों की संपत्ति जब्ती का प्रावधान।
अब तक 800 से ज्यादा गिरफ्तारियां (2022–2025 के बीच)।
UKPSC ने 100+ अभ्यर्थियों को 5 साल के लिए प्रतिबंधित किया।