जीएसटी की नई दरें लागू, लाभ न देने वाले दुकानदारों की इस नंबर पर करें शिकायत…
सरकार ने नंबर किया जारी, जानिए उत्तराखंड में किन वस्तुओं और सेवाओं के दाम घटने से मिलेगा सीधा लाभ

Rajkumar Dhiman, Dehradun: सोमवार से देशभर में जीएसटी की नई दरें लागू हो चुकी हैं। केंद्र सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी उपभोक्ताओं को दरों में कटौती का पूरा लाभ मिलना चाहिए। कई स्थानों पर दुकानदारों ने इसका पालन करते हुए पुरानी और नई दरों की तख्ती भी लगाई, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे व्यापारी भी सामने आए जिन्होंने पैक्ड फूड पर उपभोक्ताओं को राहत नहीं दी।
अप्रत्यक्ष कर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यदि कोई दुकानदार नई दरों का लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा रहा है तो ग्राहक तुरंत शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए उपभोक्ता विभाग का हेल्पलाइन नंबर 1915 जारी किया गया है। अधिकारी ने कहा कि उपभोक्ताओं को सतर्क रहकर बिल की जांच करनी चाहिए और कहीं भी गड़बड़ी पाए जाने पर शिकायत करने से हिचकना नहीं चाहिए।
जीएसटी सुधारों की दिशा उठाए गए ऐतिहासिक कदमों को धरातल पर उतारने का काउंटडाउन शुरू हो गया है। तमाम उत्पादों और सेवाओं में जो कर की जिन दरों में संशोधन किया गया है, वह कल यानी 22 सितंबर से लागू हो जाएंगी। आमजन से जुड़ी वस्तुओं में जीएसटी दरों में कटौती का सीधा लाभ जनता को मिलेगा। उनके खर्च करने की दर बढ़ेगी, जिससे कारोबार का पहिया तेजी से घूमेगा। साथ ही नागरिकों की जेब पर पढ़ने वाला बोझ भी घटेगा। इसके अलावा कम मूल्य, अधिक कारोबार के नियम के तहत अपनेआप औसत कर राजस्व भी बढ़ेगा। जिससे सरकार को पर्याप्त राजस्व मिलेगा और कल्याणकारी योजनाओं को भी गति मिलेगी।
चूंकि, अब त्योहारी सीजन शुरू हो रहा है तो चौतरफा बूम देखने को मिल सकता है। यह सब जीएसटी सुधारों की दिशा में लिए गए अभिनव निर्णय से संभव हो सकेगा। दरअसल, जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में लिए गए निर्णयों के क्रम में केंद्र सरकार ने 17 सितंबर 2025 को कर दर निर्धारण से जुड़ी अधिसूचनाएं जारी की थीं। इसके तहत उत्तराखंड सरकार ने भी 18 सितंबर को वस्तुओं और सेवाओं पर संशोधित कर दरों की अधिसूचनाएं जारी कर दीं। नई दरें सोमवार 22 सितंबर 2025 से लागू होंगी।
इन बदलावों से उपभोक्ता वस्तुएं, कृषि और चिकित्सा उपकरण, स्वास्थ्य और सौंदर्य सेवाएं, छोटी कारें, भवन निर्माण सामग्री और बीमा सेवाएं पहले की तुलना में सस्ती हो जाएंगी।
प्रमुख बदलाव
12% कर स्लैब समाप्त, उपभोक्ता वस्तुएं हुईं सस्ती
12% का टैक्स स्लैब खत्म कर दिया गया है।
स्टेशनरी आइटम्स (पेंसिल, शार्पनर, नोटबुक, मैप, चार्ट, ग्लोब) अब करमुक्त होंगे।
बटर, घी, चीज़, नमकीन, ड्राई फ्रूट्स, बर्तन, दवाइयां, हैंडीक्राफ्ट, कृषि मशीनरी, मेडिकल ऑक्सीजन, ग्लूकोमीटर, सिलाई मशीन, नजर के चश्में, होटल रूम (₹7500 तक) पर टैक्स 12% से घटाकर 5% किया गया है।
18% से 5% कर पर आ गईं रोजमर्रा की वस्तुएं और सेवाएं
हेयर ऑयल, शैम्पू, टैल्कम पाउडर, टूथपेस्ट, टूथब्रश, बिस्कुट, केक, पेस्ट्री, आइसक्रीम, चॉकलेट, कन्फेक्शनरी, कॉर्नफ्लेक्स, पैक्ड ड्रिंकिंग वाटर, सूप, ट्रैक्टर टायर-ट्यूब, थर्मामीटर आदि पर टैक्स 18% से घटाकर सिर्फ 5%। जिम, सैलून, योग केंद्र और अन्य फिटनेस सेवाएं अब 5% जीएसटी पर।
18% से करमुक्त हुईं बीमा सेवाएं
सभी निजी जीवन बीमा पॉलिसी और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पर जीएसटी की पूरी छूट। इससे बीमा कवरेज बढ़ेगा और आम आदमी के लिए बीमा प्रीमियम सस्ता होगा।
28% से 18% पर आईं बड़ी उपभोक्ता वस्तुएं
एसी, टीवी (32 इंच तक), मॉनिटर, प्रोजेक्टर, डिश वॉशिंग मशीन, सीमेंट, थ्री-व्हीलर, छोटी कारें (पेट्रोल 1200 सीसी तक, डीजल 1500 सीसी तक), 350 सीसी तक मोटरसाइकिल और माल वाहक वाहन पर टैक्स 28% से घटाकर 18% किया गया।
करमुक्त हुईं जीवनरक्षक दवाइयां
33 जीवन रक्षक दवाइयों को पूरी तरह करमुक्त किया गया। कैंसर और अन्य दुर्लभ बीमारियों में प्रयुक्त 3 दवाइयां भी 5% से करमुक्त कर दी गई हैं।
खाद्य पदार्थों में भी बड़ी राहत
पनीर, पिज्जा ब्रेड, रोटी, परांठा, इरेज़र आदि अब पूरी तरह करमुक्त।
लग्जरी वस्तुएं महंगी, लेकिन कीमतों में होगी कमी
बड़ी कारों और एसयूवी पर जीएसटी 28% से बढ़ाकर 40% किया गया। हालांकि, इन पर लगने वाला कंपनसेशन सेस समाप्त होने के कारण इनकी कीमतों में भी कमी आएगी।
यह पड़ेगा प्रभाव
– आम उपभोग की वस्तुएं और सेवाएं सस्ती होंगी।
– किसानों और कृषि क्षेत्र को बड़ी राहत मिलेगी।
– चिकित्सा उपकरण और दवाइयों पर कर कम होने से इलाज की लागत घटेगी।
– बीमा सेवाएं करमुक्त होने से देश में बीमा कवरेज बढ़ेगा।
– उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
कर सुधारों का निचोड़
इन कर सुधारों से आम जनता, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोग, सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे। उपभोक्ता वस्तुएं सस्ती होने से घरेलू बजट पर बोझ घटेगा, जबकि उद्योग-व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा। लंबे समय में इन कदमों से देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा।