देश में पहली बार डीएनए आधारित हाथी गणना: भारत में 22,446 हाथी, कर्नाटक सबसे आगे, उत्तराखंड पांचवें स्थान पर
भारतीय वन्य जीव संस्थान में एनुअल रिसर्च सेमिनार में रिपोर्ट की गई जारी

Rajkumar Dhiman, Dehradun: भारत में हाथियों की संख्या का आकलन अब पारंपरिक अनुमान पर नहीं, बल्कि विज्ञान पर आधारित है। देश में पहली बार डीएनए-आधारित “अखिल भारतीय समन्वित हाथी गणना” (DNA-Based All India Synchronized Elephant Estimation) पूरी हुई है, जिसने भारत में हाथियों की सटीक और प्रमाणित जनसंख्या का नया मानक तैयार किया है।

मंगलवार को भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून में आयोजित वार्षिक शोध संगोष्ठी के दौरान इस ऐतिहासिक रिपोर्ट का विमोचन किया गया। कार्यक्रम में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अपर महानिदेशक डॉ. ईराच भरूचा, इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस के महानिदेशक डॉ. एस.पी. यादव, तथा WII के निदेशक डॉ. जी.एस. भारद्वाज उपस्थित रहे।
🔬 डीएनए से बनी ‘जीन पहचान’, हर हाथी को मिली अलग पहचान
अब तक हाथियों की गिनती दृश्य अवलोकन या मल के घनत्व से की जाती थी, जिससे दोहराव या त्रुटियों की संभावना रहती थी। लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने “डीएनए मार्क-रिकैप्चर तकनीक” अपनाई। इस तकनीक में हाथियों के मल के नमूनों से डीएनए निकाला गया और प्रत्येक हाथी के लिए एक विशिष्ट जेनेटिक आईडी (Genetic ID) तैयार की गई। इससे न केवल गिनती में सटीकता आई, बल्कि देशभर के हाथियों की अद्वितीय पहचान भी स्थापित हुई — ठीक वैसे ही जैसे मानव फिंगरप्रिंट या आधार पहचान होती है।
🇮🇳 दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में सर्वाधिक हाथी
नवीनतम आकलन के अनुसार देशभर में हाथियों की अनुमानित संख्या 22,446 है। यह संख्या 18,255 से 26,645 के सांख्यिकीय दायरे में मानी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चूंकि यह तकनीक पहले कभी उपयोग नहीं की गई, इसलिए इसे पिछली गणनाओं से तुलना योग्य नहीं माना जा सकता। वर्ष 2017 की पारंपरिक गणना में 27,312 हाथी दर्ज किए गए थे। नई गणना को भविष्य के अध्ययन और संरक्षण प्रयासों के लिए “बेसलाइन डेटा” के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
📊 राज्यवार हाथी संख्या (डीएनए आधारित गणना 2025)
क्रम | राज्य / क्षेत्र | अनुमानित संख्या | सांख्यिकीय सीमा |
---|---|---|---|
1️⃣ | कर्नाटक | 6,013 | 4,792 – 7,235 |
2️⃣ | असम | 4,159 | 3,395 – 4,924 |
3️⃣ | तमिलनाडु | 3,136 | 2,688 – 3,585 |
4️⃣ | केरल | 2,785 | 2,738 – 3,193 |
5️⃣ | उत्तराखंड | 1,792 | 1,502 – 2,083 |
6️⃣ | ओडिशा | 912 | 579 – 1,246 |
7️⃣ | मेघालय | 677 | 585 – 770 |
8️⃣ | पश्चिम बंगाल (उत्तर) | 676 | 541 – 812 |
9️⃣ | अरुणाचल प्रदेश | 617 | 555 – 680 |
🔟 | छत्तीसगढ़ | 451 | 297 – 606 |
11️⃣ | उत्तर प्रदेश | 257 | — |
12️⃣ | नगालैंड | 252 | 207 – 298 |
13️⃣ | झारखंड | 217 | 149 – 286 |
14️⃣ | त्रिपुरा | 153 | 140 – 167 |
15️⃣ | आंध्र प्रदेश | 120 | 103 – 138 |
16️⃣ | मध्य प्रदेश | 97 | 60 – 135 |
17️⃣ | महाराष्ट्र | 63 | 48 – 79 |
18️⃣ | पश्चिम बंगाल (दक्षिण) | 31 | 22 – 41 |
19️⃣ | मिजोरम | 16 | 13 – 18 |
20️⃣ | बिहार | 13 | — |
21️⃣ | मणिपुर | 09 | 08 – 11 |
🌳 पारिस्थितिक क्षेत्रों में हाथियों का वितरण
डीएनए आधारित अध्ययन ने चार प्रमुख पारिस्थितिक परिदृश्यों में हाथियों का विस्तृत वितरण भी स्पष्ट किया:
- पश्चिमी घाट क्षेत्र: 11,934 हाथी
- उत्तर-पूर्वी पहाड़ और ब्रह्मपुत्र समतल: 6,559 हाथी
- शिवालिक एवं गंगा मैदानी क्षेत्र: 2,062 हाथी
- मध्य भारत एवं पूर्वी घाट: 1,891 हाथी
इससे यह पुष्ट हुआ कि देश में हाथियों की सर्वाधिक सघनता दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में बनी हुई है।
🧬 संरक्षण नीति के लिए वैज्ञानिक दिशा
डीएनए-आधारित गणना से हाथियों की सटीक संख्या, प्रवास मार्ग और जीन विविधता का पता लगाने में मदद मिलेगी। इससे
- मानव-हाथी संघर्ष क्षेत्रों की पहचान और नियंत्रण,
- हाथी कॉरिडोर के संरक्षण,
- और जीनोमिक डेटा बैंक की स्थापना जैसे कार्यों को गति मिलेगी।
अब मंत्रालय की योजना देश के सभी हाथी रिजर्व और राष्ट्रीय उद्यानों में हाथियों का डीएनए प्रोफाइल बैंक तैयार करने की है, ताकि भविष्य में हर हाथी की पहचान वैज्ञानिक तरीके से हो सके।
🌏 वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल भारत को हाथी संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करेगी। पारंपरिक अनुमान पद्धतियों से आगे बढ़ते हुए भारत अब “जीनोमिक मॉनिटरिंग” युग में प्रवेश कर चुका है — जहां हर हाथी का डेटा विज्ञान के माध्यम से संरक्षित होगा।