अफसर 354 से बढ़कर हुए 481, कर्मचारी 777 पर अटके, अब आंदोलन की तैयारी
उत्तराखंड राज्य कर मिनिस्टीरियल स्टाफ एसोसिएशन ने शासन और विभाग को दिया 15 जनवरी तक का अल्टीमेटम

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड राज्य कर मिनिस्टीरियल स्टाफ एसोसिएशन के आह्वान पर सोमवार को प्रदेशभर में राज्य कर विभाग के कर्मचारियों ने एक घंटे की गेट मीटिंग कर शासन के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। यह प्रदर्शन प्रांतीय अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी के नेतृत्व में किया गया। देहरादून स्थित राज्य कर मुख्यालय सहित सभी जनपदों में कर्मचारियों ने पूर्वाह्न 11 बजे से 12 बजे तक गेट मीटिंग कर सरकार के टालमटोल वाले रवैये पर नाराजगी जताई।
प्रांतीय अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी ने कहा कि लंबे समय से कर्मचारियों के ढांचे (स्ट्रक्चर) के पुनर्गठन और एसटीओ नियमावली से जुड़े प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस और सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 15 जनवरी 2026 तक मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया, तो 16 जनवरी से पूरे प्रदेश में प्रतिदिन एक घंटे की गेट मीटिंग की जाएगी और प्रत्येक जिले में कर्मचारी सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 8 दिसंबर को कर्मचारियों का स्ट्रक्चर वित्त अनुभाग-08, उत्तराखंड शासन को भेजा गया था, जिसमें पदों में भारी कटौती की खबरें सामने आ रही हैं। नेगी ने स्पष्ट किया कि यदि कर्मचारियों का ढांचा उनके अनुकूल नहीं हुआ, तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा और संयुक्त परिषद के साथ मिलकर कार्य बहिष्कार जैसे कठोर कदम उठाए जाएंगे।
एसोसिएशन ने बताया कि राज्य कर विभाग राज्य के कुल राजस्व का 50 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है, इसके बावजूद कर्मचारियों के ढांचे का पुनर्गठन वर्ष 2006-07 के बाद से नहीं किया गया। जबकि अधिकारी संवर्ग में वर्ष 2006-07 तक 354 स्वीकृत पद थे, जिनमें बाद के वर्षों में लगातार वृद्धि की गई। वर्ष 2015-16 में 63 पद और वर्ष 2024-25 में 16 नए कार्यालयों सहित 49 पद सृजित किए गए। वर्तमान में अधिकारियों के कुल स्वीकृत पदों की संख्या बढ़कर 481 हो चुकी है, जबकि कर्मचारियों के पदों की संख्या आज भी 777 पर ही स्थिर है।
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि यह स्थिति सरकारी कार्यालयों की पिरामिडीय पदानुक्रम व्यवस्था के पूरी तरह विपरीत है। वर्तमान में विभाग में 61 प्रतिशत अधिकारी स्वीकृत हैं, जो असंतुलन को दर्शाता है। एसोसिएशन का कहना है कि शासन का कर्मचारियों के प्रति पक्षपातपूर्ण और संरक्षणवादी रवैया बेहद खेदजनक है।
उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी लागू होने (1 जुलाई 2017) से पहले राज्य में पंजीकृत व्यापारियों की संख्या लगभग 1 लाख थी, जो अब बढ़कर 2 लाख 13 हजार से अधिक हो चुकी है। यानी व्यापारियों की संख्या में 113 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन इसके अनुपात में कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई। इससे कर्मचारियों पर कार्यभार अत्यधिक बढ़ गया है और वे मानसिक दबाव में काम कर रहे हैं।
राज्य कर मुख्यालय में हुए गेट मीटिंग प्रदर्शन में प्रांतीय संरक्षक भरत सिंह राणा, शाखा मुख्यालय सलाहकार भूपेंद्र सिंह भंडारी, कनिष्ठ उपाध्यक्ष ज्योति पटवाल, शाखा मंत्री पिंकेश रावत सहित बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे। एसोसिएशन ने सरकार से शीघ्र कर्मचारियों के ढांचे के पुनर्गठन और नियमावली से जुड़े मामलों पर सकारात्मक निर्णय लेने की मांग की है।



