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पंचायत चुनाव: भाजपा को ग्रामीणों ने दिखाया आईना, दिग्गजों की प्रतिष्ठा पर सवाल

देहरादून के ग्रामीण क्षेत्रों में जनता ने भाजपा को नकारा, शहर में है भाजपा का गढ़

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों ने राजनीतिक समीकरणों को उलट-पलट कर रख दिया है। नगर निगम चुनाव में प्रचंड जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब ग्रामीण क्षेत्रों में मिली अप्रत्याशित हार के कारण मंथन की स्थिति में पहुंच गई है। 30 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा मात्र 7 पर ही सिमट गई, जबकि कांग्रेस ने 12 सीटों पर जीत दर्ज कर बढ़त बना ली है। सबसे अहम बात यह रही कि 11 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने कब्जा जमाकर दोनों प्रमुख दलों के समीकरणों को गड़बड़ा दिया है।

ग्रामीणों ने जताया स्थानीय नेतृत्व पर भरोसा
देहरादून में भाजपा का परंपरागत गढ़ माने जाने के बावजूद गांवों ने इस बार स्थानीय मुद्दों और व्यक्तिगत छवि को प्राथमिकता दी। जहां शहरों में ‘डबल इंजन’ की सरकार के विकास कार्यों ने मतदाताओं को प्रभावित किया, वहीं गांवों में सड़कों, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी समस्याएं अब भी जस की तस बनी रहीं। इसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा की संगठनात्मक ताकत और केंद्रीय नेतृत्व की लोकप्रियता पंचायत स्तर पर असरकारी नहीं बन पाई।

परिणामों में संतुलन की चाबी निर्दलीयों के हाथ
जिले की कुल 30 जिला पंचायत सीटों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया है। भाजपा को जहां 7 सीटें मिली हैं, वहीं कांग्रेस 12 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। लेकिन सरकार बनाने या जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए किसी भी दल को 11 निर्दलीय सदस्यों का समर्थन लेना अनिवार्य होगा। इनमें से कई निर्दलीय भाजपा या कांग्रेस पृष्ठभूमि से हैं, जिससे जोड़तोड़ और समीकरणों की राजनीति ने रफ्तार पकड़ ली है।

दल सीटें
कांग्रेस समर्थित 12
भाजपा समर्थित 07
निर्दलीय 11
(भाजपा पृष्ठभूमि से 2, कांग्रेस पृष्ठभूमि से 5, अन्य 4)

आरक्षण ने बदले समीकरण, कांग्रेस की रणनीति संकट में
इन परिणामों के बीच एक और बड़ा मोड़ आया जब जिला पंचायत अध्यक्ष पद को महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया। इससे कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह की अध्यक्ष पद की दावेदारी स्वतः समाप्त हो गई। अभिषेक ने बृनार्ड बास्तिल सीट से एकतरफा जीत दर्ज की थी और उन्हें कांग्रेस खेमे में अध्यक्ष पद का मजबूत दावेदार माना जा रहा था।

भाजपा को मिली राहत
दूसरी ओर, भाजपा के लिए यह आरक्षण राहत की खबर बनकर आया है। निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष और भाजपा समर्थित प्रत्याशी मधु चौहान, जो कि विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी हैं, इस बार फिर से कचटा सीट से जीतकर आई हैं। पार्टी के भीतर उन्हें लेकर सहमति बनती दिख रही है, और अब भाजपा एक बार फिर उन्हें अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे कर सकती है।

निर्दलीयों को साधने में जुटे दोनों दल
राजनीतिक हलकों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों अब निर्दलीयों को अपने पक्ष में करने के लिए व्यक्तिगत संपर्क साध रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस एक रणनीतिक बैठक बुलाने की तैयारी में है, वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता एक-एक कर निर्दलीय विजेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। आने वाले कुछ दिन देहरादून की राजनीति के लिए निर्णायक साबित होंगे।

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