रिलायंस ज्वेल्स लूट में दो बदमाश बिहार से गिरफ्तार, दो पर 02-02 लाख का इनाम
दून के राजपुर रोड स्थित रिलायंस ज्वेल्स में 14 करोड़ रुपये के आभूषण की लूट के षड्यंत्र में शामिल रहे गिरफ्तार आरोपी अमित और विशाल
Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून में अब तक की सबसे बड़ी लूट के खुलासे की दिशा में दून पुलिस तेजी से आगे बढ़ रही है। स्वयं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह दबिश पर निकले हैं। अब इस लूटकांड में बड़ी खबर यह आई है कि रिलायंस ज्वेल्स में लूटे गए करीब 14 करोड़ रुपये के आभूषणों के मामले में पुलिस ने बिहारी के वैशाली से दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है। पकड़े गए बदमाश न सिर्फ कुख्यात सुबोध गैंग के सक्रिय सदस्य हैं, बल्कि लूट के षड्यंत्र में भी इनकी भागीदारी पाई गई है। इनकी निशानदेही पर राजपुर रोड स्थित रिलायंस ज्वेल्स लूट में शामिल रहे दो बदमाशों की पहचान भी कर ली गई है। पुलिस की पकड़ से दूर इन बदमाशों को गिरफ्त में लाने के लिए इन पर 02-02 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया है।
लूटकांड में बिहार जेल में निरुद्ध सुबोध उर्फ छोटू गैंग का हाथ होने पर पुलिस सुराग की तलाश में बिहार भी पहुंची। यहां पुलिस के हाथ अहम साक्ष्य लगे हैं। जिसके बल पर पुलिस ने अमित और विशाल को वैशाली से गिरफ्तार कर लिया। अब इन्हें ट्रांजिट रिमांड पर दून लाया जाएगा। साथ ही इनसे की गई पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि रिलायंस ज्वेल्स शोरूम की लूट में प्रिंस कुमार और विक्रम कुशवाहा का हाथ है। पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी के लिए दोनों बदमाशों पर 02-02 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है।
लूट के लिए ओएलएक्स से खरीदते हैं वाहन
कटनी तथा लातूर,सांगली में भी हुई इसी प्रकार की लूट की घटनाओं की जानकारी हेतु गई टीमों द्वारा पाया गया कि उक्त गैंग बेहद शातिराना तरीके से घटनाओं का अंजाम देता है। घटना को अंजाम देने के दौरान पोर्टेबल सिगनल जैमर का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे मौके पर कोई सेंसर ट्रिगर ना हो पाए और ना ही कोई फोन कॉल हो पाए। कटनी(मध्य प्रदेश) तथा सांगली (वेस्ट बंगाल) की घटनाओं में भी अभियुक्तों द्वारा पोर्टेबल सिगनल जैमर का इस्तेमाल किया जाना प्रकाश में आया है। इसके अतिरिक्त अभियुक्तों द्वारा घटनाओं को अंजाम देने के लिए या तो चोरी की गाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है या फर्जी आईडी पर OLX से वाहन ख़रीदे जाते हैं। देहरादून में हुई घटना में अभियुक्तों द्वारा चोरी के वाहनों का इस्तेमाल किया था, जबकि लातूर व कटनी में OLX के माध्यम से फर्जी आईडी पर वाहनों की खरीद की गई थी। इसके अलावा लूट आदि के दौरान आपस में संपर्क करने के लिए अभियुक्तो द्वारा पश्चिम बंगाल तथा बिहार की फर्जी आईडी पर सिम ख़रीदे जाते हैं, जिन्हें घटना के बाद नष्ट कर दिया जाता है।
बिहार के वैशाली में मिला कंट्रोल हाउस
बिहार के वैशाली में दून पुलिस को अभियुक्तों के (operational secret hideout house) कंट्रोल हाउस के बारे में जानकारी प्राप्त हुई, जिसे गैंग द्वारा प्रयोग में लाया जा रहा था। देहरादून की घटना के शामिल बदमाशों द्वारा भी यहीं से पूरी गतिविधि को कंट्रोल किया जा रहा था। घटना को अंजाम देने से पूर्व अभियुक्तों द्वारा उक्त स्थान पर एकत्रित हुए थे तथा यहां से अपने टास्क के लिए रवाना भी हुए थे। पुलिस द्वारा वैशाली में उक्त हाईड आउट हाउस में दबिश देकर देहरादून की घटना में शामिल अभियुक्तों के महत्वपूर्ण साक्ष्यों को बरामद किया गया है। पुलिस को पता चला कि इसी सीक्रेट हाइड आउट हाउस में टास्क देने के साथ-साथ गैंग के सदस्यों को हथियार, पैसे व गाड़ियों की जानकारी व सिमकार्ड और मोबाइल, कपड़े सभी सामान उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके अतिरिक्त किसी घटना के समय अभियुक्तो को की जाने वाली फंडिंग के संबंध में भी पुलिस टीम को काफी महत्वपूर्ण सुराग हाथ लगे हैं, जिससे यह जानकारी प्राप्त हुई है कि गैंग सरगना द्वारा जेल के अंदर से ही अभियुक्त को घटना के दौरान पैसे ट्रांसफर करवाए जाते रहे हैं।
दून में लूट के लिए पैसों का ट्रांजेक्शन मिला, नजीबाबाद से खरीदे कपड़े
देहरादून में घटित घटना से पूर्व भी घटना में शामिल अभियुक्तों के खातों में पैसों का ट्रांजैक्शन होना पाया गया है तथा अभियुक्तों द्वारा हरिद्वार के गेस्ट हाउस में रुकने के दौरान जो कपड़े घटना के दौरान पहने गए थे, वह कपड़े हरिद्वार से जाकर नजीबाबाद के एक स्टोर से खरीदे जाने की जानकारी मिली है। इसके आधार पर नजीबाबाद पहंची पुलिस की एक टीम को वहां से भी पुलिस को अभियुक्तों के विरुद्ध ठोस सबूत मिले हैं।
देशभर में लूट की घटनाओं और गिरफ्तार आरोपियों के जुड़ रहे तार
पुलिस को यह भी पता चला है कि अंबाला में गिरफ्तार अभियुक्त रोहित, जो वेस्ट बंगाल की घटना में शामिल अभियुक्तों को फंडिंग कर रहा था, वही कनेक्शन बिहार में दून पुलिस द्वारा गिरफ्तार अभियुक्त अमित के मोबाइल से बरामद हुआ है। साथ ही अन्य आरोपी विशाल कुमार को भी लॉजिस्टिक मुहैया कराने के प्रमाण मिले और घटना के साक्ष्य जैसे-अभियुक्त द्वारा घटना के दौरान पहने कपड़े, टोपी आदि के प्रमाण भी पाए गए। जिससे पता चला कि सभी आरोपी आपस में कनेक्टेड हैं और एक ही गैंग से जुड़े हुए हैं।