Uttarakhand
बड़ा आदेश: राज्य से बाहर के व्यक्तियों की भूमि खरीद पर रोक
कृषि एवं उद्यान के उद्देश्य से भूमि खरीदने के लिए प्रस्ताव को अनुमति नहीं देंगे जिलाधिकारी, भूकानून समिति की रिपोर्ट आने के बाद होगा निर्णय
Amit Bhatt, Dehradun: मूल निवास और सशक्त भूकानून की तेज होती मांग के बीच राज्य सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। सरकार ने तय किया है कि राज्य से बाहर के व्यक्ति कृषि एवं उद्यान के उद्देश्य से फिलहाल भूमि नहीं खरीद पाएंगे। सरकार ने जिलाधिकारियों को इस तरह के प्रस्ताव को अनुमति न देने के आदेश जारी किए हैं। भूकानून का प्रारूप तय करने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा। तब तक के लिए यह रोक अग्रिम आदेश तक जारी रहेगी।
उत्तराखंड में सशक्त भूकानून को लेकर कसरत में जुटी सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। कृषि एवं उद्यान के लिए अन्य राज्यों के लोग फिलहाल उत्तराखंड में भूमि नहीं खरीद पाएंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर तय किया गया है कि बाहरी व्यक्तियों के भूमि क्रय से संबंधित ऐसे प्रस्तावों पर जिलाधिकारी अग्रिम आदेशों तक कोई निर्णय नहीं लेंगे। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री पूर्व में यह निर्देश भी दे चुके हैं कि अन्य राज्यों से उत्तराखंड में भूमि खरीद के दृष्टिगत क्रेता व विक्रेता का सत्यापन कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने रविवार को अपने आवास में भू कानून के सिलसिले में उच्चाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने निर्देश दिए कि भू कानून का प्रारूप तय करने के लिए गठित समिति बड़े पैमाने पर जनसुनवाई करने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों और विशेषज्ञों की राय भी लेना सुनिश्चित करे। भू कानून की विकेंद्रीकृत व्यवस्था के लिए गढ़वाल व कुमाऊं के मंडलायुक्तों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
इसी बैठक में बताया गया कि उप्र जमींदारी एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 154 में वर्ष 2004 में किए गए संशोधन के अनुसार ऐसे व्यक्ति, जो उत्तराखंड में 12 सितंबर 2003 से पूर्व अचल संपत्ति के धारक नहीं हैं, उन्हें कृषि एवं उद्यान के उद्देश्य से भूमि क्रय की डीएम द्वारा अनुमति प्रदान करने का प्रविधान है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य और जनहित में निर्णय लिया गया कि भू कानून का प्रारूप तय करने को गठित समिति की आख्या प्रस्तुत किए जाने तक या अग्रिम आदेशों तक जिलाधिकारी राज्य से बाहरी व्यक्तियों को कृषि एवं उद्यान के लिए भूमि क्रय के प्रस्तावों पर अनुमति के संबंध में निर्णय नहीं लेंगे।
मुख्यमंत्री ने भू कानून प्रारूप समिति को विशेषज्ञों व विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों के सुझाव के आधार पर प्रारूप तेजी से बनाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य हित में सभी निर्णय ले रही है। जनभावनाओं के अनुरूप और जनहित में जो सर्वाेपरि होगा, सरकार उस दिशा में निरंतर आगे बढ़ेगी। बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, एडीजी एपी अंशुमन, सचिव एवं गढ़वाल मंडलायुक्त विनय शंकर पांडेय, अपर सचिव जेसी कांडपाल आदि उपस्थित थे।
UIDIA की नीतियों के दुरुपयोग से बाहरी नागरिक, उद्धरण बांग्लादेशी आदि भारत में घुस कर झूठे आधार कार्ड बनवा के खुद को भारतीय डिक्लेयर करते हैं वा उनको अरब देशों से पैसे मिलते हैं और उत्तराखंड में धरती, धर्म वा जाती पर खिलवाड़ होता है। सरकार जान के भी अंजान क्यों है. . यही प्रश्न है?
कुछ उद्धरण ऐसे भी हैं जहां महिलाएं झूठे आधार कार्ड बनवा कर वृद्ध पुरुषों की संपत्तियां भी हड़पना चाहती हैं!!
भारतीय नागरिकता वा संपत्तियां इतनी आसानी से मिल सकती है।
आबादी क्यों न बड़े, सड़कों पर टक्करें क्यों न हों, पैदल चलना वा कार में बिना टकर मारे चलना असंभव होता जा रहा है..क्योंकि..आम आदमी में एकजुटता नहीं की सरकारी मुलाजिमों से आंक से आंख मिला के बात कर सकें। गोरे गए और ब्राउन साहेब ने कमान संभाल ली।
भारतीयों भारत को आजाद हुए ८० वर्ष होने वाले हैं।मान्यानिया प्रधान मंत्री की पुकार पर, एक जुट हो कर, एक ध्येय से कार्य नहीं करेंगे तो दुबारा गुलामी असंभव नहीं होगी।
जागो मोहन प्यारे देश के वा देशवासियों के हित में एकजुट होकर सम्मीलिट होने का होंसला रखिए।
सिर्फ “नई संपत्ति” के नशे में नहीं जीना चाहिए।
“भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान”
क्या वजह है कि:
डालनवाला की सड़कें अगर चौड़ी नहीं हो सकती “तो”
A)One way ट्रैफिक से नगर निगम उसे कंट्रोल करे वा ट्रैफिक जाम से बचाए वा कार पार्किंग सुविधा खुद ब खुद सही हो जायेगी।
B) रोज चौराहों पर टक्केरें लगने के बजाए “स्ट्रीट लाइनिंग वा लाइटिंग”
AAUI के रूल्स के अनुसार हों?
क्या यह कार्य मुश्किल है हमारे RTO, MDDA, NAGAR NIGAM, POLICE आदि के लिए?
यदि मुश्किल है तो
ISRO को जिम्रीवारी सौंप दी जाए वरना
चांद पर रहना भी मुश्किल हो जाएगा!!
दूर दर्शी है नाम तिहारो..
प्रधान मंत्री का जन
“भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान”।