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उद्यान घोटाले में सीबीआई ने दर्ज की 03 एफआईआर, पूर्व निदेशक बवेजा और कई उद्यान अधिकारियों समेत 16 नामजद

एफआईआर दर्ज करने के साथ ही सीबीआई ने 70 करोड़ के उत्तराखंड के उद्यान घोटाले में 04 राज्यों में मारा छापा

Rajkumar Dhiman, Dehradun: उत्तराखंड के बहुचर्चित उद्यान घोटाले में सीबीआई ने उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। इस दौरान पूर्व उद्यान निदेशक एचएस बवेजा और कई उद्यान अधिकारियों समेत 26 व्यक्तियों से गहन पूछताछ की गई। इनमें मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल राजेंद्र कुमार, कुछ अन्य अधिकारियों समेत जम्मू कश्मीर व हिमाचल प्रदेश की नर्सरी से जुड़े कारोबारी और कर्मचारी भी शामिल हैं। प्रकरण में देहरादून की तत्कालीन मुख्य उद्यान अधिकारी मीनाक्षी जोशी भी लपेटे में आ गई हैं। सीबीआइ ने अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज जुटाए हैं। सीबीआइ जल्द कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर सकती है। यह मामला मुख्य रूप से 15 लाख पौध के नाम पर करीब 70 करोड़ रुपए के खर्च से जुड़ा है और करोड़ों रुपए के भुगतान में सीधे तौर पर फर्जीवाड़ा पकड़ा गया है।

सीबीआई ने यह कार्रवाई गुरुवार को 03 अलग अलग एफआईआर दर्ज करने के साथ ही शुरू की। तीनों एफआईआर में तत्कालीन उद्यान निदेशक को मुख्य आरोपी बनाया गया है। जबकि 15 नामजद और 02 के विरुद्ध अज्ञात में मामला दर्ज किया गया है। पहली एफआईआर में तत्कालीन निदेशक एचएस बवेजा के साथ तत्कालीन मुख्य उद्यान अधिकारी देहरादून मीनाक्षी जोशी (अब उप निदेशक जलागम प्रबंधन), अनिल रावत (यूके हाइटेक नर्सरी, ग्राम बनपुर त्यूणी), अज्ञात सरकारी सेवक, दूसरी एफआईआर में पूर्व उद्यान निदेशक एच एस बवेजा, नर्सरी विकास अधिकारी त्रिलोकी राय (अब मुख्य उद्यान अधिकारी पिथौरागढ़), तत्कालीन राजेंद्र कुमार सिंह आलू विकास अधिकारी ऊधमसिंहनगर (अब मुख्य उद्यान अधिकारी नैनीताल), तत्कालीन उद्यान निरीक्षक सर्किट हाउस देहरादून नारायण सिंह बिष्ट, सहायक विकास अधिकारी उद्यान नैनीताल भोपाल राम, सुनील सिंह निवासी मजरा प्रभु बाजपुर ऊधमसिंहनगर, मो. फारूक डार निवासी नवपुरा कुलगाम (जम्मू कश्मीर), सजद अहमद निवासी बोना देवासर कुलगाम जम्मू कश्मीर, शामी उल्ला भट अवंतीपुर पुलवामा, विनोद शर्मा निवासी राजगढ़ सिरमौर हिमाचल प्रदेश और अन्य, जबकि तीसरी एफआईआर में पूर्व उद्यान निदेशक एच एस बवेजा, तत्कालीन मुख्य उद्यान अधिकारी उत्तरकाशी अनिल कुमार मिश्रा, नितिन शर्मा निवासी अनिका ट्रेडर्स हमीरपुर कला रायवाला देहरादून और हरजीत सिंह निवासी राजपुर रोड धोरण देहरादून को आरोपी बनाया गया है।

दरअसल, अप्रैल 2022 के दौरान उद्यान निदेशालय में घोटाले की बात सामने आई थी। रानीखेत के लोगों ने यह बात उठाई थी कि निदेशालय में न तो निदेशक और ना ही कोई अन्य कर्मचारी बैठता है। लगातार चल रहे विरोध के बीच जनवरी 2023 में उद्यान विभाग के निदेशक एचएस बवेजा निदेशालय पहुंचे तो गुस्साए लोगों और सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने निदेशालय की तालाबंदी कर डाली। तब से ही बवेजा के चिट्ठे खुलने शुरू हो गए। प्रदेशभर में उद्यान विभाग में हुए पूर्व के घोटालों को लेकर प्रदर्शन होने लगे। इसके उपरांत उत्तरकाशी में भी उद्यान बचाओ उद्यान लगाओ समिति ने आंदोलन शुरू किया। इसके बाद पता चला कि विभाग में फलदार पौध की खरीद फरोख्त में बड़ी वित्तीय गड़बड़ी हुई है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसमें विभाग से सूचनाएं मांगी तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि सेब और अन्य फलदार पौध की खरीद में न सिर्फ गुणवत्ता से समझौता किया गया, बल्कि भुगतान आदि में भी मनमर्जी की गई।

सूचना में पता चला कि उद्यान निदेशक ने फर्जी नर्सरी (सिर्फ कागजों में) अनिका ट्रेडर्स को पूरे राज्य में करोड़ों की पौध खरीद का काम देकर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है। रानीखेत और उत्तरकाशी के सैकड़ों किसानों ने प्रकरण को उठाया तो आनन फानन अनिका ट्रेडर्स के आवंटन को रद्द करने का पत्र जारी कर दिया गया, लेकिन पौध आवंटन रद्द के बावजूद भी अनिका ट्रेडर्स के माध्यम से पौधे बांटे जाने के आरोप लगाए गए। दूसरी ओर नैनीताल में मुख्य उद्यान अधिकारी राजेंद्र कुमार सिंह के साथ मिलकर बवेजा ने एक फर्जी आवंटन जम्मू कश्मीर की एक और नर्सरी बरकत एग्रो फार्म को कर दिया। भौतिक सत्यापन में भी गड़बड़ी का जिक्र याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में किया है। बरकत एग्रो फार्म को इनवाइस बिल आने से पहले ही भुगतान कर दिया गया तो कहीं बिलों पर अकाउंटेंट के हस्ताक्षर के बिना ही करोड़ों रुपये ठिकाने लगा दिए गए। इसी आधार पर यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा और सीबीआई जांच के आदेश जारी किए गए।

अक्टूबर 2023 में उच्च न्यायालय ने सीबीआइ जांच के दिए आदेश
इस मामले में दीपक करगेती ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। 26 अक्टूबर 2023 को उच्च न्यायालय ने उद्यान विभाग में हुए घोटाले की सीबीआइ जांच के आदेश जारी किए। इससे पूर्व सरकार की ओर से जांच के लिए एसआइटी गठित की, लेकिन न्यायालय एसआइटी जांच से संतुष्ट नहीं हुई। साथ ही न्यायालय ने एसआइटी में शामिल अधिकारियों को जांच संबंधी दस्तावेज सीबीआइ को सौंपने और सहयोग करने भी आदेश दिए। हालांकि, इससे पूर्व बड़े स्तर पर गड़बड़ी पाए जाने पर उत्तराखंड सरकार ने तत्कालीन उद्यान निदेशक बवेजा को जून 2023 में निलंबित कर दिया था। प्रकरण की जांच तत्कालीन उद्यान सचिव डॉ बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने की थी। जिसमें यह पता गया था कि कीवी फल पौध वितरण में कीमतों में बढ़ोत्तरी की गई, हल्दी, अदरक बीज वितरण में अनियमितता, अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के लिए स्वीकृति से अधिक बजट खर्च करने जैसे आरोप शामिल हैं।

एक दिन में वर्क आर्डर और उसी दिन नर्सरी से पौध आना भी दिखाया
घोटाले में शामिल अधिकारियों ने बेखौफ होकर करोड़ों रुपये का खेल खेला। सूचनाओं में पता चला कि जिस दिन वर्क आर्डर जारी हुए उसी दिन जम्मू कश्मीर की नर्सरी से पौध आना भी दर्शाया गया। इन्हीं सब बातों को लेकर हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई। याचिकाकर्ताओं ने यह भी सवाल किया कि वर्क आर्डर जारी होते ही एक ही दिन में जम्मू कश्मीर की नर्सरी पौध उत्तराखंड पहुंच गई। अक्टूबर 2023 में हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश पारित किया तो हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सरकार सर्वोच्च न्यायालय भी गई लेकिन वहां भी हाईकोर्ट के आदेश को ही बरकरार रखा गया।

सीबीआइ ने जांच को 12 टीम का गठन किया
सीबीआइ ने इस मामले में जांच के लिए कुल 12 टीमों का गठन किया है। इससे पूर्व वसंत विहार सीबीआइ कार्यालय में एचएस बवेजा समेत कुल 26 अधिकारियों और कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया है। इसके साथ ही इनके ठिकानों पर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के नैनीताल, रानीखेत, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, चंबा आदि और जम्मू कश्मीर में तलाशी भी ली गई है। इस दौरान सीबीआइ की टीमों ने बड़ी संख्या में दस्तावेज व अन्य सामग्री कब्जे में ली है। अभी किसी की गिरफ्तारी की पुष्टि नहीं हो पाई है। लेकिन, बहुत जल्द सीबीआई मामले में गिरफ्तारी कर सकती है। क्योंकि, प्रकरण में शासन की जांच के साथ ही हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका में घोटाले से संबंधित तमाम आरोपों को पुष्ट किया जा चुका है।

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