यूनिसन ग्रुप के ट्रस्ट के करोड़ों रुपये कहां हो रहे खर्च, आयकर ने पकड़ा गड़बड़झाला
आयकर विभाग ने डीआईटी, आईएमएस यूनिसन यूनिवर्सिटी समेत ग्रुप के तमाम शिक्षण संस्थानों और प्रतिष्ठानों पर किया सर्वे, करोड़ों रुपये की अनियमितता पकड़ी
Amit Bhatt, Dehradun: द यूनिसन ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के ट्रस्ट से करोड़ों रुपये तो खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन उसका प्रयोग चैरिटी के कार्यों में होता नहीं दिख रहा। यह बात भी सामने आई है कि ट्रस्ट के नाम पर लग्जरी कारें खरीदी गई हैं और उनका निजी हित में प्रयोग किया जा रहा है। करोड़ों रुपये चैरिटी से इतर प्रॉपर्टी में लगाए जाने की बात भी सामने आ रही है। इन तमाम बातों के मद्देनजर प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (छूट) मोहनीश वर्मा व पुनीत कुमार मुख्य आयकर आयुक्त लखनऊ (छूट) के मार्गदर्शन और अपर मुख्य आयकर आयुक्त (छूट) सीता श्रीवास्तव (गाजियाबाद रेंज) के नेतृत्व में यूनिसन ग्रुप के देहरादून और नोएडा के प्रतिष्ठानों पर सर्वे की कार्रवाई की गई। इस दौरान आयकर अधिकारियों ने करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता पकड़ी, जिसको लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
आयकर सूत्रों के मुताबिक 12 जून को किए गए सर्वे के दौरान तमाम दस्तावेजों का परीक्षण किया गया और कई दस्तावेज कब्जे में लिए गए। अब तक के परीक्षण में यह पाया गया कि ट्रस्ट के करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया जा रहा है। यहां तक कि ट्रस्ट से कैश निकासी भी पाई गई है, जिनका कोई भी प्रयोग चैरिटी के प्रयोजन में नजर नहीं आया। आयकर अधिकारियों ने पाया कि ट्रस्ट की धनराशि को करीबियों को उच्च वेतन के रूप में दिया जा रहा है। जिसमें कई विसंगति पाई गई हैं और यह सब सेक्शन 13 (3) का उल्लंघन है।
आयकर विभाग को इस तरह के प्रमाण भी मिले हैं कि मर्सिडीज जैसी लग्जरी कारें ट्रस्ट के पैसे से खरीदी गई हैं, जबकि उनका प्रयोग निजी हित में किया जा रहा है। इसी तरह कुछ ऐसे दस्तावेज भी आयकर अफसरों के हाथ लगे हैं, जिनमें धनराशि को प्रॉपर्टी में लगाया गया है। इसी तरह बड़ी राशि का लोन और अग्रिम भुगतान दिखाया गया है और यह सब बिना किसी उचित सिक्योरिटी के किया गया है। ऐसे ही तमाम अन्य भुगतान भी पकड़ में आए हैं, जिनमें लीज रेंट और लैंड डील तक शामिल हैं।
कई सौ करोड़ बढ़ी संपत्ति, रिटर्न में दर्ज नहीं
आयकर विभाग की जांच में यह भी पता चला है कि फिक्स्ड एसेट्स में कई सौ करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी पाई गई है, जबकि रिटर्न में यह दर्ज नहीं है। जिससे अंदेशा है ट्रस्ट की धनराशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि करोड़ों रुपये के खर्चों के लिए सोसाइटी के बोगस दायित्व दिखाए गए हैं। इस तरह की राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक बताई जा रही है। सर्वे की कार्रवाई में संयुक्त आयुक्त (छूट) शिव शंकर यादव, उपायुक्त मिथिलेश शुक्ल, उपायुक्त रविंदर कौर, आयकर अधिकारी (छूट) उत्तराखंड कुंतीश त्यागी, केके शुक्ला आदि शमिल रहे।