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आरटीओ सुनील शर्मा समेत 06 पर मुकदमा, जालसाजी और धोखाधड़ी का आरोप

रायपुर पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा, सिविल वाद में शपथ पत्र की सत्यता से जुड़ा है प्रकरण

Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून के आरटीओ (प्रशासन) सुनील शर्मा, एसबीआई की एक अधिकारी व डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक समेत 06 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक प्रकरण पड़ोसी के साथ चल रहे सिविल मुकदमे में फर्जी शपथपत्र देने के मामले से संबंधित है।आरोप है कि इन सभी ने अपने स्थान पर अ​धिवक्ता से पैरवी कराने को शपथपत्र बनवाए थे। इसका नोटरी अ​धिवक्ता के पास भी कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। रायपुर थाना पुलिस ने मामले में जांच शुरू कर दी है।

पुलिस को दी ​शिकायत में पुनीत अग्रवाल निवासी एटीएस हेवन्ली फुटहिल्स सहस्रधारा रोड ने कहा कि उनका एटीएस हेवन्ली फुटहिल्स में एक प्लॉट है। इस प्लॉट में वह बोरिंग कराना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने जल संस्थान से भी अनुमति ले ली थी। लेकिन, इसी कॉलोनी में रहने वाले आरटीओ सुनील शर्मा, डीआरडीओ के अ​धिकारी संजय रावत, एसबीआई अ​धिकारी दीप​शिखा, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन व कॉलोनी का निर्माण करने वाले बिल्डर मैसर्स प्रतीक रिजॉर्ट एंड बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड, साहिस्ता परवीन, आशीष गौड़, सुषमा गौड़, हेमंत पांडे और शरद रघुवंशी ने विरोध किया। विरोध का यह मामला सिविल कोर्ट में चला गया। सिविल कोर्ट ने इसमें स्टे दिया और पुनीत अग्रवाल को बोरिंग के लिए इजाजत दे दी।

मुकदमे में अगली तारीखें लगीं। इसके बाद इन सभी लोगों ने स्वयं उप​स्थित न होने के लिए एक अ​धिवक्ता आशीष नाथ को पैरवी के लिए नियुक्त किया। इसके लिए सभी ने आशीष नाथ के पक्ष में पॉवर ऑफ अटॉर्नी (शपथपत्र) कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया। ये शपथपत्र नोटरी अ​धिवक्ता राजेंद्र सिंह नेगी ने सत्यापित किए थे। इसके लिए पुनीत अग्रवाल ने अ​धिवक्ता राजेंद्र सिंह नेगी को एक कानूनी नोटिस भेजकर शपथपत्र की जानकारी मांगी। जिसके जवाब में पता चला कि नोटरी अ​धिवक्ता ने ऐसे कोई शपथपत्र सत्यापित नहीं किए हैं। इस तरह इन सभी की ओर से प्रस्तुत किए गए शपथपत्र फर्जी पाए गए। थानाध्यक्ष रायपुर कुंदन राम ने बताया कि इस संबंध में ​एसएसपी कार्यालय से मिली ​शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।

बार में पंजीकृत ही नहीं है अ​धिवक्ता
जांच में पता चला है अ​धिवक्ता आशीष नाथ बार एसोसिएशन देहरादून में पंजीकृत ही नहीं है। जबकि आरोपियों ने उसे अपनी जगह कोर्ट में उपस्थित होने के लिए नियुक्त किया।

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