मरणासन्न रिस्पना को संवारने की भूमि पर 250 अतिक्रमण, एमडीडीए ने 26 को ध्वस्त कर शुरू किया अभियान
एनजीटी के आदेश पर वर्ष 2016 के बाद रिस्पना नदी किनारे पसरे अतिक्रमण पर नगर निगम के साथ ही अब एमडीडीए ने भी शुरू किया ध्वस्तीकरण अभियान, निगम अब तक 64 अतिक्रमण तोड़ चुका
Amit Bhatt, Dehradun: अतिक्रमण और गंदगी से मरणासन्न हालत में पहुंच चुकी रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने के अब तक के सभी सरकारी प्रयास विफल रहे हैं। नदी की दशा सुधारने के लिए साबरमती की तर्ज पर रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट कागजों में शुरू हुआ और हवाहवाई वीआईपी दौरों के बीच कागजों में ही दफन भी हो गया। इस अति महत्वकांक्षी परियोजना के लिए मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के प्रबंधन में जो सैकड़ों बीघा भूमि दी गई थी, उन पर सफेदपोशों और छुटभैया नेताओं की शह पर कब्जे किए जाने लगे। रिस्पना नदी वैसे भी अतिक्रमण की जद में आकर पहले से ही मरणासन्न हालत में पहुंच चुकी थी। वोट बैंक की फसल उगाने के लिए विधायकों तक ने रिस्पना ही नहीं बल्कि बिंदाल नदी को भी नोच डालने के लिए अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ा दिया। वह तो भला हो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का, जो रिस्पना किनारे अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए जा सके। एनजीटी के आदेश पर ही सही, इन दिनों अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई तो की जा रही है। नगर निगम इस दिशा में कदम बढ़ा चुका है, जबकि एमडीडीए ने अब अतिक्रमण हटाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सोमवार को 26 अतिक्रमण ध्वस्त किए। वहीं, नगर निगम अब तक 64 अतिक्रमण ध्वस्त कर चुका है।
अतिक्रमण हटाओ अभियान के बीच विभिन्न राजनीतिक दलों, जनप्रतिनिधयों और जन संगठनों का विरोध भी देखने को मिल रहा है। एनजीटी के आदेश के तहत एमडीडीए टीम रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की जमीन पर हुए कब्जों को तोड़ने पहुंची तो मौके पर कुछ लोगों ने जमकर हंगामा काटा। हालांकि, पुलिस बल के चलते बवाल नहीं हो पाया। सोमवार सुबह ही 04 थानों की टीम, 02 सीओ, पीएसी के अलावा काफी संख्या में महिला कर्मी भी पहुंची थीं। काठ बंगला बस्ती पुल पर पुलिस ने अपने वाहन खड़े कर दिए। बस्ती के चारों तरफ पुलिस कर्मी तैनात कर दिए गए। इसी के साथ एमडीडीए की टीम भारी पुलिस के साथ बस्ती के अंदर घुसी। उस वक्त तक तमाम लोगों ने अपना घर खाली नहीं किया था। लोगों को घर का सामान बाहर करने का समय दिया। साथ ही जो घर खाली थे, वहां पर तीन जेसीबी अतिक्रमण तोड़ने के लिए लगाई गई। इस दौरान कुछ लोगों ने हंगामा किया। हालांकि पुलिस की सख्ती के चलते लोग बवाल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। शाम तक अतिक्रमण तोड़ने का अभियान चला। पहले दिन इस बस्ती से 26 अवैध निर्माण तोड़े गए।
नगर निगम ने अब तक तोड़े 64, एमडीडीए 250 अतिक्रमण करेगा ध्वस्त
एनजीटी के निर्देश पर रिस्पना के किनारे वर्ष 2016 के बाद किए गए निर्माण के सर्वे में कुल 524 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे। 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर, जबकि 12 नगर पालिका मसूरी और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए। दूसरी तरफ नगर निगम के नियंत्रण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जिस भूमि को एमडीडीए के नियंत्रण में दिया गया था, उस पर 412 से अधिक अतिक्रमण होने की बात सामने आई। करीब एक माह पूर्व नगर निगम ने आपत्तियों की सुनवाई के बाद 74 अतिक्रमण की अंतिम सूची तैयार की थी। अंत में संशोधन के बाद चूना भट्ठा, दीपनगर और बार्डीगार्ड बस्ती में कुल 64 निर्माण ध्वस्त कर दिए गए। जबकि, एमडीडीए की ओर से रिवर फ्रंट की जमीनों पर किए गए कब्जों को लेकर नोटिस तो काफी पहले भेज दिए गए थे, लेकिन जवाब में प्राप्त हो रही आपत्तियों की जांच की जा रही थी। अब परीक्षण के बाद एमडीडीए की भूमि पर चिहि्नित 250 अवैध निर्माण ही सूची में शेष हैं। जिन पर कार्रवाई की रिपोर्ट 30 जून तक एनजीटी को सौंपनी है।
कांग्रेसियों और बस्ती के लोगों ने लगाया जाम, पुलिस ने खदेड़ा
एमडीडीए की टीम और पुलिस फोर्स के बस्ती में अभियान चलाने के चलते यहां पुल पर कांग्रेसी कार्यकर्ता और बस्ती के लोग एकत्रित हो गए। ऐसे में पुलिस अलर्ट हो गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं और बस्ती के लोगों ने पुल पर जाम लगा दिया। इसके चलते पुलिस को सख्ती दिखानी पड़ी। पुलिस ने सभी को यहां से जाने के लिए कहा, लेकिन इनके नहीं जाने पर पुलिस ने सभी को सख्ती दिखाकर पुल से हटा दिया। इसके बाद एमडीडीए की टीम अतिक्रमण तोड़ने का अभियान चलाया। अभियान के दौरान एक घर तोड़े जाने पर महिला और उसके परिवाजनों ने हंगामा काटा। उक्त महिला का आरोप था कि एमडीडीए की ओर से उन्हें घर खाली करने का नोटिस नहीं दिया गया था। इसके बावजूद उनका घर तोड़ दिया गया। महिला ने सरकारी मशीनरी पर काफी गुस्सा निकाला। महिला बोली अब अपने परिवार के साथ कहां जाएंगी। बरसात का दिन है और अब दिक्कत होगी। हालांकि जिनके घर टूटे, वे लोग भी इसी तरह की बात कहते हुए दिखे।
अतिक्रमण तोड़ते समय बगल का मकान हुआ क्षतिग्रस्त
बस्ती में साल 2016 के बाद चिहिन्त अतिक्रमणों को तोड़ा जा रहा था। तभी एक अवैध निर्माण को जेसीबी से तोड़ा जा रहा था। ऐसे में उक्त मकान का मलबा बगल के घर में जा गिरा। इससे बगल का मकान भी क्षतिग्रस्त हो गया। उक्त क्षतिग्रस्त मकान साल 2016 से पहले का था। इस कारण उक्त घर के लोगों ने भी काफी गुस्सा सरकारी मशीनरी पर निकाला। कहा कि अवैध निर्माण को तोड़ने के चलते उनका घर भी टूट गया। अतिक्रमण तोड़ने के चलते सड़क पर लोगों की भीड़ रही। वहीं तमाम लोग अपने छतों के ऊपर चढ़ गए। इसके अलावा नदी पार की बस्ती से लोग अपनी छतों पर खड़े होकर अतिक्रमण तोड़े जाने का नजारा देखते रहे। इसके साथ ही मुख्य रोड और आसपास तमाशबीन लोगों की भीड़ जुटी रही। लोग वीडियो और फोटो खींचकर कार्रवाई को कैद रखते रहे। ऐसे में यहां पर महिला पुलिस कर्मी तैनात की गई और उन्होंने मौजूद भीड़ को यहां से हटाया।
मकान के ऊपर बना दिए मकान, सोता रहा सिस्टम और उगती रही वोट बैंक की फसल
इस बस्ती में काफी साल बने मकानों के ऊपर नए निर्माण कर दिए गए। जेसीबी से नए निर्माण तोड़ने के बाद ये पोल खुली। पूर्व में मकान सड़क के काफी नीचे बनाए गए थे। फिर नए निर्माण कर घर सड़क से ऊपर ला दिए गए। ये ही नहीं यहां बने घरों के सड़क और नदी की तरफ से भी रास्ते हैं। काठ बंगला बस्ती के पुल से कैनाल रोड की तरफ जाते हुए नदी किनारे एक नया निर्माण चल रहा है। ये निर्माणधीन बिल्डिंग चार मंजिला है। बस्ती की सीध में ये निर्माण है। सवाल ये है कि नया निर्माण यहां कैसे किया जा रहा है। फिलहाल इस निर्माण बिल्डिंग से सिस्टम पर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिर सिस्टम किस कदर सोता रहा और नेता वोट बैंक की फसल उगाने के लिए नदी का गला घोंटते रहे।
बस्तियों में कार्रवाई की निंदा, प्रदर्शन का दौर जारी
विभिन्न जनसंगठनों तथा राजनैतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बैठक कर काठबंगला बस्ती पर कार्रवाई की कड़े शब्दों में निन्दा की है। कहा सरकार गरीबों को उजाड़ रही है और बड़े लोगों के कब्जों को बचाने का कार्य कर रही है। आरोप लगाया कि भाजपा पहले गरीबों से वोट मांगती है और फिर उजाड़ने का का काम करती है। वहीं स्थानीय विधायक बस्तियों को रक्षा करने की बजाए चुप्पी साधे हैं। उन्होंने बस्तियों में बने घरों को नियमित करने या फिर पुर्नवास करने की मांग की। इस मौके पर सीपीएम सचिव अनन्त आकाश,सीआईटीयू महामंत्री लेखराज, किशन गुनियाल,आयूपी अध्यक्ष नवनीत गुंसाई,चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल आदि शामिल रहे।
काठ बंगला में करोड़ों खर्च करने पर भी अधूरे फ्लैट हुए खंडहर
रिस्पना नदी किनारे काठ बंगला बस्ती में यहां रह रहे लोगों के लिए आवासीय योजना पर काम शुरू हुआ था। जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन के तहत कई साल पहले ये योजना स्वीकृत हुई थी। करोड़ों का बजट पास होने के बाद यहां पर बस्ती के लोगों के फ्लैट बनाने का काम हुआ। लेकिन दो-तीन साल बाद ये काम रूक गया। ऐसे में आगे भी बजट नहीं मिल पाया। वहीं उक्त केंद्र से कांग्रेस की सरकार जाने के बाद उक्त योजना ही बंद हो गई। बताया जाता है ये मामला विधानसभा में भी उठा था। करोड़ों की लागत से अधूरे पड़े फ्लैट खंडहर का रूप ले चुके हैं।
मकानों को टूटता देख लोग और बच्चे आ गए सड़क पर
तमाम लोगों ने सामान निकालकर बाहर रख दिया। मकानों को टूटता देख लोग रोत हुए दिखे। उनके छोटे-छोटे बच्चे भी सड़क पर आकर बैठे रहे या फिर सड़क में इधर उधर चलते रहे। गर्मी के बीच भूखे प्यासे लोग काफी परेशान दिखे। वहीं एमडीडीए के मुताबिक काठ बंगला बस्ती में आज नदी के निचले हिस्से में अतिक्रमण तोड़ने का अभियान चलाया जाएगा।
आयुक्त गढ़वाल मंडल से तोड़फोड़ रोकने की मांग
पूर्व विधायक राजकुमार ने मलिन बस्तियों में तोड़फोड़ की कार्रवाई रोके जाने मांग को लेकर आयुक्त गढ़वाल मंडल विनय शंकर पांडे के जरिए मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। इस अवसर पर शीघ्र ही कार्यवाही को रोकने की मांग मुख्यमंत्री से की गई।
विधायक राजकुमार ने ज्ञापन में कहा कि मलिन बस्ती के निवासी पिछले तीस से चालीस वर्षों से निवास कर रहे हैं। उनके पास पानी, बिजली के अलावा कई अन्य प्रमाण पत्र है। उन्होंने कहा कि सांसद, विधायक, पार्षद, नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, विद्युत विभाग, जल निगम, जल संस्थान, एमडीडीए, सिंचाई विभाग के स्तर पर बस्तियों में काम हो रखे हैं। बस्ती के निवासियों को मालिकाना हक दिया जाए। ज्ञापन देने वालों में कांग्रेस प्रदेश महामंत्री गोदावरी थापली, पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा, जहांगीर खान आदि शामिल रहे। उधर, कांग्रेस के एक प्रतिनिधि मंडल ने मौके पर जाकर शासन और प्रशासन से वार्ता कर समाधान के प्रयास करने की बात कही। कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने कहा कि एनजीटी के आदेशों में साफ है कि 11 मार्च 2016 से पहले वालों पर कार्रवाई नहीं होगी। फिर भी 2016 से पहले के निर्माण भी तोड़े गए। सरकार को ध्वस्तीकरण से पहले पुनर्वास का काम करना चाहिए। गरीबों को बारिश में उजाड़ने से पहले सरकार को कोई छत की व्यवस्था बनानी चाहिए थी। थापर के अलावा महानगर अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी, निवर्तमान पार्षद उर्मिला थापा, संगीता गुप्ता, सूरज क्षेत्री आदि ने मौके पर प्रभावितों की समस्या सुनी।