country

कल ही कश्मीर से लौटे, कई बुकिंग करवा चुके थे, अब सोच से गायब हुई कश्मीर की धुन

उत्तराखंड के टिहरी निवासी केशर सिंह बिष्ट ने सोशल मीडिया पर बयां की खुद के और परिचितों के कश्मीर टूर प्लान और भविष्य की दिशा, 25 साल में 227 लोगों की जान ले चुके हैं आतंकी

Amit Bhatt, Dehradun: जम्मू और कश्मीर के पहलगाम के बैसारन घाटी में आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत और 20 से अधिक के घायल होने से पूरा देश सन्न है। लोग प्रत्यक्ष और सोशल मीडिया पर आतंकियों की बुजदिली भरी करतूत पर आक्रोशित हैं। हाल में पहलगाम घूम कर आए और घूमने का प्लान बना रहे लोग कश्मीर घाटी के अचानक बदले चेहरे से भय में हैं। उत्तराखंड के टिहरी निवासी केशर सिंह बिष्ट ने सोशल मीडिया पर कश्मीर को लेकर अपना अनुभव साझा किया है। वह कहते हैं कि दिसंबर-जनवरी माह में ही वह कश्मीर, गुलमर्ग और पहलगाम होकर आए। उनके ऑफिस की एक युवती कल ही अपने परिवार के साथ कश्मीर से वापस लौटी। अब उनका पूरा परिवार अचानक हुई इस कायराना हरकत से सदमे है।

केशर सिंह बिष्ट के अनुसार जब वह कश्मीर घाटी से लौटे थे तो वहां के खांतिपूर्ण माहौल और स्थानीय लोगों की प्रशंसा के लंबे पुल बांधे थे। उन्हीं के ऑफिस के तमाम लोग इसी साल कश्मीर जाने का साहस जुटा चुके थे। कई लोग बुकिंग करा चुके थे और वह खुद भी जून माह में दोबारा कश्मीर जाने की सोच रहे थे। हालांकि, इस घटना ने सबकुछ बदलकर रख दिया। अब शायद ही फिलहाल कोई कश्मीर का रुख करना चाहेगा।

केशर सिंह बिष्ट मौजूदा घटना और अपने भ्रमण के दौरान की शांति पर मंथन भी कर रहे हैं। उन्हें याद आता है कि कैसे हर पुल, हर हाइवे, पहाड़ पर जवान तैनात थे। वह याद करते हैं कि कैसे बाग-बागीचों, चौराहों पर ऑटोमैटिक गन लिए जवान शांति कायम करने में जुटे थे। छोटी-छोटी जगहों पर भी एलएमजी लगी हुई थी। जाहिर है यह शांति बंदूक के साए में थी, नैसर्गिक और सहज नहीं। आतंक का खौफ चुपचाप बंदूक के साए तले सिर उठा रहा था और इसी तरह की कायराना हरकत की फिराक में था।


कश्मीर के दामन पर फिर से खून के धब्बे। देश में चौतरफा गम और गुस्से का माहौल।

कब तक दहलाते रहेंगे आतंकी, 25 साल में 11 हमले और 227 की जान गई
आखिर कश्मीर कब तक आतंकियों की दहशत में दहलता रहेगा। कब तक लोग आतंक के निशाने पर खौफ के साए में रहेंगे। पहलगाम की बैसारन घाटी की यह घटना नई नहीं है। बीते 15 सालों में ही इंसानियत ऐसे 11 आतंकी हमले झेल चुकी है। जिसमें अब तक 227 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। कश्मीर की मौजूदा घटना इंसानियत को और भी शर्मसार करने वाली है। आतंकियों ने जिस तरह धर्म पूछा और फिर चुन-चुन कर हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया, वह बताता है कि आतंकी किस तरह धर्म के नाम पर कत्लेआम पर उतारू हैं।

05 अगस्त 2019 को जब संविधान में संशोधन कर जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाकर विशेष राज्य का दर्जा समाप्त किया गया तो लगा कि कश्मीर के दरवाजे अब देश-दुनिया के लिए खुल गए हैं। धरातल पर बदलाव की बयार भी नजर आने लगी थी। किसे पता था कि इस लंबी शांति के पीछे मजहबी नफरत निरंतर पनप रही है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार कश्मीर में बहाल की जा रही शांति से आईएसआई खुश नहीं था। पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को कवर करने के लिए उसने टीआरएफ (द रेसिस्टेंस फ्रंट) का गठन किया।

इस आतंकी संगठन को पाकिस्तानी सेना फंडिंग करती है। टीआरएफ अधिकतर लश्कर के फंडिंग चैनलों का प्रयोग करता है। गृह मंत्रालय ने ही राजयसभा में बताया था कि टीआरएफ लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा संगठन है। वर्ष 2019 में कश्मीर में बदलाव की शुरुआत के साथ ही टीआरएफ अस्तित्व में आ गया था। उसके बाद से वह कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में सक्रिय है। इस संगठन ने हिट स्कवॉड और फाल्कन स्कवॉड तैयार किया है, जो टारगेट किलिंग को अंजाम देने के लिए है। दस्ते में शामिल आतंकी जंगल और ऊंचे इलाकों में छिपने में अभस्थ हैं।

पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए व्यक्तियों का विवरण। (नोट: इसमें एक व्यक्ति का नाम त्रुटिवश उत्तराखंड निवासी के रूप में जुड़ा, सूचना विभाग ने इसे स्पष्ट किया।)

वर्ष 2000 से अब तक हुए बड़े आतंकी हमले
21 मार्च 2000: 21 मार्च की रात को अनंतनाग जिले के छत्तीसिंहपोरा गांव में आतंकवादियों ने अल्पसंख्यक सिख समुदाय को निशाना बनाया था। इस हमले में 36 लोगों की मौत हुई।
अगस्त 2000: पहलगाम के नुनवान बेस कैंप पर हुए आतंकी हमले में 02 दर्जन अमरनाथ तीर्थ यात्रियों सहित 32 लोग मारे गए थे।
जुलाई 2001: अमरनाथ यात्रियों को फिर से निशाना बनाया गया और इस बार अनंतनाग के शेषनाग बेस कैंप पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें 13 व्यक्तियों की मौत हो गई।
1 अक्टूबर 2001: श्रीनगर में जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल परिसर पर आत्मघाती (फिदायीन) आतंकवादी हमला हुआ। जिसमें 36 लोग मारे गए थे।
2002: कश्मीर के चंदनवारी बेस कैंप पर आतंकी हमला हुआ, जिसमें 11 अमरनाथ यात्री मारे गए थे।
23 नवंबर 2002: जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाइवे पर दक्षिण कश्मीर के लोअर मुंडा में एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट में 9 सुरक्षाकर्मियों, 3 महिलाओं और 2 बच्चों सहित 19 लोगों की जान चली।
23 मार्च 2003: आतंकवादियों ने पुलवामा जिले के नंदीमार्ग गांव में 11 महिलाओं और 2 बच्चों सहित कम से कम 24 कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी।
13 जून 2005: पुलवामा में एक सरकारी स्कूल के सामने भीड़भाड़ वाले बाजार में विस्फोटकों से लदी एक कार में विस्फोट होने से 2 स्कूली बच्चों और 3 सीआरपीएफ अधिकारियों सहित 13 लोग मारे गए और हमले में 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।
12 जून 2006: कश्मीर के कुलगाम में 9 नेपाली और बिहारी मजदूर आतंकी हमले में मारे गए थे। उन पर आतंकियों ने टारगेट किलिंग के तहत हमला किया।
10 जुलाई 2017: कश्मीर के कुलगाम में अमरनाथ यात्रा बस पर आतकी हमला हुआ था। इस हमले में 8 लोगों की मौत हो गई थी।
22 अप्रैल 2025: पहलगाम के बैसारन घाटी में मौजूद टूरिस्टों पर आतंकी हमले में 26 से अधिक लोगों की अब तक मौत की खबर है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button