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100 करोड़ के लोन घोटाले का आरोपी दून में नामी शिक्षा संस्था में बना सचिव, मातृत्व अवकाश लेने वाली शिक्षिका को बाहर किया

पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसाइटी से जुड़ा है मामला, सचिव अनूप सेठ पर मनमानी के आरोप, शिक्षा समेत छात्राओं ने भी लगाए जबरन निकालने के आरोप, डीएम को दी गई शिकायत

Amit Bhatt, Dehradun: देहरादून की पुरकल यूथ डेवलपमेंट सोसाइटी का बड़ा नाम है। असहाय बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी से लेकर उन्हें जीवन में सफल बनाने के कई उदाहरण इस सोसाइटी से जुड़े हैं। लेकिन, इस बार पुरकल यूथ सोसाइटी का नाम विवादों में घिरता नजर आ रहा है। जानकर हैरानी होती है कि 100 करोड़ रुपये के लोन घोटाले का एक आरोपी सीबीआई के मुकदमा दर्ज करने के बाद भी यहां सचिव पद पर नियुक्ति पा लेता है। इसके बाद जो हुआ वह वित्तीय धोखाधड़ी से कहीं अधिक शिक्षा संगठन की गरिमा को चोट पहुंचाने वाला है। बच्चा पैदा करना और उसकी समुचित देखभाल करना किसी भी महिला का अधिकार होता है। लेकिन, इस सोसाइटी की ओर से संचालित स्कूल में बीते 10 वर्ष से काम कर रही एक महिला को मातृत्व अवकाश पूरा करने के बाद दोबारा ज्वाइन नहीं करने दिया जाता है और उनकी सेवा समाप्त कर दी जाती है। वर्तमान में पीड़ित महिला यहां विज्ञान शिक्षिका के रूप में कार्यरत थीं।

यह मामला पीड़ित शिक्षिका कंचन से जुड़ा है। 25 जुलाई 2024 को उन्होंने पुत्र को जन्म दिया। जिसके बाद वह सितंबर 2024 तक मातृत्व अवकाश पर चली गईं। बच्चे की अधिक देखभाल की आवश्यकता के मद्देनजर उन्होंने मातृत्व अवकाश जनवरी 2025 तक बढ़वा लिया। हालांकि, प्रबंधन ने उन्हें अप्रैल 2025 में कार्य पर उपस्थित होने के लिए कहा। इसी क्रम में जब कंचन ध्यानी ने कार्य पर उपस्थित होने की सूचना स्कूल/सोसाइटी प्रबंधन को दी तो उन्हें महज व्हाट्सएप के माध्यम से फरमान दे दिया कि काम पर आने की अनुमति नहीं है। आरोप है कि इस अमानवीय और अनैतिक कृत्य के लिए विद्यालय की प्राचार्य और सचिव अनूप सेठ जिम्मेदार हैं। इसके अलावा स्कूल के वार्डन पति पत्नी सर्वोदय मिश्रा व पूनम मिश्रा को भी बिना किसी कारण निकाल दिया गया है। दंपती ने डीएम कार्यालय में शिकायत दे दी है। साथ ही महिला आयोग में भी शिकायत देने की बात कही है।

गरीब छात्रा समेत 10 बच्चों को भी किया निष्कासित, पुराने प्रबंधन की तारीफ पड़ी भारी
पुरकल यूथ सोसाइटी के सचिव के मनमानी के किस्से और भी हैं। सोसाइटी की लर्निंग अकादमी की 10वीं की छात्रा आफिया ने आरोप लगाया है कि उसे आलराउंडर छात्रा होने के बाद भी बिना कारण निष्कासित कर दिया गया है। उन्होंने सिर्फ यही कहा था कि स्कूल पहले की तरह क्यों नहीं चल रहा है और जीके स्वामी के समय जैसी सुविधा क्यों नहीं मिल पा रही है। छात्रा ने जिलाधिकारी से शिकायत कर उचित कार्रवाई की मांग कर न्याय की गुहार लगाई है। यह भी आरोप लगाया कि सचिव अनूप सेठ स्कूल से कई होनहार व जरूरतमंद छात्रों को निकाल चुके हैं।

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डीएम ने एसडीएम को सौंपा प्रकरण
जिलाधिकारी सविन बंसल ने कहा कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए उपजिलाधिकारी सदर हरि गिरि से शीघ्र आख्या देने को कहा है। वहीं, उपजिलाधिकारी का कहना है कि उन्हें शिकायत प्राप्त हो चुकी है और शीघ्र आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी नागरिक के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। दूसरी तरफ सोसाइटी के सचिव अनूप सेठ ने कहा कि शिक्षिका और छात्रा का निष्कासन आंतरिक मामला है। साथ ही उन्होंने इसे पूअर कंडक्ट से भी जोड़ा। कहा कि प्रशासन यदि जानकारी मांगेगा तो वह उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं, सीबीआई केस के बारे में लोन घोटाले के आरोपी सेठ ने कुछ भी स्पष्ट कहने से इन्कार कर दिया। सिर्फ यही कहा कि जांच एजेंसी को जवाब दिया गया है। अभी चार्जशीट दाखिल नहीं हुई है और जिस समय यह ट्रांजेक्शन हुआ, तब वह सेवा में नहीं थे।


100 करोड़ रुपये की लोन धोखाधड़ी में सीबीआई में दर्ज एफआईआर, जिसमें अनूप सेठ भी हैं आरोपी।

IL&FS कंपनी से जुड़ा है 100 करोड़ का घोटाला
IL&FS इनर्जी डेवलपमेंट कंपनी लि. के निदेशकों अनूप सेठ समेत हरि शंकरन, दिवंगत पार्थ सारथी, रमेश चंद्र बावा, अरुण कुमार साहा, सुनील कुमार वाधवा अन्य अज्ञात के विरुद्ध पीएनबी ने 100.03 करोड़ रुपये के लोन धोखाधड़ी का मामला सीबीआई में दर्ज करवाया है। आरोप है कि निदेशक के रूप में आरोपियों ने आपराधिक साजिश रची और स्वीकृत ऋण सुविधाओं का दुरुपयोग किया। क्योंकि, नियमों के विपरीत जाकर ऋण निधियों का उपयोग किया गया है। मामले में सीबीआई आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है। यह छापेमारी देहरादून के साथ ही दिल्ली और मुंबई स्थित संबंधित स्थलों पर की गई। जिसमें अहम दस्तावेज सीबीआई के हाथ लगे हैं। माना जा रहा है कि ऋण फर्जीवाड़े की गंभीरता को देखते हुए ईडी भी अपना शिकंजा कस सकती है। क्योंकि, इस तरह के प्रकरण सीधे तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा माने जाते हैं।

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