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कुंभ में कोरोना की फर्जी जांच पर ईडी का शिकंजा, करोड़ों के फर्जीवाड़े में चार्जशीट कोर्ट के सुपुर्द

प्रवर्तन निदेशालय की चार्जशीट में मैक्स कारपोरेट सर्विस और 14 अन्य पैथोलाजी लैब के नाम कोरोना आरटीपीसीआर जांच के फर्जीवाड़े में किए गए हैं शामिल, पीएमएलए कोर्ट ने लिया संज्ञान

Rajkumar Dhiman, Dehradun: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी ) ने वर्ष 2021 में हरिद्वार कुंभ मेले के दौरान कराई गई कोरोना जांच के करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े में चार्जशीट दाखिल कर दी है। देहरादून की प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) कोर्ट ने चार्जशीट का संज्ञान भी ले लिया है और मामले में सुनवाई में लिए अगली तिथि 24 जून 2025 तय की है। इस फर्जीवाड़े में मैक्स कारपोरेट सर्विस और अन्य 14 लैबों के नाम शामिल हैं। ईडी की चार्जशीट के अनुसार कोरोना जांच में फर्जी नाम शामिल करते हुए 03 करोड़ रुपये से अधिक के घपले को अंजाम दिया गया है।

ईडी सूत्रों के अनुसार कोरोना महामारी के दौरान कुंभ मेले में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं को संक्रमण से बचाने और इसके प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार ने आरटीपीसीआर जांच के लिए विभिन्न पैथोलाजी लैब को अधिकृत किया था। जिसमें मुख्य रूप से मैक्स कारपोरेट सर्विस, डॉ लाल चंदानी प्रा. लि., नोवस पैथोलाजी, डीएनए लैब, नलवा लैबोरेट्रीज शामिल रहीं। तब यह बात सामने आई थी कि इन लैब ने आरटीपीसीआर और एंटीजन जांच के लिए फर्जी व्यक्तियों की एंट्री की और सरकार से करोड़ों रुपये का भुगतान प्राप्त कर लिया। इस संबंध में शुरुआती जांच के बाद कुंभ के दौरान एक लाख से अधिक जांच के रिकार्ड संदिग्ध पाए गए थे। जिसमें लैब ने 03 करोड़ रुपए से अधिक की राशि सरकार से धोखाधड़ी कर हड़प ली।

जांच में गंभीर गड़बड़ी पाए जाने पर पुलिस ने वर्ष 2021 में मुकदमा भी दर्ज कर लिया था। 03 करोड़ रुपये से अधिक के गोलमाल को मनी लांड्रिंग के दायरे में पाया गया और ईडी ने भी पुलिस की एफआइआर के आधार पर जांच शुरू की। तब ईडी ने लैब संचालकों के देहरादून, दिल्ली, नोएडा और हिसार स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। साथ ही आरोपितों के ठिकानों से 50 से 60 लाख रुपये की नकदी के साथ ही संपत्ति को अटैच करने की कार्रवाई की थी।

तब से लेकर अब तक ईडी की जांच में पाया गया है कि मैक्स कारपोरेट और 14 अन्य लैबों ने कोरोना जांच के नाम पर 03 करोड़ रुपये से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि आरोपियों ने कोरोना जांच के नाम पर फर्जी व्यक्तियों के नाम शामिल किए हैं। जिससे मोटी राशि सरकार से प्राप्त की गई है, जो कि पूरी तरह से अवैध है। ईडी की चार्जशीट पर पीएमएलए कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद अब कोरोना जांच के नाम पर किए गए घपले पर कार्रवाई में तेजी आएगी।

01 मोबाइल नंबर और पते पर जोड़े कई नाम
ईडी जांच के अनुसार कोरोना जांच में फर्जीवाड़े के लिए आरोपित लैबों ने 01 मोबाइल नंबर, पते और फार्म का इस्तेमाल किया। बिना टेस्ट किए ही कई व्यक्तियों के नाम जोड़ दिए गए। इनमें से बहुत से लोग ऐसे थे, जो कुंभ गए ही नहीं थे। इन लैबों की फर्जी निगेटिव टेस्टिंग की वजह से उस समय हरिद्वार में संक्रमण दर 0.18 प्रतिशत रही, जबकि हकीकत में यह 05 प्रतिशत थी। कहीं न कहीं इस तरह के फर्जीवाड़े से कोरोना संक्रमण तेजी से फैला। क्योंकि, असल आंकड़ों में फर्जी निगेटिव आंकड़ों ने कम करके दिखाया।

पंजाब के व्यक्ति के एसएमएस से खुला पूरा खेल
पंजाब के एक व्यक्ति के मोबाइल नंबर पर कुंभ में कोरोना जांच कराने का एसएमएस आया था, जबकि वह हरिद्वार गए ही नहीं थे। उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पर आइसीएमआर ने संज्ञान लिया और इसी क्रम में राज्य सरकार ने मामले की जांच शुरू की। शुरुआत में ही 01 लाख से अधिक फर्जी कोरोना जांच की बात सामने आई थी।

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