Dehradunउत्तराखंड

भू-कानून और मूल निवास पर युवा संगठन एकजुट, बढ़ रहा कारवां

Round The Watch: अगस्त क्रांति दिवस पर भू कानून मूल निवास के मुद्दे पर होने वाले मुख्यमंत्री आवास घेराव को लेकर संस्थाओं ने मिलकर प्रेस वार्ता की, जिसमें कार्यक्रम की सफलता व प्रचार की अपील की गई। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के नेतृत्व में भू-कानून एवं मूल निवास के मुद्दे पर 9 अगस्त को होने वाले मुख्यमंत्री आवास घेराव पर युवा सगठनों का समर्थन मिलना शुरू हो गया है । उत्तरांचल प्रेस क्लब में जुटे विभिन्न संगठनो के बैनर तले युवा एकत्रित हुए और भू कानून मूल निवास के मुद्दे पर पूर्ण रूप से समर्थन दिया।
राज्य आंदोलनकारी हरीश सती ने कहा की इस राज्य में विभिन्न सरकारें आई, लेकिन प्रदेश के लिए मजबूत भू कानून और मूल निवास की नीति ढंग से लागू नहीं कराई जा सकी। उसी का परिणाम है कि कोई भी कहीं भी बे धड़क तराई से लेकर पहाड़ों तक उत्तराखंड की जमीनों को खुर्द बुर्द करने में लगा है। जिसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि हमारे स्थानीय लोगों को अपने ही प्रदेश में महंगी कीमत पर अपने लिए भूखंड खरीदना पड़ रहा हैं । उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय प्रवक्ता सोमेश बुडाकोटी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के समय में हमें जो मूल निवास बनाकर मिलता था, वह अब अचानक बंद कर दिया गया है, इसका खामियाजा हमारे भगवानपुर जिला हरिद्वारः से लेकर उत्तरकाशी से लेकर पिथौरागढ़ व ऊधमसिंहनगर तक का व्यक्ति सीधा प्रभावित हो रहा है। आजादी के बाद हमारे तमाम लोग यहां आकर बसे और कई जगह बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया, जिसमें हमारे सिक्ख समाज, पाल समाज, सैनी समाज, हमारे कई दलित परिवारों के साथ ही चौहान व वालिया समाज व पहाड़ व गोर्खाली समाज ने अपनी मेहनत से इसको संवारने का कार्य किया। इसके बाद भी आज हम सभी को इससे महरूम कर दिया जा रहा है। आखिर इसके पीछे जो भी कारण रहे हों, अब हम सभी मिलकर यह हक लेकर रहेंगे।
उत्तराखंड स्टूडेंट्स फेडरेशन के संयोजक लूशुन टोडरिया ने कहा कि 42 से ज्यादा शहादतों के बाद यह राज्य हमें मिला, लेकिन आज 23 वर्षों बाद भी हमारा मूल निवासी अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर लड़ रहा है । मूल निवासी फैक्ट्री से लेकर सरकारी नौकरी के लिए खाक छान रहे हैं। अपनी ही भूमि बचाने को आंदोलन करने को मजबूर हैं। वहीं, पहाड़ी स्वाभिमान सेना से मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड की जनता को यह समझना होगा और अब भविष्य को बचाने की लड़ाई के लिए आगे आना होगा, अन्यथा हमारी भूमि लगातार छिनती चली जाएगी और मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जाएगा। भविष्य में इससे हमारी दोनों अंतरराष्ट्रीय सीमाओं में भी संकट पैदा हो जाएगा।
यूकेडी के आशुतोष भंडारी ने कहा कि जिस तरह से मूल निवासियों पर अत्याचार की घटनाओं में इजाफा हो रहा है, वह चिंता का विषय है और अगर समय पर मजबूत भू-कानून और मूल निवास की व्यवस्था नही हुई तो उत्तराखंड राज्य एक आपराधिक राज्य में परिवर्तित हो जाएगा । यूएसएफ के जिला अध्यक्ष देहरादून एवं देवभूमि युवा संगठन के आशीष नौटियाल ने कहा कि पिछले 22 वर्षों से हमारे प्रदेश को केवल प्रयोगशाला बनाकर रख दिया गया और हमारे प्रदेशवासियों के अधिकारों का हनन होता आ रहा है। इससे देवभूमि में अपराध, भूमाफिया, नशे के कारोबार के साथ ही बेरोजगारिता बढ़ती जा रही है।
इस अवसर पर लुशुन टोडरिया, मोहित डिमरी, आशिष नौटियाल, सोमेश बुड़ाकोटी, पहाड़ी स्वाभिमान सेना से पंकज उनियाल, देवचंद्र उत्तराखंडी, यूकेडी के समीर मुंडेपी, आशुतोष भंडारी, राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदीप कुकरेती व सुशील सती मौजूद रहे।

समर्थन देने वाले संगठन
1- उत्तराखण्ड स्टूडेंट्स फेडरेशन
2- उत्तराखंड क्रांति दल
3- पहाड़ी स्वाभिमान सेना
4- देव भूमि युवा संगठन
5- भैरव सेना
6- प्राउड पहाड़ी संस्था

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