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जमीन नगर निगम की, भवन कर जमा करा दिया सहारनपुर के मो. तारिक ने

नवंबर 2021 में गोलमाल पकड़ में आने पर निगम अफसरों ने सिर्फ आउटसोर्स कर्मचारियों पर गिराई थी गाज, जवाबदेह कार्मिकों को चेतावनी देकर छोड़ा, सूचना आयोग ने एसआईटी से जांच कराने को कहा, कार्मिकों की मिलीभगत की आशंका से इन्कार नहीं

Amit Bhatt, Dehradun: डालनवाला थाने के बगल में नगर निगम की तीन बीघा से अधिक की भूमि पर सहारनपुर का एक व्यक्ति भवन कर जमा करा देता है और अधिकारियों को कानों-कान खबर नहीं लग पाती है। प्रकरण में जब पूर्व पार्षद विनय कोहली नगर निगम से शिकायत दर्ज करते हैं, तब अधिकारी भवन कर की इस प्रविष्टि को निरस्त कर देते हैं। यह पूरी कहानी सूचना आयोग में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की सुनवाई के दौरान बाहर आई। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सूचना आयुक्त भट्ट ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव गृह को भेजी है। ताकि प्रकरण की जांच हाल में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में गठित एसआइटी या अन्य उच्च एजेंसी से कराई जा सके।

योगेश भट्ट, राज्य सूचना आयुक्त (उत्तराखंड सूचना आयोग)

सूचना आयुक्त योगेश भट्ट के आदेश के मुताबिक सहारनपुर निवासी मो. तारिक अतहर ने रायपुर रोड पर डालनवाला थाने के बगल वाली करीब तीन बीघा भूमि (पुराना खसरा नंबर 495, नया खसरा नंबर 497 से 508, 576 से 583 व 792 से 796) पर अपना हक जताते हुए 09 नवंबर 2021 को 39,671 रुपये का भवन कर जमा करा दिया। जबकि मो. अतहर का नाम नगर निगम के किसी भी वर्ष की कर निर्धारण सूची में नहीं था। साथ उन्होंने इस प्रक्रिया के लिए अन्य प्रचलित प्राविधान का पालन किया। इसको लेकर पूर्व पार्षद विनय कोहली ने शिकायत दर्ज कराई थी और इसका संज्ञान लेकर अधिकारियों ने 30 नवंबर 2021 को भवन कर की प्रवष्टि को त्रुटिपूर्ण बताते हुए निरस्त कर दिया।

इसके बाद पूर्व पार्षद विनय कोहली भवन कर जमा कराने के लिए दाखिल स्वामित्व के अभिलेखों की सूचना निगम से आरटीआइ में मांगते हैं। तय समय के भीतर सूचना न दिए जाने पर पूर्व पार्षद कोहली अपील दायर करते हैं और इस दौरान निगम अधिकारी प्रकरण की जांच भी करा लेते हैं। प्रथम अपील से होते हुए प्रकरण सूचना आयोग जा पहुंचता है। सुनवाई में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट पाते हैं कि अधिकारियों ने जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की है।

आउटसोर्स कर्मियों पर गिराई गाज, जवाबदेह कार्मिकों को बस चेतावनी
आयोग ने पाया कि बिना उचित प्रमाण के भवन कर की प्रविष्टि दर्ज करने के लिए आउटसोर्स कर्मी/डाटा एंट्री आपरेटर उर्मिला, गुरफान व अंकिता की सेवा समाप्त कर दी गई है। जांच में निगम के किसी भी कार्मिक की भूमिका को संदिग्ध नहीं पाया जाता है। उन्हें सिर्फ चेतावनी देकर अभयदान दे दिया गया।

निगम में दर्ज नहीं खसरा नंबर, फिर जमीन किसकी ?
आयोग में सुनवाई के दौरान कुछ अभिलेखों के परीक्षण में पाया कि भवन कर से संबंधित खसरा नंबर नगर निगम के रिकार्ड में हैं ही नहीं। हालांकि, एक रिपोर्ट/अभिलेख में निगम ने इस जमीन के खसरा नंबर 652 व 653 बताए हैं। फिर भी जमीन की पुष्टि शेष प्रतीत होती है। आयोग ने सवाल किया कि क्या यह जमीन सिर्फ रिकार्ड में दर्ज है या इसका कोई असली वारिश भी है। क्योंकि, आयोग के संज्ञान में सहारनपुर के ही निवासी नदीम की एक शिकायत लाई जाती है। जिसमें उसने आरोप लगाया है कि मो. तारिक अतहर उसके दादा की जमीन को फर्जी दस्तावेज के माध्यम से कब्जाना चाहता है। यह दस्तावेज भवन कर के लिए निगम कार्यालय में लगाए गए हैं। यह भूमि भी डालनवाला थाने के पास की ही बताई जाती है।

रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से जुड़े हो सकते हैं तार, जांच जरूरी
सूचना आयुक्त योगेश भट्ट अपनी टिप्पणी में कहते हैं कि यह प्रकरण भी हाल में सामने आए रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से संबंधित हो सकता है। क्योंकि, यहां भी मूल दस्तावेज गायब करने या उनमे छेड़छाड़ की प्रबल आशंका है। लिहाजा, इसकी जांच जरूरी है। आदेश की प्रति सचिव शहरी विकास व नगर आयुक्त को भी भेजी गई है। उनसे अपेक्षा की गई है कि वह नगर निगम की समस्त भूमि को मौजूदा स्थिति के साथ अपडेट करें और रिकार्ड के रखरखाव के लिए बेहतर इंतजाम कराएंगे।

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