उत्तराखंडफीचर्डसामाजिक

युनाइटेड किंगडम के राजा चार्ल्स ने जहां हल लगाया, उस फार्म पर माफिया की नजर

देशी बीज और पारंपरिक फसलों के संरक्षण के लिए समर्पित है यह फार्म, प्रसिद्ध देहरादूनी बासमती के साथ ही मंडुआ, कौणी, झंगोरा, बाजरा जैसी फसलों के संरक्षण की दिशा में किए गए अथक प्रयास

Usha Gairola, Dehradun: युनाइटेड किंगडम के राजा चार्ल्स ने देहरादून के जिस खेत पर वर्ष 2013 में हल लगाया था, उससे संबंधित फार्म पर भूमाफिया का नजर है। इस फार्म के निजी मार्ग को कब्जाने की नीयत से न सिर्फ वहां निर्माण सामग्री डाल दी गई, बल्कि कुछ निर्माण भी किया जा रहा है। यह फार्म और कोई नहीं, बल्कि देशी बीज और पारंपरिक फसलों के संरक्षण के लिए समर्पित ‘नवधान्य’ है।

नवधान्य फार्म का प्रवेश मार्ग।

इसी ख्याति से आकर्षित होकर किंग चार्ल्स वर्ष 2013 में (उस समय प्रिंस चार्ल्स का दर्जा था) नवधान्य फार्म का भ्रमण करने पहुंचे थे। वह अपत्नी प्रिंसेस कैमिला (अब क्वीन) के साथ 06 से 14 नवंबर तक भारत भ्रमण पर थे। इसी के तहत वह 07 नवंबर को दो दिवसीय भ्रमण पर उत्तराखंड आए थे। प्रदेश की राजधानी देहरादून में भ्रमण करते हुए वह ओल्ड शिमला रोड पर स्थित रामगढ नामक गांव के किनारे नवधान्य जैव विविधता संरक्षण, संवर्धन एवं प्रशिक्षण फार्म पहुंचे। जैविक खेती के लिए समर्पित नवधान्य फार्म ने चार्ल्स को इतना प्रभावित किया कि वह एक खेत में जा पहुंचे और बैलों के माध्यम से हल लगाया लगे। हालांकि, भू-माफिया को फार्म की उपयोगिता और प्रसिद्धि से क्या लेना-देना है।

नवधान्य की निदेशक व प्रसिद्द पर्यावरणविद डॉ वंदना शिवा के मुताबिक 01 सितंबर 2023 को जब यहां जैविक खेती पर ‘ए टू जेड’ प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया, उसी रात कुछ भूमाफिया ने नवधान्य परिसर और उसके निजी मार्ग पर निर्माण सामग्री डालकर अवैध रूप से कंस्ट्रक्शन की गतिविधियां शुरू कर दी। इससे आवासीय परिसर की शैक्षिक गितिविधियों में गतिरोध तो पैदा हो ही रहा है, साथ ही प्रतिभागियों और कर्मचारियों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है।

डॉ वंदना शिवा के मुताबिक इस तरह की अवैध गतिविधि नवधान्य की भूमि को हड़पे के लिए की जा रही है। उनके अनुसार भूमाफिया अनुसंधान फार्म की भूमि और उसकी निजी सड़क को हड़पने की फिराक में है। एक साल पहले भी भूमाफिया ने फार्म की भूमि पर अतिक्रमण करने का प्रयास किया था। तब न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। इस क्रम में स्पष्ट किया गया था कि मानचित्र में दिखाई गई सड़क एवं भूमि नवधान्य ट्रस्ट की है और उस पर किसी अन्य के माध्यम से सड़क बनाने आदि का कोई भी प्रयास गैरकानूनी माना जाएगा। नवधान्य की निदेशक डॉ शिवा ने चिंतित होकर कहा कि माफिया के भारी उपकरण फार्म और बागीचे को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसके साथ ही यहां की जैवविविधता भी प्रभावित हो रही है। उन्होंने देहरादून के जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि वह फार्म पर गिद्ध दृष्टि डाले बैठे भूमाफिया पर सख्त कार्रवाई करे।

नवधान्य की निदेशक व प्रसिद्द पर्यावरणविद डॉ वंदना शिवा।

जैविक खेती आंदोलन और कृषि सुधारों में रही अहम भूमिका
डॉ वंदना शिवा ने कहा कि देशी बीज, फसलों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए नवधान्य संस्था ने देशभर में कृषक बंधुओं का नेतृत्व किया है। इन फसलों में मुख्यत: प्रसिद्ध देहरादूनी बासमती के साथ ही मंडुआ, कौणी, झंगोरा, बाजरा आदि शामिल हैं। ज्ञात हो कि ये फसलें हरित क्रांति के चलते एक तरह से भुला दी गई थी। इन फसलों का महत्त्व फिर से उभर कर सामने आया है। इसी महत्त्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को मिलेट्स का वर्ष घोषित है। नवधान्य की जैविक खेती आंदोलन और कृषि सुधारों में भी अहम भूमिका रही है। नवधान्य जैव विविधता संरक्षण, संवर्धन एवं प्रशिक्षण फार्म को बीजा विद्यापीठ और अर्थ यूनिवर्सिटी के नाम से भी जाना जाता है। इस अनुसंधान केंद्र पर उत्तराखंड सहित देश एवं विदेश के हजारों किसान प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।

डॉ वंदना शिवा की यह भी उपलब्धि
इस केंद्र की संस्थापिका पर्यावरणविद डॉ वंदना शिवा की 30 से अधिक पुस्तकें और 300 से अधिक लेख दुनियाभर में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें जैविक खेती एवं जैव विविधता संवर्धन के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के (वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार/राइट लाइवलीहुड अवार्ड सहित ) कई पुरस्कार मिल चुके हैं। देश-दुनिया के कई विश्वविद्यालय एवं संस्थानों में भी व्याख्यान देने के लिए डॉ वंदना शिवा को आमंत्रित किया जाता रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button