कलेक्ट्रेट में कर्मचारी ने लगाई फांसी, दो लाइन का सुसाइड नोट, उलझी पुलिस
पिता की मृत्यु पर मृतक आश्रित कोटे पर नौकरी लगा था फांसी लगाने वाला युवक
Amit Bhatt, Dehradun: पुलिस से प्राप्त जानकारी के मुताबिक जिला मुख्यालय रोशनाबाद हरिद्वार स्थित कलेक्ट्रेट भवन के कमरे में आधी रात एक कर्मचारी ने संदिग्ध परिस्थितियों में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। कंट्रोल रूम पर मिली सूचना पर पुलिस ने कमरा नंबर 222 की खिड़की तोड़कर अंदर प्रवेश किया तो कर्मचारी का शव फांसी पर लटका मिला। युवक अपने पिता की जगह मृतक आश्रित कोटे में सूचना सहायक के पद पर तैनात था। दो लाइन के सुसाइड नोट में युवक ने अपने आप को ही अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। पुलिस ने घटना के हर एक पहलू पर गौर करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक, सोमवार रात करीब एक बजे पुलिस कंट्रोल रूम पर सूचना मिली कि कलेक्ट्रेट भवन के कमरा नंबर 222 में कोई अंदर मौजूद है। जिस पर सिडकुल थानाध्यक्ष नरेश राठौर पुलिस टीम लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे और मामले की जानकारी ली। कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। पुलिस ने खिड़की तोड़कर जिलाधिकारी कार्यालय में तैनात कर्मचारियों के साथ अंदर प्रवेश किया तो युवक का शव फांसी पर लटका देख सबके होश उड़ गए। युवक की पहचान कलेक्ट्रेट भवन में ही तैनात कमल कुमार निवासी संत कृपाल नगर रावली महदूद सिडकुल हरिद्वार के रूप में हुई।
वह कलेक्ट्रेट में सूचना अनुभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में तैनात था। वहां उपस्थित कर्मचारियों ने बताया कि कुछ साल पहले कमल के पिता परागी लाल की मृत्यु हो गई थी। उनकी जगह मृतक आश्रित कोटे में ही कमल सूचना सहायक के पद पर भर्ती हुआ था। सिडकुल थानाध्यक्ष नरेश राठौड़ ने बताया कि सुसाइड नोट में युवक ने खुद को ही अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है, फिर भी हर पहलू पर छानबीन की जा रही है।
आदरणीय प्रधान मंत्री जी ने
“भ्रष्टाचार मुक्त भारत अभियान” चालू तो किया लेकिन अंग्रजी ज़माने के क्रूर कानून नही बदले यानी भ्रष्टाचार सरकार के भीतर से शुरू होता है। सुबूत की तौर पे “Officers with judicial powers Protection Act 1850” एक पटवारी से लेकर चीफ सेक्रेट्रेटरी को भारतीय कानून से “ऊपर” उठा देता है। गवर्नर भी इस कानून से डरते हैं। सबूत चाहिए तो बताइए।