Amit Bhatt, Dehradun: स्कूलों में छात्रों की ओर से जमा की जाने वाली संचायिका की राशि में गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका में नैनीताल हाईकोर्ट में कड़ी कार्रवाई की। शिक्षा विभाग की ओर से प्रकरण में काउंटर एफिडेविट दाखिल न किए जाने पर कोर्ट ने विभाग पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया।
नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई की। यह याचिका छात्रों की ओर से जमा की जाने वाली संचायिका की राशि में गड़बड़ी और राशि को छात्रों को वापस न लौटाए जाने को लेकर दायर की गई है। याचिका आरटीआई क्लब उत्तरखंड की ओर से दायर की गई। आरटीआई क्लब की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अभिषेक बहुगुणा ने कहा कि छात्रों में बचत की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए संचायिका शुल्क लिया जाता था। छात्र या छात्रा के स्कूल छोड़ने पर यह राशि उसे वापस कर दी जाती थी, लेकिन वर्ष 2016 में इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अभिषेक बहुगुणा की ओर से कहा गया कि बहुत से स्कूलों ने इस राशि को छात्रों को नहीं लौटाया। इस राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। साथ ही मांग की गई कि राशि न लौटने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाए और समस्त राशि को स्कूल के विकास पर खर्च किया जाए। याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की पीठ ने पाया कि शिक्षा विभाग ने इस प्रकरण में अभी तक जवाब पेश नहीं किया है। जिस पर शिक्षा विभाग पर 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगा दिया गया।