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रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में नए गैंग की एंट्री, सरगना हुमायूं परवेज चढ़ा हत्थे

माजरा में रक्षा मंत्रालय की 55 बीघा और क्लेमेनटाउन में 5 बीघा भूमि के बना डाले थे फर्जी कागजात

Amit Bhatt, Dehradun: रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में एसआइटी (स्पेशल टास्क फोर्स) की कार्रवाई अब तक केपी, विरमानी और इमरान गैंग के इर्द-गिर्द ही की जा रही थी। लेकिन, इस जांच पर आगे बढ़ते हुए पुलिस को पता चला कि रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में दूसरे गैंग का भी हाथ है। इस गैंग में तभी खेल कर दिया था, जब देहरादून के राजस्व अभिलेख सहारनपुर में (31 दिसंबर 2022 से पहले) में ही रखे थे। इस गैंग के सरगना बिजनौर निवासी हुमायूं परवेज ने माजरा में रक्षा मंत्रालय की 55 बीघा भूमि और क्लेमेनटाउन में 5 बीघा भूमि के फर्जी दस्तावेज बना डाले। देहरादून लाए गए इन रिकार्ड में रजिस्ट्रियों व जिल्द में छेड़छाड़ पाए जाने पर एआइजी स्टांप संजीव श्रीवास्तव ने शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था। जिसके क्रम में एसआइटी ने गुरुवार को हुमायूं परवेज पुत्र जलीलु रहमान निवासी 24 मौहल्ला काजी सराय 2, नगीना, जिला बिजनौर उ.प्र., उम्र 50 वर्ष को गिरफ्तार कर लिया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, अजय सिंह।

पत्रकारों से रूबरू वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह के मुताबिक पुलिस जांच में यह बात सामने आई कि क्लेमनटाउन की जमीन को आरोपी ने 11 लोगों को बेचकर करीब 3 करोड़ रुपये खाते में जमा कराए हैं। जबकि माजरा की जमीन रक्षा मंत्रालय के कब्जे में होने के कारण आरोपी खेल करने में असफल रहा है। पुलिस अब इस नटवरलाल का साथ देने वालों की तलाश में जुट गई है

रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में गिरफ्तार आरोपी हुमायूं परवेज।

हालांकि, हुमायूं परवेज ने अपने साथियों के साथ मिलकर माजरा स्थित रक्षा मत्रांलय की भूमि तथा क्लेमेनटाउन स्थित निजी भूमि के फर्जी विलेख पत्र बनाते हुए उक्त भूमि को अन्य लोगों को बेच चुका था। इसमें क्लेमनटाउन की जमीन की रजिस्ट्री 11 लोगों के नाम कर दी थी। जबकि माजरा की जमीन डीएम द्वारा 1958 में ही रक्षा मंत्रालय के नाम दर्ज करने तथा जमीन पर रक्षा मंत्रालय का कब्जा होने के कारण आरोपी जमीन को कब्जामुक्त नहीं करा पाया। हालांकि आरोपी उक्त जमीन को अपनी बताकर लगातार रक्षा मंत्रालय पर भी कब्जामुक्त करने का दवाव बना रहा था।

राजधानी में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में 17वीं गिरफ्तारी
फर्जी रजिस्ट्री प्रकरण में एसआईटी द्वारा की जा रही जांच में अब तक 17 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ में अन्य व्यक्तियों के नाम भी उक्त प्रकरण में प्रकाश में आए हैं। जिनके संबंध में एसआईटी द्वारा लगातार गहन विवेचना कर साक्ष्य संकलन की कार्रवाई की जा रही है।
हुमायूं की सहारनपुर के रिकॉर्ड रूम में थी घुसपैठ
एसआईटी की जांच के दौरान यह तथ्य प्रकाश में आया है कि हुमायूं की सहारनपुर के सब रजिस्ट्रार कार्यालय व राजस्व के रिकार्ड रूम में घुसपैठ थी। उसने इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए अपने साथी समीर कामयाब व अन्य साथियो की मदद से फर्जी विलेख तैयार कर देव कुमार निवासी सहारनपुर की मदद से रिकार्ड रुम रजिस्ट्रार कार्यालय में वर्ष 2016-17 में जिल्द में लगवा दिया था। जिसमें टर्नर रोड से सुभाष नगर चौक के मध्य क्लेमनटाउन स्थित जमीन का अल्लादिया नाम से 1944 में जलीलू रहमान व अब्दुल करीम को फर्जी बैनामा बनाकर मालिक दर्शाया गया। इसी जमीन को 2019 से 2020 के बीच हुमायूं परवेज द्वारा वसीयत के आधार पर 11 व्यक्तियों को उक्त जमीन की रजिस्ट्रिया कर दी। इससे प्राप्त करीब 3 करोड़ रुपये सहारनपुर के जे एंड के बैंक में जमा कराए गए।
ऐसे बची रक्षा मंत्रालय की 55 बीघा जमीन
माजरा की जमीन के असली मालिक लाला सरनीमल व मनीराम का फर्जी बैनामा वर्ष 1958 का बनाकर जलीलू रहमान व अर्जुन प्रसाद को मालिक दर्शाया गया। इसके बाद आरोपी ने सीमांकन हेतु प्रार्थना पत्र एसडीएम कार्यालय व उच्च न्यायालय उत्तराखंड को प्रेषित कर बाकायदा आदेश भी करवाए गए। लेकिन, ग्राम माजरा स्थित लगभग 55 बीघा जमीन वर्ष 1958 में तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा रक्षा मंत्रालय के नाम कर दी गई थी। यह तभी से रक्षा मंत्रालय के कब्जे में है। जिस कारण सीमांकन की कार्रवाई को खारिज किया गया था और इस तरह यह बेशकीमती जमीन बच गई।

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