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रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अब अफसरों की बारी, एसआईटी ने लिखा पत्र 

सब रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात रहे अधिकारियों पर जांच के बाद कार्रवाई की सिफारिश

Amit Bhatt, Dehradun: रजिस्ट्री फर्जीवाड़े का हॉटस्पॉट रहे सब रजिस्ट्रार कार्यालय भी अब एसआइटी की जांच के दायरे में आने वाला है। इसका मतलब यह हुआ कि सब रजिस्ट्रार कार्यालय में अब तक जो भी अधिकारी-कर्मचारी तैनात रहे हैं, उनकी जांच शुरू करने की तैयारी है। इसको लेकर एसआइटी ने एसएसपी के माध्यम से जिलाधिकारी सोनिका को पत्र भेजा है।
रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में अब तक एसआइटी 18 आरोपितों (केपी सिंह की मौत के बाद 17 रह गए) को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें अधिवक्ताओं से लेकर प्रॉपर्टी डीलर, भूमाफिया, हिस्ट्रीशीटर, हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी तक शामिल हैं।हालांकि, अब पुलिस सीधे अधिकारियों व महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाले कर्मचारियों पर हाथ डाल सकती है। क्योंकि, जिस फर्जी रजिस्ट्रियों को सब रजिस्ट्रार कार्यालय के रिकार्ड रूम में दाखिल किया गया, उनमें कार्मिकों की भूमिका को जांच के दायरे में लाए बिना बात नहीं बनने वाली। इसके साथ ही फर्जी रजिस्ट्रियों की नकल को असल की भांति बाहर निकालने में भी यहीं के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका रही है।
सब रजिस्ट्रार कार्यालय में पत्रावली गायब करने का मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने जांच कराई थी। जांच में पता चला था कि जालसाजों ने रजिस्ट्रार कार्यालय में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया है। इस मामले में 15 जुलाई को सब रजिस्ट्रार कार्यालय के सहायक महानिरीक्षक की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया था। उस दौरान वर्ष 2000 से अब तक रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात रहे 31 अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम की भी सूची भी सौंपी गई थी। इनमे से कुछ की मौत भी हो चुकी है। वहीं, कई अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। पुलिस की एसआईटी ने जब मुकदमे की जांच शुरू की तो अब तक नौ मुकदमे दर्ज कर तमाम आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया।
जांच में अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई
एसआईटी की जांच में सब रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात रहे अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही व संदिग्ध भी सामने आई है। ऐसे में एसआइटी प्रभारी ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के माध्यम से जिलाधिकारी को इन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। बताया जा रहा है कि अधिकतर फर्जीवाड़ा वर्ष 2016 से 2021 के बीच किया गया है। ऐसे में इस बीच या इससे पहले भी तैनात रहे कार्मिकों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई की जा सकती है।

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