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रिलायंस ज्वेल्स: 102 करोड़ का सोना लूटा, एसएसपी खुद निकले दबिश पर

देहरादून के रिलायंस ज्वेल्स शोरूम में डाली गई डकैती में पुलिस को मिला बिहार के सुबोध गैंग का हाथ, लूट और डकैती की घटना को अंजाम देने का तरीका भी आया सामने

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 09 नवंबर को राजपुर रोड स्थित रिलायंस ज्वेल्स के शोरूम में 14 करोड़ रुपये के आभूषण लूट की घटना में पुलिस के हाथ अभी अपराधियों तक नहीं पाए हैं। लेकिन, प्रदेश की अब तक इस इस सबसे बड़ी लूट/डकैती और इसे अंजाम देने वाले शातिर अपराधियों की अच्छी-खासी कुंडली पुलिस के हाथ लग गई है। देहरादून के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने जिन 12 से अधिक टीम को देश के विभिन्न राज्यों में दबिश देने के लिए रवाना किया है, वह यह पता लगाने में कामयाब हो चुकी है कि इस घटना के पीछे किसका हाथ है। पुलिस के मुताबिक डकैती का मास्टर माइंड बिहार जेल में बंद सुबोध सिंह उर्फ छोटू निवासी चिश्तीपुर (नालंदा) का हाथ है। गैंग के सरगना सुबोध को इस समय महारष्ट्र पुलिस अपनी रिमांड में लातूर लेकर आई है। लिहाजा, सुबोध से पूछताछ के लिए दून पुलिस की एक टीम भी लातूर रवाना हो गई है। स्वयं एसएसपी अजय सिंह भी दबिश और अन्य राज्यों की पुलिस से बेहतर समन्वय के लिए रवाना हो चुके हैं।

सुबोध गैंग लूट चुका 102 करोड़ का 173 किलो सोना
पुलिस ने सुबोध और उसके गैंग की पूरी कुंडली निकाल ली है। सुबोध गैंग उत्तराखंड से पहले 05 राज्यों में 102 करोड़ रुपये का 173 किलो सोना लूट चुका है। इसके अलावा इस गैंग ने करोड़ों रुपये की लूट को भी अंजाम दिया है। यह भी बताया जाता है कि सुबोध इससे भी अधिक करीब 300 किलो सोना अब तक लूट चूका है। इसके अलावा यह गैंग देश के कई स्थानों पर लूट और डकैती की 20 से अधिक अन्य वारदात को अंजाम दे चूका है। सुबोध का आपराधिक इतिहास इतना लंबा है कि उस पर और उसके सहयोगी अपराधियों पर अब तक तमाम धाराओं में 22 मुकदमे देश के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। वह जेल के भीतर से ही लूट और डकैती की वारदात को अपने सहयोगियों के माध्यम से अंजाम देता है। बताया जाता है कि इसके गैंग में 200 से अधिक बदमाश हैं। वह जेल में राजा की जिंदगी जीता है और सभी उसे बबुआ कहकर बुलाते हैं।

सरगना सुबोध बिहार व बंगाल की जेल में बंद नए लड़कों को 05 से 10 लाख में करता था हायर
रिलायंस ज्वेल्स शोरूम लूट प्रकरण में पुलिस की अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि गैंग लीडर सुबोध बिहार तथा पश्चिम बंगाल की जेल में विभिन्न अपराधों में बंद नए लड़कों को पेमेंट के बेस पर हायर करता था। लूट की रणनीति इस तरह बनाई जाती है कि गैंग के सदस्य एक दूसरे को नहीं जानते हैं तथा हर टॉस्क के लिए उन्हें 5 से 10 लाख रुपये की पेमेंट एडवांस में गैंग लीडर द्वारा की जाती है। गैंग लीडर द्वारा हर घटना के लिए अलग-अलग लड़कों का इस्तेमाल किया जाता है तथा घटना को करने से पूर्व उन्हें हथियार, वाहन तथा मोबाइल फोन भी मुहैया कराए जाते हैं। घटना के समय गैंग के अन्य सदस्यों का आपस में कोई संपर्क नहीं रहता, वह केवल गैंग लीडर के संपर्क में रहते हैं।

राजपुर रोड स्थित इस रिलायंस ज्वेलर्स में बदमाशों ने लुटे करोड़ों रुपये के आभूषण।

सुबोध और उसके सहयोगी गैंग की आभूषण/सोना व नकदी लूट की प्रमुख वारदात

पश्चिम बंगाल
1- पुरूलिया में 02 ज्वैलरी शोरूम में 08 करोड रुपये के आभूषणों की लूट
2- रायगंज में रिलाइंस ज्वैलरी शोरूम में करोड़ो रुपये के आभूषणों की लूट
3- हुगली में 15-09-22 को 10 करोड़ रुपये की ज्वैलरी (20 किलो सोना) की लूट
4- आसनसोल में दिनांक 20-01-20 को गणपति ज्वैलर्स में में 05 करोड़ कीमत की ज्वैलरी की लूट
5- बडानगर में मणप्पुरम गोल्ड में 11 करोड़ की कीमत के 22 किलो सोने की लूट
6- आसनसोल में 23-12-17 में मुथूट फाइनेंस में 14 करोड़ रुपये के 27 किलो सोने की लूट

महाराष्ट्र

1- सांगली में रिलायंस ज्वैलरी शो रूम में दिनांक: 04-06-23 को 14 करोड़ रुपये के आभूषणों की लूट
2- लातूर में ज्वैलरी शोरूम में लूट का प्रयास।
3- नागपुर में मणप्पुरम गोल्ड में 15 करोड़ कीमत के लगभग 29 किलो सोने की लूट।

बिहार

1- पटना में पंचवटी ज्वैलर्स में 05 जून 2019 को 05 करोड़ रुपये की ज्वैलरी की लूट।
2- धनबाद में 25-04-23 को फाइनेंस कंपनी में लूट का प्रयास।

मध्य प्रदेश

1- कटनी में दिनांक: 26-11-22 को मणप्पुरम गोल्ड में 08 करोड़ रुपये के 16 किलो सोने व 05 लाख नगदी की लूट

राजस्थान

1- प्रतापनगर उदयपुर में दिनांक: 29-08-22 को मणप्पुरम गोल्ड में 12 करोड़ रुपये के 24 किलो सोने व 11 लाख नगदी की लूट
2- भिवाडी में एक्सिस बैंक में 90 लाख की नगदी व 30 लाख रुपये के सोने की लूट।
3- मानसरोवर में मुथुट फाइनेंस में 27 लाख रुपये की लूट।

ऐसे चलता है सुबोध का नेटवर्क
किसी भी घटना की तैयारी से पहले एक साथ 20 सिम व नए फोन खरीदे जाते हैं, जोकि एक ही सीरीज के होते हैं। गैंग के सदस्यों को उनके रोल के अनुसार काम बांटे जाते हैं। किसी भी सदस्य को अन्य सदस्य के असली नाम की जानकारी नहीं दी जाती है। सिर्फ उसके रोल के बारे में बताया जाता है और एक टास्क खत्म होने के बाद उस व्यक्ति का काम खत्म हो जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि यदि कोई पकड़ा जाए तो केवल वही पकड़ा जाए, क्योंकि उसे किसी और के बारे में कोई जानकारी नही होगी। घटना को अंजाम देने से पूर्व अलग-अलग जगह लगभग 40-50 किलोमीटर दायरे में वाहन खड़े किए जाते हैं और केवल इतना बताया जाता है कि उन्हें दो या तीन लोगों को लेकर इस जगह तक लाना है या उनसे सामान लेकर अगली जगह तक पहुंचना है। ऐसे ही आगे कार्य चलता रहता है। महत्वपूर्ण यह भी है कि ये लोग घटना के समय अपने पास पोर्टेबल सिग्नल जैमर, जो कि सुबोध उन्हें दिल्ली से उपलब्ध करवाता है, का प्रयोग करते हैं। ताकि कोई फोन न कर पाए या कोई सेंसर सिस्टम ट्रिगर ना हो पाए। लूट या डकैती का सामान अलग व्यक्ति ले कर जाते हैं और घटना करने वाले व्यक्ति अपने पहले से निर्धारित मार्ग पर अलग-अलग निकलते हैं । माल को ज्यादातर नेपाल में 70 प्रतिशत की कीमत पर बेचकर नकद धनराशि प्राप्त कर लेते हैं और घटना करने के 15-20 दिन बाद जब मामला थोड़ा शांत हो जाता है तो आपस में बांट लिया जाता है।

28 सितंबर को लातूर पुलिस ने गैंग के दो सदस्य पकड़े, कहानी आई सामने
28 सितंबर को लातूर पुलिस ने इसी गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया था, जबकि दो भागने में सफल रहे। घटना के बारे में लातूर पुलिस ने बताया कि एक सितंबर 2023 को चार व्यक्ति कल्याण जिला ठाणे मुंबई के पास आए व 16-17 दिन तक उस स्थान पर रुके। उन्होंने फर्जी आधार कार्ड से दो मोटरसाइकिल खरीदी। एक सप्ताह अलग-अलग जगह की रेकी करते रहे और अलंद कर्नाटक में उन्होंने मणप्पुरम गोल्ड लोन प्रतिष्ठान की रेकी की। 25-26 सितंबर में उमरगा, जो कि लातूर के बार्डर से 10 किलोमीटर बाहर धाराशिव जिले में है, वहां जाकर रुके। वहां से एक बार आकर लातूर व एक बार अलंद मे रेकी की। इस दौरान बदमाशों ने जो भी आपसी संपर्क किया गया, वह इंटरनेट कालिंग व एप बेस्ड कालिंग जैसे-आइएमओ से की गई।

28 सितंबर को जब पूरी महाराष्ट्र पुलिस गणपति विसर्जन के कार्यक्रम में व्यस्त थी तो क्राइम ब्रांच लातूर को गोपनीय सूचना मिली कि चार लोग डकैती की तैयारी के साथ शहर में घूम रहे हैं। क्राइम ब्रांच ने घेराबंदी कर दो बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि दो भागने में सफल रहे। पूछताछ में दोनों ने अपना नाम-पता गलत बताया, लेकिन के सख्ती से पूछने पर इन्होंने अपने सही नाम बताए। हालांकि, यह अपने साथियों के नाम सही नहीं बता पाए। क्योंकि वह उन लोगों को जानते ही नहीं थे। लातूर पुलिस ने बताया कि बदमाश घटना करने वाले सभी लोगों को अलग-अलग जगह से बुलाते हैं और उन्हें सीमित टास्क दिया जाता है। गैंग का लीडर सुबोध इंटरनेट कालिंग के माध्यम से पूरी प्लानिंग समझाता है।

रिलायंस ज्वेल्स लूट की यह है पूरी घटना और फरार होने की कहानी
पुलिस के अनुसार कई माह की तैयारी के बाद गैंग ने इस घटना को अंजाम दिया। अन्य राज्यों में रिलायंस ज्वेल्स व अन्य बड़े-बड़े ज्वेलरी शॉप में भी इसी तरह घटना को अंजाम दिया गया। दून में 09 नवंबर में लूट का दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि एक दिन बाद धनतेरस था और शोरूम में भरपूर सोना होने की उम्मीद थी। दूसरा यह कि यह दिन उत्तराखंड का राज्य स्थापना दिवस भी है और दून में ही स्थापना दिवस का मुख्य समारोह भी था। समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति थी और पुलिस का अधिकांश ध्यान वीवीआईपी ड्यूटी पर था। हालांकि, पुलिस ने सपष्ट किया कि लूट का वीवीआईपी ड्यूटी से कोई लेना-देना नहीं है।

ज्वेलरी शोरूम लूटने के लिए पहले आगरा एक्सप्रेसवे से अर्टिगा कार लूटी
घटना को अंजाम देने के लिए बदमाशों ने यमुना एक्सप्रेसवे आगरा से जून माह में आर्टिगा कार लूटी थी, जो दून में वारदात के बाद बदमाशों ने सेलाकुई में छोड़ दी थी। कार से मिले सुराग पर पुलिस की टीम बदमाशों के सुदूर प्रांतों में संभावित ठिकानों को रवाना की गई। पुलिस के अनुसार राजपुर रोड स्थित रिलायंस ज्वेलरी शोरूम में हुई घटना में पुलिस टीम द्वारा घटना में प्रयुक्त की गयी आर्टिगा कार को सेलाकुई थाना क्षेत्र से बरामद किया गया था, उक्त कार का गहन फॉरेंसिक परीक्षण किया गया तो अभियुक्तों द्वारा साक्ष्य मिटाने के उद्देश्य से कार का चेसिस नंबर घिस दिया गया था। पुलिस द्वारा फॉरेंसिक की सहायता से कार से महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित किए गए, जिसके आधार पर उक्त कार को 02 व्यक्तियों द्वारा माह जून में दिल्ली से आगरा के लिए बुक किया गया था, जिनके द्वारा आगरा जनपद के कंदोली थाना क्षेत्र में चालक को बंधक बनाकर कार को लूट लिया गया था। जिसके संबंध में दिनांक 10 जून को आगरा में लूट का अभियोग पंजीकृत कराया गया। जांच से पुलिस टीम को अभियुक्तों के बारे में महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले और इसी आधार पर विशेष टीम को आगरा रवाना किया गया।

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