DehradunMDDAsmart cityUttarakhand

बिल्डर कहां ठिकाने लगा रहे जनता का पैसा, परियोजना अधूरी और पैसा ले रहे पूरा, फ्लैट के नाम पर टरका रहे

 सेवला कलां में फ्रेंड्स अपार्टमेंट का मामला, रेरा ने बिल्डर को दिए ब्याज सहित 29.56 लाख रुपये लौटाने के आदेश

Amit Bhatt, Dehradun: बिल्डर एक तरफ आवासीय परियोजना के नाम पर बैंक से लोन रहे हैं और दूसरी तरफ फ्लैट की बुकिंग के लिए खरीदारों से भी मोटी रकम वसूल कर रहे हैं। इसके बाद भी सालों तक परियोजना का निर्माण नहीं किया जा रहा और न ही फ्लैट खरीदारों की रकम ही लौटाई जा रही है। सवाल यह भी है कि आखिर मोटी रकम लेकर बिल्डर उनका क्या कर रहे हैं। क्यों जनता से वसूली धनराशि को फ्लैट निर्माण में नहीं लगा रहे। बिल्डरों के हाथों लुटे-पिटे कई लोग ऐसे हैं, जो एक तरफ अपनी खून-पसीने की कमाई बिल्डर को सौंप चुके हैं और दूसरी तरफ बैंक का ऋण भी अदा करने को विवश हैं। ऐसे ही एक मामले में उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) ने बिल्डर को 10.75 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से 29.56 लाख रुपये लौटाने को कहा है।
रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल के आदेश के मुताबिक शिमला बाईपास रोड सेवला कलां निवासी प्रकाश वैशाली ने गणेश कृपा इंफ्रा डेवलपर्स की आवासीय परियोजना में फ्लैट बुक कराया था। वह बिल्डर के लोक लुभावने विज्ञापन के झांसे में आ गए थे। सेवला कलां में ही विकसित की जा रही इस परियोजना में उन्होंने 49.51 लाख रुपये का फ्लैट बुक कराया था। बुकिंग के तौर पर उन्होंने बिल्डर को 2.21 लाख रुपये भी तत्काल अदा कर दिए थे। इसके बाद प्रकाश वैशाली ने फ्लैट खरीदने के लिए एचडीएफसी बैंक से 32.30 लाख रुपये का ऋण कंस्ट्रक्शन लिंक्ड पेमेंट प्लान के तहत लिया। बैंक ने 15 लाख रुपये बिल्डर के खाते में ट्रांसफर भी कर दिए। जिसकी मासिक किश्त 13 हजार 545 रुपये प्रकाश वैशाली अदा कर रहे हैं।
रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल का आदेश।

रेरा में दर्ज प्रकाश वैशाली की शिकायत के मुताबिक बिल्डर को फ्लैट पर 31 मार्च 2020 या इससे पहले कब्जा देना था। समय के भीतर फ्लैट पर कब्जा देने में नाकाम रहने पर बिल्डर ने प्रकाश वैशाली को 16 हजार रुपये मासिक दर से मुआवजा देने का भरोसा दिलाया। जो कुछ समय बाद ही रोक दिया गया। इसके बाद प्रकाश ने बिल्डर ने अपनी रकम वापस मांगी। जिस पर 32.50 लाख रुपये के तीन चेक प्रदान किए गए। इसमें से 10 लाख रुपये का पहला चेक ही क्रेडिट हो पाया और 22.50 लाख रुपये के दो चेक बाउंस हो गए।

रेरा सदस्य नरेश सी मठपाल ने सुनवाई में पाया कि परियोजना का पंजीकरण 09 अक्टूबर 2020 तक ही था और इसे आगे नहीं बढ़ाया गया है। इसके साथ ही परियोजना के नक्शे की अवधि भी समाप्त हो चुकी है। लिहाजा, अब इसका कोई वैध मानचित्र भी प्रस्तुत नहीं किया गया। बिल्डर को पक्ष रखने के लिए तमाम अवसर देने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जा रही है।
वर्तमान समय तक बिल्डर की ओर से प्रकाश वैशाली को सिर्फ 10 लाख रुपये चेक से और 96 हजार रुपये नकद बतौर रिफंड दिए गए हैं। बिल्डर को आदेश दिए गए कि वह 45 दिन के भीतर प्रकाश वैशाली को अवशेष मूल धनराशि 21.25 लाख रुपये पर 10.75 प्रतिशत की दर से ब्याज को मिलाकर 29.56 लाख रुपये अदा करेंगे। शिकायतकर्ता ने प्रकरण में मुआवजे की मांग भी की है। इसलिए वह इसकी मांग न्याय निर्णय अधिकारी के समक्ष अलग से प्रार्थना पत्र देकर कर सकते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button