उद्योगपति सुधीर विंडलास गिरफ्तार, आज की सबसे बड़ी खबर
सीबीआई ने जमीन धोखाधड़ी के मामले में नामी उद्योगपति व बिल्डर समेत पांच को किया गिरफ्तार
Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड के टॉप के उद्योगपतियों और बिल्डरों में शामिल सुधीर विंडलास, उनके सहयोगी रवि दयाल समेत पांच को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। उन पर जमीन धोखाधड़ी और अतिक्रमण के चार मुकदमे दर्ज हैं। जिन्हें सरकार ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था। लंबे समय से प्रकरण की जांच कर रही सीबीआई ने सुधीर विंडलास और उनके सहयोगियों के 20 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी करते हुए यह कार्रवाई की।
जमीन धोखाधड़ी और अतिक्रमण में सुधीर विंडलास पर पिछला मुकदमा उनके भाई समेत कुल 12 के खिलाफ राजपुर थाने में दर्ज किया गया था। तभी से उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही थी। अब तक उन पर कुल चार मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
उद्योगपति सुधीर विंडलास पर धोखाधड़ी के निरंतर आरोप लगने के बाद चौथा मुकदमा दर्ज किया गया। जांच एजेंसियों के मुताबिक उन्होंने उस जमीन की फर्जी तरीके से खरीद फरोख्त की, जिसमें मुकदमा हो चुका था। यही नहीं रजिस्ट्री कार्यालय से दस्तावेज भी गायब करा दिए। लेकिन, मामला स्कैन्ड दस्तावेज से सामने आ गया।
20 बीघा जमीन को फर्जी तरीके से ड्राइवर के नाम कराया था
जांच एजेंसियों के अनुसार सुधीर विंडलास ने दून पैरा मेडिकल कॉलेज के मालिक संजय चौधरी के परिवार की 20 बीघा जमीन को फर्जी तरीके से अपने ड्राइवर के नाम करा दिया था। वर्ष 2010 में हुए इस फर्जीवाड़े में एसआईटी ने जांच की और मुकदमे की संस्तुति हुई। लेकिन, कई सालों से मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था। पुलिस महानिदेशक को जब इसकी शिकायत हुई तो उनके निर्देश पर राजपुर थाने में जालसाजी के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद एक पूर्व सैन्य अधिकारी की शिकायत पर भी उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया।
इस बीच पता चला कि इस जमीन को लेकर सुधीर विंडलास ने अपने भाई प्रदीप विंडलास के साथ मिलकर एक और जालसाजी की है। दरअसल, संजय चौधरी के परिवार ने इस जमीन को गुप्ता परिवार से खरीदा था। गुप्ता परिवार ने 1983 में इस जमीन को गंगबहादुर नाम के व्यक्ति से खरीदा था। पता चला कि सुधीर विंडलास ने इस जमीन को जून 2021 में बैनामा कराया है। इसके लिए उसने गंगबहादुर (अब इस दुनिया में नहीं हैं) और गुप्ता परिवार के बीच हुई खरीद के दस्तावेज ही गायब करा दिए। इसके बाद गंगबहादुर के वारिसों से इस जमीन के खुद खरीदना दर्शाया।
दस्तावेज गायब होने से इस तरह लगा कि संजय चौधरी के परिवार को यह जमीन कभी बेची नहीं गई है। इसकी शिकायत उन्होंने पिछले साल डीआईजी रेंज कार्यालय में भी की। लेकिन, यहां विंडलास खुद फंस गए। पुलिस और संजय चौधरी की पड़ताल में गुप्ता और गंगबहादुर के बीच हुई इस जमीन के खरीद के दस्तावेज स्कैनिंग किए हुए मिल गए। इस तरह पूरे साक्ष्य पुलिस को लाकर दिए गए तो पुलिस भी हैरत में पड़ गई। पुलिस महानिदेशक ने इस मामले में एक और मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। इन आदेशों के बाद अब सुधीर विंडलास, प्रदीप विंडलास, गंगबहादुर के बेटे अमरवीर लामा, रणवीर लामा, अनूप लामा, बेटी जयमाया, निर्मला गुरुंग, रोमा, ऊषा थापा, पुष्पा लामा, मधु थापा, सुखबीर लामा की पत्नी कविता लामा, किशोर थापा की बेटी हिना थापा और सुखबीर लामा के बेटे सूरज लामा के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में मुदकमा दर्ज कराया है। उन पर पहला मुकदमा वर्ष 2018 में दर्ज किया गया था।
पांच करोड़ की जमीन केवल तीन लाख में
इस जमीन की बाजारी कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका सर्किल रेट के हिसाब से ही दाम साढ़े पांच करोड़ रुपये है। लेकिन, यहां उन्होंने खरीद में भी गलती कर दी। गलती यह हुई कि सर्किल रेट के हिसाब से स्टांप शुल्क तो पूरा जमा किया, लेकिन इसकी कीमत केवल साढ़े तीन लाख रुपये ही दर्शाई। इस बात में भी विंडलास घिर गए।
गिरफ्तारी से बचने भागते रहे इधर-उधर
सुधीर विंडलास के खिलाफ जब चौथा मुकदमा दर्ज हो गया, तभी से उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही थी। बताया जा रहा है कि उन्हें हाईकोर्ट से भी स्टे नहीं मिला। ऐसे में गिरफ्तारी से बचने को उन्होंने नेताओं से लेकर अफसरों तक के यहां गुहार लगाई। हालांकि, यह गुहार काम आती नहीं दिखी। जब सीबीआई ने सभी मुकदमों पर काम शुरू किया तो उनकी मश्किलें बढ़ती चली गई।