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भाजपा विधायक की कविता से भाजपा असहज, भूक़ानून और मूल निवास की पैरवी

भाजपा विधायक विनोद चमोली बोले, पार्टी अनुशासन से बंधा हूं, वरना रैली में खड़ा होता...

Amit Bhatt, Dehradun: पवेलियन मैदान में आयोजित मोदी है ना विशाल पदयात्रा के लिए बड़ी संख्या में भाजपा और भाजयुमो कार्यकर्ता एकत्रित हुए। मंच पर तमाम विधायक, मंत्री से लेकर भाजपा के पदाधिकारी आसीन थे। नेता एक-एक कर कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस बीच धर्मपुर विधायक विनोद चमोली को संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया। भाजपा के इस कार्यक्रम में धर्मपुर विधायक ने छोटा सा भाषण दिया। उन्होंने आयोजन की सराहना करते हुए केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। इस दौरान उन्होंने परेड मैदान से आयोजित भूकानून, मूल निवास रैली का भी जिक्र किया। उन्होंने दोनों ही मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि प्रदेश के मूल निवासियों का अस्तित्व बचाने के लिए यह जरूरी हैं। कहा कि वे दिल से उत्तराखंडी हैं और मूल निवासियों के साथ उनकी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। विधायक ने भाजपा के अनुशासन का पालन करने की बात कही कि यदि वे अनुशासन से न बंधे होते तो यकीनन इस वक्त भू कानून की रैली की अगुआई करते। इस दौरान भाजपा के अन्य नेता व पदाधिकारी भी कुछ असहज नजर आए। हालांकि, बेबाक विनोद चमोली अपना संबोधन पूरा कर मंच पर बैठ गए। हालांकि, उन्होंने विश्वास जताया कि भाजपा सरकार दोनों की मांगों पर जनभावना के अनुसार शीघ्र सकारात्मक निर्णय लेगी।
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विनोद चमोली की लिखी कविता

जाऊँ तो किधर जाऊँ…!!

यहाँ भी अपने, वहाँ भी अपने
जाऊं तो किधर जाऊं
यहाँ में खड़ा हूँ, वहाँ वो खड़े है
मन करता है में भी जाऊं
उनके कदम से कदम मिलाऊँ
पड़ी है बेड़ियाँ अनुशासन की
ये हाल-ए-दिल किसे सुनाऊँ
जाऊं तो किधर जाऊं,
जाऊं तो किधर जाऊं…!!

मन खुश है अपनो के बीच खड़ा हूँ
पर दुखी हूँ अपने सड़क पर खड़े है
जाऊं तो किधर जाऊं,
ये हाल-ए-दिल किसे सुनाऊँ…!!

शपथ लेता हूँ यहाँ खड़े होकर
दूर करेंगे तुम्हारी पीड़ा को
“मूल निवास” हो या “भू-कानून”
एक दिन जरूर लाएंगे, एक दिन जरूर लाएंगे
ये हाल-ए-दिल किसे सुनाऊँ
इधर जाऊं या उधर जाऊं
जाऊं तो किधर जाऊं…!!

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