crimeDehradunHealthUttarakhand

एम्स ऋषिकेश में करोड़ों के घपले में सीबीआई की चार्जशीट, प्रोफेसर समेत तमाम अधिकारी आरोपी 

स्वीपिंग मशीन और दवा खरीद में वर्ष 2022 में पकड़ा गया था करीब साढ़े चार करोड़ रुपये का घपला

Amit Bhatt, Dehradun: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में स्वीपिंग मशीन व दवा खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाले में दर्ज किए गए मुकदमे में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस घोटाले में एम्स के तत्कालीन प्रोफेसर, अधिकारियों समेत पांच को आरोपित बनाया गया है। एम्स में रोड स्वीपिंग मशीन व केमिस्ट स्टोर के आवंटन में टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता वाला करीब साढ़े चार करोड़ रुपये का यह घोटाला सीबीआइ के संज्ञान में वर्ष 2022 में आया था। इसके बाद सीबीआइ ने माइक्रोबायलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर सहित 09 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
प्राथमिक जांच में सीबीआइ ने माइक्रोबायलॉजी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर बलराम जी ओमर, एनाटामी विभाग के तत्कालीन प्रोफेसर बृजेंद्र सिंह, तत्कालीन सहायक प्रोफेसर अनुभा अग्रवाल, प्रशासनिक अधिकारी शशिकांत और लेखाधिकारी दीपक जोशी के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मिलने के बाद पांचों आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। वहीं, त्रिवेणी सेवा फार्मेसी के मालिक को भी षड्यंत्र में शामिल होने का आरोपित बनाया गया है। अन्य के खिलाफ भी सीबीआइ जल्द चार्जशीट दाखिल कर सकती है।
03 फरवरी 2022 को मारा था छापा, अप्रैल में मुकदमा
वर्ष 2022 के दौरान सीबीआइ को एम्स में मशीनों व मेडिकल स्टोर के आवंटन में घोटाले की सूचना मिली थी। सीबीआइ की टीम ने तीन फरवरी 2022 को एम्स ऋषिकेश में दबिश दी। यह कार्रवाई 07 फरवरी 2022 तक चली। इसके बाद टीम 22 अप्रैल 2022 को फिर से एम्स पहुंची और कई दस्तावेज खंगालने के बाद स्वीपिंग मशीन खरीद और मेडिकल स्टोर आवंटन में 4.41 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया। इसके बाद सीबीआइ ने एम्स के पांच अधिकारियों समेत 09 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था।
अयोग्य कंपनी को टेंडर दिया, खरीदी पुरानी मशीन
सीबीआई की जांच में सामने आया है कि स्वीपिंग मशीन खरीदने के लिए एम्स में 05 सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। कमेटी में डॉ बलराम जी ओमर, डॉ बृजेंद्र सिंह, डॉ अनुभा अग्रवाल, दीपक जोशी व शशिकांत शामिल थे। आरोप है कि निविदा प्रक्रिया में मानकों को ताक पर रखकर कमेटी ने योग्य कंपनी को बाहर करते हुए अयोग्य कंपनी को टेंडर दे दिया और 02 करोड़ रुपये की मशीन खरीदी, जो सिर्फ 124 घंटे ही चली। इसी तरह एम्स में केमिस्ट की दुकान का टेंडर आवंटित करने में अनियमितता बरती गई। टेंडर प्रक्रिया के विपरीत मैसर्स त्रिवेणी सेवा फार्मेसी को टेंडर आवंटित किया गया।
दूसरे प्रकरण में अभी जांच है गतिमान, यहां भी करोड़ों का गोलमाल 
एम्स में उपकरणों की खरीद घोटाले में सीबीआई ने एक दूसरा मुकदमा अगस्त 2023 में दर्ज किया था। उपकरण खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता की शिकायत के बाद सीबीआई अपराध निरोधक शाखा तथा एम्स के अधिकारियों ने 31 मार्च 2023 को जांच की थी। इस दौरान पता चला कि एम्स ऋषिकेश में उन्नत वेसल सीलिंग उपकरण की खरीद के लिए 08 जनवरी 2019 से 22 फरवरी 2019 के बीच टेंडर प्रक्रिया की गई थी। जिसमें एम्स ऋषिकेश में कार्यरत माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर बलराम जी ओमर को खरीद अधिकारी और समन्वयक नियुक्त किया गया था। इससे पूर्व एम्स ऋषिकेश ने यही उपकरण 19 लाख 90 हजार रुपये प्रति यूनिट की दर से क्रय किए थे।
एक अन्य कंपनी मैसर्स रिया एजेंसीज से भी एम्स ऋषिकेश ने 07 उन्नत वेसिल सीलिंग उपकरण की खरीद करीब 54 लाख रुपये प्रति यूनिट की दर से कुल 03 करोड़ 83 लाख रुपये में खरीदे। जांच में यह भी पाया गया कि करोड़ों की लागत से खरीदे गए इन उपकरणों का उपयोग 03 वर्ष तक नहीं किया गया। इस खरीद में लगभग 6.57 करोड रुपये से अधिक की राशि का घोटाला किया गया। इस मामले में सीबीआइ ने 21 अगस्त 2023 को एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डा. बलराम जी ओमर , मैसर्स आरोग्य इंटरनेशनल, सेंट्रल मार्केट, प्रशांत विहार, नई दिल्ली और उसके साझेदार सुमन वर्मा व विश्ववीर वर्मा निवासी पीतमपुरा, नई दिल्ली साथ ही मैसर्स रिया एजेंसीज, ट्रांसपोर्ट नगर, जोधपुर, राजस्थान और उसके पार्टनर निखिल कुमार निवासी महादेव रोड, नई दिल्ली, आदित्य कुमार सिंह निवासी जगसरा, हरदोई, उत्तर प्रदेश व एक अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button