अब विधायक जीना पर मुकदमा दर्ज, चालक संघ की तहरीर पर कार्रवाई
नगर आयुक्त से अभद्रता मामले में आइएएस संघ के तीखे विरोध के बाद अब मुकदमे में घिरे भाजपा विधायक
Amit Bhatt, Dehradun: अल्मोड़ा जिले की सल्ट विधानसभा सीट से भाजपा विधायक महेश जीना को उनके तीखे और अमर्यादित शब्दों ने मुश्किल में डाल दिया है। अब उन पर नगर निगम वाहन चालक संघ के सचिव यशपाल सिंह की तहरीर पर शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया है। देर रात यह मुकदमा आईपीसी की धारा 147, 186, 504 व 506 के तहत विधायक जीना समेत 05 के विरुद्ध दर्ज किया गया है। इससे पहले बुधवार शाम को भारतीय प्रशासनिक सेवा संघ भाजपा विधायक महेश जीना के अमर्यादित व्यवहार की कड़ी निंदा कर चुका है।
मंगलवार को भाजपा विधायक की अभद्रता का वीडियो सोशल मीडिया से लेकर न्यूज पोर्टल पर जमकर वायरल हुआ। जिस पर जनता की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। नगर निगम देहरादून के नगर आयुक्त गौरव कुमार को उनके कार्यालय में धमकाने से नाराज नगर निगम कर्मचारियों ने बुधवार सुबह से ही कार्य बहिष्कार शुरू दिया था। चौतरफा गरमाए इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंडलायुक्त गढ़वाल को जांच भी सौंप चुके हैं। जिसकी रिपोर्ट 15 दिन के भीतर तलब की गई है। साथ ही भारतीय प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष आनंद बर्द्धन और सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी के कड़े पत्र से भी यह आभास होने लगा था कि विधायक जीना पर विधिक कार्रवाई तय है। लिहाजा, पुलिस ने नगर निगम वाहन चालक संघ की तहरीर पर देर रात मुकदमा दर्ज भी कर दिया।
इस टेंडर की सिफारिश लेकर जीना गए थे नगर निगम
मामला राजधानी देहरादून के सहस्रधार रोड पर नगर निगम के पुराने ट्रंचिंग ग्राउंड में कूड़ा निस्तारण की टेंडर प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। जिसमें भाजपा विधायक के परिचित को किसी वजह से अयोग्य कर टेंडर से बाहर कर दिया गया था। नगर निगम ने विधायक के परिचित की फर्म को टेंडर प्रक्रिया से बाहर क्यों किया, यह जानने के लिए विधायक नगर निगम पहुंचे थे। उसी दौरान वार्तालाप के क्रम में विधायक ने आपा खो दिया और उनका वीडियो सामने आ गया।
आइएएस संघ ने यह कहा
भारतीय प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष आनंद बर्द्धन और सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी की ओर से कड़ी निंदा का पत्र जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि सल्ट विधायक ने मंगलवार अपराहन में नगर निगम देहरादून में नगर आयुक्त व कर्मचारियों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया है। उन्होंने अपने परिचित के पक्ष में टेंडर दिए जाने का दबाव डाला। साथ ही इस कृत्य से उन्होंने सरकारी कार्य में अनुचित हस्तक्षेप किया और कार्यालय के वातावरण में प्रतिकूल प्रभाव डाला। संघ ने इसे कार्यपालिका (एग्जीक्यूटिव मशीनरी) की विधिक प्रक्रिया में अवैध हस्तक्षेप भी करार दिया।