उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव पर मुकदमा, भ्रष्टाचार और आपराधिक षडयंत्रण का आरोप
हिमाचल प्रदेश में दर्ज कराया गया मुकदमा, उत्तराखंड में कद्दावर नौकरशाह की रही है राकेश शर्मा की छवि, भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के बीच थी पैठ

Amit Bhatt, Dehradun: उत्तराखंड में कांग्रेस की हरीश रावत सरकार में मुख्य सचिव रहे राकेश शर्मा पर हिमाचल प्रदेश (शिमला) में मुकदमा दर्ज कराया गया है। यह सब कुछ ऐसे समय पर किया गया, जब हिमाचल की कांग्रेस सरकार राजनीतिक संकट से घिरी है और बचने के लिए हाथ-पैर मार रही है। राकेश शर्मा के साथ ही हमीरपुर के निर्दलीय विधायक आशीष शर्मा पर भी एफआईआर दर्ज कराई गई है। यह कार्रवाई हिमाचल परदेश सरकार के मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) संजय अवस्थी और मनाली क्षेत्र के विधायक भुवनेश्वर गौड़ की शिकायत पर की गई है। राकेश शर्मा ऊना जिले की गगरेट सीट से अयोग्य ठहराए गए विधायक चैतन्य शर्मा के पिता हैं। यदि पुलिस को आरोप के मुताबिक साक्ष्य प्राप्त होते हैं तो राज्यसभा सीट के लिए कराए गए चुनाव में क्रास वोटिंग करने वाले विधायकों (अयोग्य घोषित) की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।

एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि हिमाचल सरकार को अस्थिर करने के लिए साजिश की गई। राज्य के बाहर से हेलीकॉप्टर आए और कई सुरक्षा कर्मियों को भी लाया गया। शिकायत के मुताबिक राजयसभा चुनाव में वोट के एवज में करोड़ों रुपये का लेनदेन किया गया। साथ ही भ्रष्टाचार को अंजाम देकर आपराधिक षड्यंत्र किया गया। इसके अलावा आरोप है कि सरकार गिराने के लिए बागियों को पांच से सात सितारा होटल में रहने की व्यवस्था की गई। बागियों को अपने मुताबिक जगह पर ले जाने के लिए हेलीकॉप्टर मंगाए गए। शिकायत में पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा के बैंक खातों की जांच की मांग भी की गई है। एफआईआर के क्रम में पुलिस दोनों आरोपियों को पूछताछ के लिए बुला सकती है। वहीं, पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने इसे राजनितिक हथकंडा बताया। उन्होंने कहा कि अपने सेवाकाल में ऐसी एफआईआर बहुत देखी हैं।
पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा की उत्तराखंड नौकरशाही में अच्छा खासा रुतबा रहा है। उनकी भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं के बीच अच्छी पैठ रही है। यहां तक कि उत्तराखंड में जो नेता अपनी तुनकमिजाजी और गर्म दिमागी के लिए जाने जाते हैं, उन्हें ठंडा करना भी राकेश शर्मा को खूब आता था। कांग्रेस की हरीश रावत सरकार में जब राकेश शर्मा रिटायर हुए और केंद्र की भाजपा सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन नहीं दिया तो मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उन्हें मुख्य प्रधान सचिव बना लिया था। वह जिस काम को हाथ में लेते, उसे पूरा करके की दम लेते थे।

आशीष शर्मा, निर्दलीय विधायक, हमीरपुर (अयोग्य घोषित)।
सुप्रीम कोर्ट में पक्ष मजबूत करने में काम आ सकती है एफआईआर
हिमाचल प्रदेश सरकार ने एफआईआर करवाकर अयोग्य घोषित किए गए विधायकों के मामले में अपना पक्ष मजबूत करने का काम किया है। क्योंकि, प्रकरण में बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की पीठ के समक्ष 12 मार्च को सुनवाई की जानी है। ऐसे में अयोग्य ठहराए गए विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने में झटका लग सकता है।